
आजकल के बदलते लाइफस्टाइल की वजह से शादी के बाद बच्चा पैदा करने में महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हर औरत की चाहती होती है मां बनना। लेकिन समय पर संतान सुख न मिले तो समाज से लेकर घर और परिवार सभी की बातें सुननी पड़ती हैं। एक औरत अगर मां नहीं बनी तो समाज के लिए वह पूरी स्त्री नहीं होती। तो वहीं शादी के एक दो साल में घर वालों की तरफ से बच्चे की डिमांड शुरू हो जाती है। आजकल ऐसे मामले बहुत देखने में आ रहे हैं जिनमें महिलाओं को प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आ रही हैं। दिल्ली की दीपा नेगी भी उन्हीं महिलाओं में से हैं जिन्हें शादी के 10 साल बाद बच्चा हुआ। आज उनके आंगन में एक हसता-खेलता बच्चा किलकारियां भरता है। जिसका नाम श्री है। श्री के पापा उसे सुबह घुमाने ले जाते हैं। बच्चे की दादी अपने पोते को सर्दियों में गुनगुनी धूप दिखाती हैं। तो वहीं मां और पिता जैसे ही नौकरी से वापस घर आते हैं बच्चा दोनों से लिपट जाता है। एक बच्चे के घर में आने से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं और सुख ही सुख मिलता है। आज हम जानेंगे दीपा नेगी की कहानी दीपा की जुबानी।
शादी के 10 बाद हुआ बच्चा
दीपा अपने मां बनने के अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि मेरी शादी 2009 में हुई थी। लेकिन बच्चा नहीं हुआ। शादी के तीन साल तक हम दोनों पति-पत्नी ने सोचा कि जल्दी बच्चा नहीं करेंगे और फैमिली प्लानिंग पर ध्यान देंगे। लेकिन जब बच्चे की चाहत हुई तो बच्चा नहीं हुआ। हर औरत की गोद में एक बच्चा देखती थी तो लगता था कि मेरी भी गोद में एक बच्चा हो, लेकिन मेरी ये इच्छा शादी के 10 बाद पूरी हुई।
सभी ने आइवीएफ के लिए कह दिया था
दीपा बताती हैं कि जब शादी के कई साल तक उन्हें बच्चा नहीं हुआ तब वे किसी भी डॉक्टर के पास जाती थीं, वे उन्हें आइवीएफ से बच्चा करने की सलाह देते थे, लेकिन दीपा का कहना है कि वे आइवीएफ से बच्चा करना नहीं चाहती थीं। दीपा ने बताया कि उनके पति और परिवार वाले भी कह रहे थे कि अगर बच्चा नहीं हो रहा है तो कोई बात नहीं हम बच्चा एडोपप्ट कर लेंगे। लेकिन दीपा का मन नहीं मान रहा था। वे अपनी कोख से एक बच्चे को जन्म देना चाहती थीं।
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ऐसे हुआ बच्चा, दोस्त ने बताया डॉक्टर का पता
चेहरे पर खुशी की चमक लिए दीपा कहती हैं कि जब वे सब तरफ से हार गई थीं तब उनकी ऑफिस की दोस्त ने गाजियाबाद में अपना क्लिनिक चलाने वाली डॉ. रूपा कौशिक का पता मुझे बताया। मैंने न आव देखा और न ताव। मैं सीधे दिल्ली में अपने ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलकर गाजियाबाद रूपा कौशिक के क्लिनिक पर पहुंच गई।
इलाज के बाद भी पहला बच्चा खराब हो गया था
दीपा ने बताया कि साल 2017 में उन्होंने गाजियाबाद में गाइनाकॉलोजिस्ट रूपा कौशिक के पास जाना शुरू किया। उन्होंने पहले मेरा इंफेक्शन का ट्रीटमेंट किया। मुझे वाइट डिस्चार्ज ज्यादा होता था। खुजली भी रहती थी। जिसका डॉक्टर ने इलाज किया। बाद में टेस्ट करवाए तो ट्यूब में ब्लॉकेज बताया। तब ट्यूब क्लीनिंग के लिए एक छोटा सा ऑपरेशन किया गया। फिर मुझे अक्तूबर 2017 में बच्चा कंसीव हो गया था, लेकिन किसी वजह से मिसकैरीज हो गया। मैं वहां से भी उम्मीद हार चुकी थी। लेकिन रूपा कौशिक मैम ने मुझे बहुत हिम्मत दी।
