
माइग्रेन के कारण सिर में भयानक दर्द होता है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व की जनसंख्या का 10 प्रतिशत हिस्सा माइग्रेन से पीड़ित है और इसमें से करीब 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। क्या आपको पता है कि पर्याप्त पानी न पीने से भी माइग्रेन की समस्या हो सकती है। पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है तत्व है मगर कई बार जब आप पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो इससे कई तरह के रोगों का खतरा रहता है। आमतौर पर लोगों को ये तो पता होता है कि कम पानी पीने से किडनी की पथरी का खतरा होता है मगर ये बात कम ही लोग जानते हैं कि इससे आपको माइग्रेन की समस्या भी हो सकती है।
आमतौर पर अगर आपको सिर के एक हिस्से में दर्द, आंखों के आगे आड़ी-तिरछी धारियां बनना, मितली आना और सिर पर हथौड़े पड़ने जैसी पीड़ा बेहद दर्द से हलकान कर रही हो तो हो सकता है कि यह साधारण सिरदर्द नहीं बल्कि माइग्रेन हो। बच्चों को भी माइग्रेन हो सकता है। माइग्रेन का दर्द जब चरम पर पहुंचता है तो कई मामलों में व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी पैदा हो जाती है। आधुनिक शोध बताते हैं कि माइग्रेन में तेज सिरदर्द के कारण ब्रेन हैमरेज अथवा पक्षाघात का दौरा भी पड़ सकता है।
माइग्रेन के लक्षण
- कुछ लक्षणों के द्वारा माइग्रेन को सामान्य सिरदर्द से अलग रूप में पहचाना जा सकता है।
- माइग्रेन में नर्वस सिस्टम संबंधी असामान्य लक्षण प्रकट होने लगते हैं। उसे पानी पर सूरज की किरणों के परवर्तित होने जैसी चमक दिखाई देने लगती है।
- माइग्रेन के दौरान थोड़ी देर के लिए दृष्टि कमजोर पड़ सकती है, आस-पास कुछ न होने पर भी कुछ चमकता हुआ सा दिखाई दे सकता है। सामने की चीज धुंधली दिखाई दे सकती है।
- व्यक्ति अपने को असहज सा महसूस कर सकता है।
- शरीर का एक हिस्सा सुन्न सा महसूस हो सकता है। लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि सिर के जिस हिस्से में दर्द होता है, उसका विपरीत हिस्सा सुन्न या असहज महसूस हो सकता है।
- जब माइग्रेन का दौरा पड़ता है तो मनुष्य की कार्य क्षमता 50 प्रतिशत कम हो जाती है।
क्या हैं कारण
- माइग्रेन से बचाव के लिए उन कारणों को जानना जरूरी है, जिनसे यह सिरदर्द होता है या जो इसके लक्षणों को और अधिक तीव्र कर देते हैं।
- तनाव, अवसाद या क्रोध की स्थिति में भी अत्यंत संवेदनशील स्वभाव वाले व्यक्ति माइग्रेन के शिकार हो सकते हैं।
- पीरियड शुरू होने के दो-चार दिन पहले इस हार्मोन के स्तर में अचानक गिरावट आ जाती है। इस हार्मोन का यह उतार-चढ़ाव माइग्रेन के लिए विस्फोटक साबित होता है।
- माइग्रेन के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामले आनुवंशिक होते हैं। साथ ही युवावस्था आरंभ होने पर लड़कों की तुलना में लड़कियों को माइग्रेन होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा महिला हार्मोन की खास जेनेटिक संरचना के कारण होता है।
- मिर्गी वाले रोगियों में भी माइग्रेन हो सकता है।
- सहवास के दौरान आर्गेज्म के बाद भी कुछ लोगों को माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है।
- पर्याप्त नींद न लेना माइग्रेन का बहुत बड़ा कारण है।
