जन्म के बाद शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है ट्रांजियंट टेक्निपिया का संकेत, जानें इसके कारण और इलाज

जन्म के बाद कुछ शिशुओं में सांस से जुड़ी परेशानी देखी जा सकती है। इस समस्या को ट्रांजियंट टेक्निपिया कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में-  
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जन्म के बाद शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है ट्रांजियंट टेक्निपिया का संकेत, जानें इसके कारण और इलाज


नवजात शिशुओं में ट्रांजियंट टेकिप्निया एक श्वास संबंधी विकार है, जो डिलीवरी के तुरंत बाद या कुछ देर बाद शिशुओं में देखा जाता है। ट्रांजियंट का अर्थ है कि यह अल्पकालिक है (अक्सर 48 घंटे से कम)। वहीं, टेकिप्निया का अर्थ तेजी से सांस लेना (ज्यादातर नवजात शिशुओं की तुलना में तेज, जो सामान्य रूप से प्रति मिनट 40 से 60 बार सांस लेते हैं)। होता है। यानि इस समस्या से ग्रसित शिशु अल्पकालिक समय के लिए काफी तेजी से सांस लेता है। यह समस्या नवजात शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद या फिर कुछ समय बाद देखी जाती है। दरअसल, जन्म के बाद शिशुओं के फेफड़ों में तरल पदार्थ भरा होता है, जो सही से साफ नहीं होता है। इस स्थिति में फेफड़ों को ऑक्सीजन अवशोषित करने में कठिनाई होती है, जिसकी वजह से नवजात शिशु तेजी-तेजी से सांस लेते हैं। इसके साथ ही सांस में घरघराहट जैसी आवाज भी आती है। शिशुओं में यह समस्या आमतौर पर 1 से 3 दिनों तक रहती है। आइए जानते हैं इस समसस्या के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके क्या हैं? 

ट्रांजियंट टेक्निपिया का कारण 

जैसे-जैसे शिशु गर्भ में बढ़ता है, वैसे-वैसे फेफड़े एक विशेष तरल पदार्थ बनाते हैं। धीरे-धीरे यह द्रव फेफड़ों को भरता चला जाता है, इससे फेफड़ों का विकास होता है। इसके बाद जब डिलीवरी का समय आता है, तो प्रसव के दौरान निकलने वाले हार्मोन फेफड़ों को इस विशेष तरल पदार्थ को बनाने से रोकते हैं। इसके बाद शिशु के फेफड़े इस तरल पदार्थ को बाहर निकालना या फिर से अवशोषित करना शुरू कर देते हैं। डिलीवरी के बाद जब शिशु पहली बार सांस लेता है, तो फेफड़ों में हवा भर जाता है। इससे फेफड़ों में बचे तरल पदार्थ को साफ करने में मदद करता है। इसके अलावा शिशु के खांसने और सोने से भी बचा हुआ तरहल पदार्थ बाहर निकल जाता है। लेकिन अगर इन प्रक्रिया में किसी तरह का अवरुद्ध उत्पन्न हो जाए, तो तरल पदार्थ सही से बाहर नहीं निकल पाता है, जिसकी वजह से शिशु को टीटीएन हो सकता है। 

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इसके अलावा टीटीएन होने की संभावना कुछ शिशुओं में अधिक होती है, जैसे-

  • 38 वीक होने से पहले डिलीवरी होना। (समय से पहले डिलीवरी होना।)
  • सी-सेक्शन जन्म लेने वाले बच्चों को इस तरह की परेशानी हो सकती है। 
  • अगर मां को अस्थमा, डायबिटीज जैसी परेशानी है, तो बच्चे को टीटीएन हो सकता है। 
  • जुड़वा बच्चों को भी इस तरह की परेशानी हो सकती है। 
  • जन्म के समय अगर बच्चे का वजन ज्यादा होता है, तो इस तरह की परेशानी हो सकती है।
  • बेबी वॉय को इस तरह की परेशानी अधिक होने की संभावना होती है। 

ट्रांजियंट टेक्निपिया के लक्षण

  • जन्म के बाद शिशु के मुंह और नाक के आसपास की स्किन का रंग नीला होना। 
  • तेज गति से सांस लेना। 
  • बच्चे की नाक बार-बार फैलना और सिर हिलना 
  • शिशु द्वारा सांस लेने पर घरघराहट या घर्षण जैसी आवाज आना। 
  • सांस लेने में परेशानी
  • शिशु की पसलियां धसी हुई मसहूस होना, इत्यादि।

ट्रांजियंट टेक्निपिया का इलाज

शिशु को ट्रांजियंट टेक्निपिया की परेशानी होने पर जन्म के तुरंत बाद इसका इलाज शुरू किया जाता है, जो निम्न प्रकार हैं

  • टीटीएन से ग्रसित बच्चे को डॉक्टर अपनी निगरानी में रखता है। उसका बार-बार ऑक्सीजन लेवल और सांस लेने की गति की जांच की जाती है। 
  • कुछ शिशुओं को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है, इसके लिए शिशु को 24 घंटे के लिए एनआईसीयू में रखा जाता है। 
  • इस समस्या से ग्रसित बच्चे को फीडिंग कराना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में शिशु को इंट्रावेनस नली द्वारा आहार देने की कोशिश की जाती है। 
  • टीटीएन से ग्रसित बच्चे को डॉक्टर्स एंटीबायोटिक भी दे सकते हैं। 
  • काफी गंभीर स्थितियों में शिशु को वेंटीलेटर  में रखा जाता है। 

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जन्म के बाद शिशुओं में ट्रांजियंट टेक्निपिया की परेशानी देखी जा सकती है। हालांकि, ऐसे मामले काफी रेयर होते हैं। अगर आपके शिशु में इस तरह की परेशानी दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

 

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