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यूटरस में हो गया था टीबी
दीपा ने बताया कि पहला बच्चा जब खराब हो गया तब उस बच्चे की सफाई की गई। बच्चेदानी साफ की गई। खराब बच्चे का सैंपल लैब भेजा गया। तब मालूम हुआ की बच्चेदानी (uterus) में टीबी है। फिर तीन महीने तक उसका इलाज चला। और मुझे कॉपरटी लगा दी गई। ताकि इस दौरान बच्चा न ठहरे। जब मेरा ट्रीटमेंट पूरा हुआ तब मई 2018 में मुझे बच्चा कंसीव हो गया था। फिर डॉक्टर ने कोई रिस्क नहीं लिया। मुझे इंजेक्शन वगैरह देती रहीं। ताकि जो भी बच्चा बन रहा है, वह ठीक रहें। लास्ट मोवमेंट पर मेरी प्लेटलेट्स बहुत कम होने लगी थीं, तब डॉक्टर ने मुझे सिजेरियन के लिए बोल दिया था। फिर अस्पताल में मुझे एडमिट किया गया। मुझे लेबर पेन हुआ तो डॉक्टर ने कहा कि नॉर्मल डिलेवरी ही करते हैं। तब मेरे हसबैंड ब्लड और प्लेटलेट्स की बोतल भी लेकर अस्पताल लेकर पहुंच गए थे। तब सुबह 8:30 बजे तक श्री हो गया था। वो भी नॉर्मल डिलेवरी से। खिलखिलाते से चेहरे से दीपा कहती हैं कि इसका सारा क्रेडिट मैं रूपा कौशिश मैम को दूंगी क्योंकि उनकी वजह से मैं शाद के 10 साल बाद मां बन पाई।
क्या होता है यूटरस टीबी?
गाजियाबाद में क्लीनिक चलाने वाली वरिष्ठ गाइनाकॉलोजिस्ट डॉ. रूपा कौशिक का कहना है कि भारत में टीबी बहुत आम बीमारी है। यह पुरुष और स्त्री दोनों को हो सकती है। अगर टीबी फेफड़ों में होता है तो वह आसानी से पता चल जाता है, लेकिन अगर गर्गभाशय का टीबी है तो उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। गर्भाशय का टीबी छूत की बीमारी नहीं होती। लेकिन इसका इलाज लंबा चलता है। डॉक्टर ने बताया कि यूटरस में टीबी एक तरह का संक्रमण है। यह ब्लड के थ्रू यूटरस या गर्भाशय में जाता है। खून के माध्यम से टीबी शरीर में कहीं भी पहुंच सकता है। गर्भाशय में टीबी होने पर फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय के मुंह आदि पर प्रभाव पड़ता है। यूटरस में इन्फेक्शन होने पर इनफर्टिलिटी, कम पिरियड्स, ज्यादा पिरियड्स या अबॉर्शन होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। यूटरस के टीबी के पेल्विक टीबी के रूप में भी जाना जाता है।
बच्चा पैदा करने की सही उम्र?
गाजियाबाद में करीब 37 सालों से अपना क्लीनिक चलाने वाली डॉ. कौशिक का कहना है कि आजकल लोग 28 से 30 साल में शादी करते हैं। जिस वजह से बच्चा कंसीव करने में दिक्कत होती है। यह परेशानी इसलिए हो रही है क्योंकि हार्मोन में बदलाव हो रहा है, उम्र का फैक्टर है, वर्किंग पैटर्न बदले हुए हैं, ऑफिस के घंटे, नाइट ट्यूटीज हैं, जिससे बॉडी के रिद्मम्स डिस्टर्ब होते हैं और बच्चा कंसीव करने में दिक्कत होती है। इसलिए उनका कहना है कि बच्चा करने के लिए आइडियल उम्र 20 से 25 साल है। डॉक्टर ने बताया कि यूटरस के टीबी से बचने के लिए इम्यूनिटी ठीक रखें। हाई प्रोटीन डाइट लें।
कुछ भी नामुमकीन नहीं होता है। दीपा की तरह अगर आपको भी मां बनने में दिक्कत आ रही है तो निराश न हों। सब्र रखें। सही डॉक्टर खोजें और अपना इलाज कराएं। मां बनना हर औरत का सपना होता है। इस सपने को साकार करें। अगर प्रेग्नेंसी मे किसी तरह की दिक्कत आ रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें और परेशानी को नजरअंदाज न करें। दीपा की तरह आपकी भी जीत हो सकती है।
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