माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है।
किनको होता है खतरा
एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।
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क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण
एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है।
क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण
आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं-
- पेट में तेज दर्द की समस्या
- पेट का रंग पीला दिखाई देना
- दिनभर थकान और सुस्ती
- भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना
- आंखों के नीचे काले घेरे आना
- आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है।
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क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज
चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।
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