आम सर्दी और खांसी की तरह ही होता है स्वाइन फ्लू, जानें क्या है इसके कारण, लक्षण और बचाव

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है, कुछ एंटीवायरल स्वाइन फ्लू के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
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आम सर्दी और खांसी की तरह ही होता है स्वाइन फ्लू, जानें क्या है इसके कारण, लक्षण और बचाव


स्वाइन फ्लू यानी एच 1 एन 1 (H1 N1) एक इन्फ्लूएंजा वायरस है जो आम फ्लू की तरह ही होता है। इस फ्लू की तुरंत पहचान करना काफी मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसमें एक आम फ्लू की तरह ही लक्षण होते हैं जैसे, बुखार, खांसी, काफी. छींक, नाक बहना और थकान महसूस होना। स्वाइन फ्लू उन फ्लू में से एक है जो संक्रमक होते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकते हैं। इसलिए इस फ्लू से बचाव करना बहुत जरूरी है, जिसके लिए आपको इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारी होनी चाहिए। इस लेख में हम आपको स्वाइन फ्लू के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में बताएंगे, जिससे आप अपने आपको इस फ्लू से बचा कर रख सकते हैं। 

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स्वाइन फ्लू के कारण (Causes Of Swine Flu In Hindi)

स्वाइन फ्लू एक ऐसा फ्लू है जो किसी एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत ही आसानी से फैल सकता है। इसके साथ ही H1N1 फ्लू एक मौसमी फ्लू के साथ फैल सकता है। स्वाइन फ्लू बहुत संक्रामक है। यह बीमारी लार और बलगम कणों से भी फैलता है। अक्सर कई बार हम जाने अनजाने में ऐसे शख्स के सामने होते है जो पहले से स्वाइन फ्लू जैसे फ्लू से संक्रमित हो और जब हम उससे बात करते हैं तो उसके मुंह, छींक, खांसी के जरिए निकलने वाले बैक्टीरिया आप तक आसानी से पहुंच जाते हैं और वो आपको भी संक्रमित कर देते हैं। 

स्वाइन फ्लू के लक्षण (Symptoms Of Swine Flu)

  • गले में खराश।
  • खांसना।
  • ठंड लगना।
  • बुखार।
  • लगातार नाक बहना।
  • शरीर मैं दर्द।
  • सिरदर्द।
  • थकान।
  • दस्त।
  • उल्टी।

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स्वाइन फ्लू का खतरा (Risk Of Swine Flu) 

स्वाइन फ्लू के शुरुआती दौर में युवाओं और बुजुर्गों में सबसे आम बीमारी के रूप में था। आज स्वाइन फ्लू होने के जोखिम कारक फ्लू के किसी भी अन्य तनाव के लिए समान हैं। अगर आप स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों के साथ मिल रहे हैं या फिर उनके संपर्क में आ रहे हैं तो आप स्वाइन फ्लू की चपेट में आ सकते हैं। इसके साथ ही स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने पर कुछ लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने का ज्यादा खतरा होता है। जैसे:

  • 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग।
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे।
  • जिन लोगों का इम्यून सिस्टम किसी रोग के कारण कमजोर हो रहा हो।
  • गर्भवती महिला।
  • इसके अलावा अस्थमा, हृदय रोग, मधुमेह मेलेटस या न्यूरोमस्कुलर रोगी इसका शिकार जल्दी बन सकते हैं।

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इलाज (Treatment)

स्वाइन फ्लू से पीड़ित लोगों को डॉक्टर एक एंटीवायरल दवा लिख सकते हैं। ऐसी एंटीवायरल दवाएं फ्लू के लक्षणों को कम करने के लिए दी जाती है और उनकी स्थिति को सामान्य करने का काम करती है। आमतौर पर स्वाइन फ्लू के ज्यादातर मामलों में इलाज के लिए दवा की बहुत जरूरी होती है, जब तक मरीज पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाए। 

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बचाव (Preventions)

  • बार-बार साबुन या हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोएं।
  • अगर आप बाहर हैं तो कोशिश करें अपनी नाक, मुंह और आंखों को हाथ न लगाएं। 
  • आप बीमार हैं तो दफ्तर या स्कूल जाना छोड़ दें।
  • मौसम में स्वाइन फ्लू होने पर बड़ी सभाओं से बचें। 
  • स्वाइन फ्लू फैलने के समय हमेशा मास्क पहनने की आदत डालें।
  • एच1 एन1 के लक्षण दिखते के साथ ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। 

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