कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के माध्यम से हो सकती है हृदयाघात की चिकित्‍सा

आज के समय में हृदयाघात एक गंभीर समस्या बन चुका है। हालांकि इसका इलाज संभव है। जानें कैसे होती है हृदयाघात की चिकित्सा।
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कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के माध्यम से हो सकती है हृदयाघात की चिकित्‍सा


हृदय शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह छाती के बीच में, थोड़ा बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है और ऑक्सीजन प्रदान करता है। लेकिन जब किसी कारण से हृदय की आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है, तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। चलिए जानते हैं कि हार्ट अटैक होने पर इसकी चिकित्सा कैसे की जाती है।

Treatment of Heart Attack

हृदय को रक्त से ही पोषण और ऑक्सीजन मिलता है। यह कार्य कोरोनरी धमनियों की मदद से होता है। हृदय दो भागों में विभाजित होता है, दायां व बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं दोनों तरफ दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल) होते हैं। अगर देखा जाए तो हृदय में कुल मिलाकर चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त को फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में साफ होकर ह्रदय के बायें भाग में वापस लौटता है। जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। यहां चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को दिशा देने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह काम करते हैं।

 

हृदयाघात और इसका कारण-

हृदय की मांसपेशिया को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है, तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को पोषण और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं।



कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियोवस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों में अथीरोमा नामक वसा का धमनियों के भीतर जम, एक वज होती है। इस अवस्था में अथीरोमा धमनियों के भीतर जम जाती है। समय के साथ-साथ यह सतह मोटी होती जाती है और खून के बहाव में रुकावट आने लगती है। इससे धमनियों में जबरदस्‍त रुकावट आ जाती है। ऐसा वसा के कारण खून का थक्का बनने की वजह से होता है। ऐसा होने पर हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस स्थिति को ही हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर नुकसान ज्यादा हो तो मौत भी हो सकती है।

 

हृदयाघात की चिकित्सा-

यदि आपके सामने किसी इनसान को हार्ट अटैक होता है तो तत्काल आपातकालीन चिकित्सा सहायता को संपर्क करें। यदि आपने आपातकालीन प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया है तो आप सीने पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिसोसिटेशन) कर सकते हैं। यह शरीर और मस्तिष्क को ऑक्सीजन देने में मदद करता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के दिशा निर्देशों के अनुसार भले ही आपने सीपीआर का कितना भी प्रशिक्षण लिया है, आपको ऐसी स्थिति में चैस्ट कंप्रेशन्स के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिए।इसके लिए व्यक्ति की छाती पर 2 इंच (5 सेंटीमीटर) तक कंप्रेशन्स करें। यदि आप सीपीआर के लिए प्रशिक्षित हैं तो रोगी की एयरवे की जांच करें और हर 30 कंप्रेशन्स के बाद उसे बचाव सांस दें। यदि आप प्रशिक्षित नहीं हैं तो जब तक मदद नहीं आती कंप्रेशन्स जारी रखें।

अस्पताल में दिल के दौरे का उपचार-

यदी आपको हृदयाघात हुआ है तो अस्पताल में आपका इलाज आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। हो सकता है कि आपका इलाज दवाओं के जरिये किया जाए या कोई तत्काल ऑपरेशन की मदद ली जाए या फिर आपको दोनों ही करने पड़ सकते हैं। यह रोगी की स्थिति की गंभीरता और दिल को पहुंचे नुकसान पर निर्भर करता है।

 

हृदयाघात में दी जाने वाली दवाएं-

दिल का दौरा पड़ने के बाद हर गुजरते मिनट के साथ हृदय के अन्य ऊतक भी ऑक्सीजन खो देते हैं और कमजोर होकर मरने लगते हैं। हृदय को होती जा रही इस  क्षति को रोकने के लिए सबसे कारगर तरीका है कि जल्द से जल्द रक्त के प्रवाह को बहाल कर लिया जाए।  



दिल का दौरे के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं में निम्न दवाएं शामिल हैं:-

इस मौके पर आपको फौरन एस्पिरिन लेनी चाहिए। एस्पिरिन रक्त के थक्के बनने से रोकती है। और संकुचित धमनी के माध्यम से भी रक्त प्रवाह को बनाए रखने में मदद करती है। आपको थ्रोम्बोलिटिक्स दिये जा सकते हैं। इन्हें क्लॉटबस्टर भी कहा जाता है। यह आपके हृदय में बने खून के थक्के को खतम कर अवरुद्ध रक्त प्रवाह को ठीक करने में मदद करता है। डॉक्टर आपको ऑपरेशन थ्येटर में एस्पिरिन से मिलती जुलती दवा, सुपरएस्पिरिन दे सकता है। यह नए थक्के को बनने से रोकती है। आपको हेपरिन नामक दवा भी दी जा सकती है। हेपरिन से रक्त कम "चिपचिपा" बनाती है और खतरनाक थक्के बनने की आशंका को कम करती है।


साथ ही आपको कुछ दर्द नाशक (पेन किलर) भी दिये जा सकते हैं। आपको बीटा ब्लॉकर्स भी दिये जाते हैं। बीटा ब्लॉकर्स हृदय की मांसपेशियों को हुए नुकसान को कम और भविष्य में दिल के दौरे को रोकने में मदद करते हैं। एसीई इनहैबिटर्स दिये जाते हैं, जो रक्तचाप और दिल पर तनाव को कम करते हैं। साथ ही आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं भी दी जाती हैं। शल्य चिकित्सा व अन्य प्रक्रियाएं-



आपको दिल का दौरा पड़ने पर इलाज के लिए दवाओं के अलावा निम्न कार्यविधियों से गुजरना पड़ सकता है:-


कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग-

आपातकालीन एंजियोप्लास्टी के जरिये रक्त प्रवाह को सुचारू करने के लिए अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों को खोला जाता है। इसमें डॉक्टरों एक धमनी के माध्यम से एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) डालता है। आमतौर पर यह अपने पैर या कमर से दिल में एक अवरुद्ध धमनी तक डाली जाती है। यह कैथेटर एक विशेष बलून (गुब्बारे) के साथ लगा होता है। एक बार स्थिति में आने के बाद गुब्बारा अवरुद्ध कोरोनरी धमनी खोलने के लिए फुलाया जाता है। ठीक उसी समय एक धातु जाल स्टेंट धमनी को अधिक समय तक खोले रखने और हृदय के रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए इसमें डाला जा सकता है।

कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी-

कुछ मामलों में डॉक्टरों को दिल का दौरा पड़ने के समय आपात बाईपास सर्जरी करनी पड़ सकती हैं। हो सकता है कि डॉक्टर इस सर्जरी को कुछ हृदयाघात के बाद निश्‍चित समय के भीतर ही करनी पड़ती है।


एक बार दिल का दौरा पड़ने के बाद अपके हृदय के रक्त प्रवाह बहाल होने और अपनी हालत स्थिर होने के बाद आपको देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है।


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