हालात काबू में नहीं हैं, क्योंकि डिप्रेशन की गिरफ्त में उम्रदराज व्यक्ति ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी आ चुका है। क्या आपको पता है कि डिप्रेशन आत्महत्या के प्रमुख कारणों में एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डिप्रेशन के कारण दुनियाभर में आत्महत्याओं के बढ़ते आंकड़ों को लेकर चिंतित है। इस रोग पर कैसे लगाएं लगाम।
कुछ समय का तनाव मर्ज नहीं
‘27 वर्षीया महत्वाकांक्षी आकांक्षा देशमुख मुंबई स्थित एक स्थापित कंपनी में कार्यरत थीं। उनका कॅरियर ‘उड़ान’ पर था। एक बड़े पद पर उनका प्रमोशनहोने ही वाला था कि इसी बीच उनके पिता की एक सड़क हादसे में मौत हो गयी। उनकी मां अक्सर बीमार रहा करती थी। परिवार में एक छोटा भाई था, जो हाईस्कूल परीक्षा की तैयारी कर था। ऐसे प्रतिकूल हालात ने आकांक्षा को दिल-ओ-दिमाग से तोड़ दिया। वह उदास रहने लगीं, मानो खुशी ने उनसे नाता तोड़ लिया हो। लगातार नकारात्मक विचारों से घिरे रहना और छोटी-छोटी बातों को लेकर चिड़चिड़ा जाना उनकी आदत में शुमार हो गया था। इस प्रकार वह जॉब करने की स्थिति में नहीं रहीं। एक लंबी छुट्टी लेकर वह घर बैठ गयीं और अपनी बदकिस्मतीऔर कॅरियर की बर्बादी पर पछताया करतीं।
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आकांक्षा की गिरती हुई मानसिक व शारीरिक स्थिति को देखकर उनकी सहेली नेहा उन्हें मेरे पास लायी। मैंने उनकी समस्या सुनीं। उनकी बातों को सुनने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंच गया कि वह अवसाद (डिप्रेशन) से ग्रस्त है। उन्हें एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी गयीं और काउंंसलिंग भी की गयी। आज वह स्वस्थ हैं और हालात से तालमेल बिठाते हुए उनकी जिंदगी एक बार फिर पटरी पर आ चुकी है।’’
क्या है मर्ज
मेरी राय में डिप्रेशन को समझने के लिए इस रोग के बुनियादी स्वरूप को समझना जरूरी है। जैसे कुछ समय के लिए होने वाली तनावपूर्ण स्थिति को हम डिप्रेशन नहीं कह सकते। विशेष विपरीत परिस्थितियों में सभी लोगों को दुख या तनाव महसूस होता है, लेकिन डिप्रेशन ऐसा मनोरोग है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति लगातार काफी समय तक अत्यधिक उदासी और नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है।
ऐसे करें बचाव
- इस सत्य को समझें कि जीवन में उचार-चढ़ावों, सफलताओं और विफलताओं का आना-जाना लगा रहता है।
- यह विश्वास रखें कि मौजूदा प्रतिकूल दौर भी गुजर जाएगा।
- सकारात्मक विचारों को प्रश्रय दें।
- कोई रचनात्मक हॉबी विकसित करें।
- जरूरत पड़ने पर अपनों के समक्ष अपने मन में दबी बात को कहें। ऐसा करने से आपका मन हल्का और शांत हो जाता है।
- अगर डिप्रेशन की स्थिति से उबर नहीं पा रहे हैं, तो अपने परिजन या दोस्त के साथ मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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कई तरह का होता है डिप्रेशन
डिप्रेशन के कई कारण हैं। विपरीत स्थितियों के साथ तालमेल स्थापित करने में लगातार कई दिनों तक विफल रहना तो एक कारण है, लेकिन नवीनतम शोध-अध्ययनों के अनुसार इस रोग का एक अन्य प्रमुख कारण सेरोटोनिन नामक न्यूरो-केमिकल की कमी से संबंधित है। यह न्यूरोकेमिकल मस्तिष्क में पाया जाता है, जो भावनाओं को जाग्रत करता है। इस केमिकल की कमी से डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति नकारात्मक सोच महसूस करते हैं। ऐसे व्यक्ति हर बात में नकारात्मक पहलू ही देखते हैं। नकारात्मकता की प्रवृत्ति तीन तरह की होती है।
- असहायता। मैं हालात से सामना करने में असहाय हूं।
- मैं किसी काम का नहीं हूं।
- आशाहीनता। जैसे अब कुछ नहीं हो सकता। भविष्य नहीं बन सकता, चाहे कुछ भी प्रयास किया जाए।
अन्य कारण
आनुवांशिक कारण से भी व्यक्ति में सेरोटोनिन की कमी हो सकती है। इसी तरह महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्ट्रॉन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, लेकिन गर्भावस्था के बाद प्रोजेस्ट्रान नामक हार्मोन कम होने लगता है। इस स्थिति में 100 में से 20 महिलाएं डिप्रेशन से ग्रस्त हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान इस स्थिति को ‘मदर ब्लूज’ कहते हैं।
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