- यदि आपने अपनी आवश्यकता के अनुसार भरपेट भोजन नहीं किया है और आप काफी देर तक भूखी रह गई हैं तो भी माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है।
- भरपूर मात्रा में पानी नहीं पीना भी माइग्रेन को उकसा सकता है।
- धूप में घूमना, अत्यधिक शारीरिक और मानसिक श्रम से उपजी थकान भी माइग्रेन को जन्म देती है।
- मौसम परिवर्तन और तापमान परिवर्तन के कारण भी माइग्रेन का दर्द हो जाता है।
बचाव के उपाय
- अगर माइग्रेन का समय पर इलाज न किया गया तो इससे कई मानसिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। तमाम अनुसंधानों के बावजूद माइग्रेन को पूरी तरह मिटाना संभव नहीं है पर दवाओं के इस्तेमाल से इसके दर्द की तीव्रता और आवृति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- सबसे पहले आप यह नोट करें कि किस खाद्य पदार्थ से आपका माइग्रेन भड़क उठता है। डिब्बाबंद मांस, फास्ट फूड, जंक फूड, रेड वाइन और धूम्रपान से बचें। इससे माइग्रेन हो सकता है।
- आपके आस-पास कोई अन्य व्यक्ति धूम्रपान कर रहा हो तो भी आप वहां न रहें। पैसिव स्मोकिंग से भी माइग्रेन बढ़ता है। प्रदूषण और धूप-धूल वाले वातावरण में भी माइग्रेन हो सकता है। अत: ऐसे वातावरण में जाने से बचें।
- पनीर में टाइरामिन और नूडल्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाया जाता है, जो माइग्रेन को बढ़ा सकता है। चॉकलेट, चीज और अधिक पका केला खाना भी माइग्रेन को बढ़ा देता है। इसका भी अधिक प्रयोग करने से बचें।
- समय पर भोजन करें। ज्यादा तली-भुनी चीजें, मैदे से बने खाद्य पदार्थो के सेवन से बचें क्योंकि इनसे कब्ज होता है, जो माइग्रेन का बहुत बड़ा कारण है। रेशेदार सब्जियों और फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। रात में सोने से पहले ज्यादा गरिष्ठ भोजन न करें। मांसाहार करने से भी माइग्रेन हो सकता है।
- सभी समस्याओं और चिंताओं को परे रखकर थोड़ी देर के लिए आंखें बंद कर सुस्ताने से शरीर की मांसपेशियों को आराम पहुंचता है। ध्यान रखें कि जिस कमरे में आप आराम कर रही हैं उसका तापमान आरामदायक और कमरे की साज-सज्जा सुरुचिपूर्ण हो।
- नियमित व्यायाम, ध्यान और योग करने से भी माइग्रेन का दर्द काफी कम हो जाता है। खास तौर पर ध्यान और शवासन काफी लाभ पहुंचाता है। इसे किसी योग विशेषज्ञ से सीख कर अपने जीवन में आवश्यक तौर पर शामिल कर लें। मानसिक शांति के लिए रिलैक्सेशन एक्सरसाइज भी काफी काम आती है।
- जिस कमरे में आप रहती हैं या जहां काम करती हैं, वहां अधिक चुंधियाने वाले प्रकाश, तेज धूप, कंप्यूटर स्क्रीन, अधिक ऊंचाई या तेज गंध से भी माइग्रेन बढ़ता है। अत: तेज गंध वाले परफ्यूम अथवा तेज मसाले वाली गंध से बचें। अच्छी नींद लेने और भरपूर सोने की कोशिश करें। सात-आठ घंटे की केवल बढि़या और खुशनुमा नींद आपकी माइग्रेन की समस्या को 50 प्रतिशत तक कम कर देगी।
- गर्भनिरोधक गोलियों से भी माइग्रेन हो सकता है। अत: इनका प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
एक बात हमेशा याद रखें कि माइग्रेन की डायरी अवश्य बनाएं। उसमें यह भी आवश्यक रूप से नोट करें कि सिरदर्द शुरू होने से पहले आपको कैसा महसूस होता है। इससे न्यूरोलॉजिस्ट के लिए आपके सिरदर्द के बारे में समझना आसान हो जाता है।
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