
अगर आप प्रेगनेट हैं और जल्द ही आपकी डिलीवरी होने वाली है तो आपको हॉस्पिटल को डिलीवरी के लिए चुन लेना चाहिए। अगर आपने अब तक ये काम नहीं किया है तो हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ आसान टिप्स जिनकी मदद से आप डिलीवरी के लिए सही हॉस्पिटल का चुनाव कर सकेंगे। कई ऐसी सुविधा है जिन पर आपको गौर करना चाहिए जैसे ऑपरेशन की स्थिति में ओटी की सुविधा, नैचुरल बर्थ की स्थिति में लेबर रूम में मौजूद सुविधा आदि। इस लेख में हम ऐसी ही जरूरी टिप्स पर बात करेंगे।
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1. सरकारी हॉस्पिटल चुनें या प्राइवेट? (Government and private hospital for delivery)
सरकारी और प्राइवेट दोनों ही अस्पतालों मे ट्रेन्ड डॉक्टर्स और सर्जन होते हैं। आपको अपने बजट के मुताबिक भी हॉस्पिटल चुनना है। सरकारी सुविधा में आपको भीड़ मिल सकती है पर डॉक्टर के मामले में आज भी लोग सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर पर ज्यादा विश्वास करते हैं वहीं जांच रिपोर्ट की बात की जाए तो सरकारी हॉस्पिटल की रिपोर्ट पर लोगों को ज्यादा भरोसा रहता है पर सरकारी हॉस्पिटल में आपको प्राइवेट रूम मिले ये जरूरी नहीं है, हाईजीन के मामले में प्राइवेट हॉस्पिटल ज्यादा बेहतर होते हैं। आपको ऐसे हॉस्पिटल को चुनना चाहिए जो आपके बजट में हो और वहां सारी मेडिकल सुविधा मौजूद हो।
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2. मेडिकल सुविधा (Medical facility)
हॉस्पिटल में सही मेडिकल सुविधा भी होनी जरूरी है। आपको इस बात का ध्यान रखना है कि हॉस्पिटल में साफ-सफाई हो, सैनेटाइजेशन पर जोर हो। आपको नियोनेटल केयर यूनिट और डिलीवरी रूम को चेक करना चाहिए। सभी फैसिलिटी के साथ लैस हॉस्पिटल में डिलीवरी के दौरान जरूरत की सभी सुविधा जैसे एंबुलेंस सुविधा, डॉक्टर ऑन कॉल सुविधा, ओपीडी कार्ड की सुविधा आदि होनी चाहिए।
3. ट्रेन्ड मेडिकल टीम (Trained medical team)
आपको हॉस्पिटल चुनने से पहले उस जगह की मेडिकल टीम के बारे में जानना चाहिए। बहुत से ऐसे अस्पताल हैं जहां डॉक्टर उतने ट्रेन्ड नहीं होते जिसके चलते डिलीवरी के समय कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेडिकल टीम की बात करें तो आपको अच्छी गाइनोकॉलोजिस्ट के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए जो डिलीवरी के अंत तक आपका उपचार व डिलीवरी के दौरान साथ रहें।
4. एनआईसीयू (NICU facility)
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आप जिस हॉस्पिटल का चयन करें उसमें एनआईसीयू की फैसिलिटी जरूर होनी चाहिए क्योंकि जन्म के बाद नवजात शिशु में कई तरह की समस्याएं होती हैं जैसे सांस लेने में दिक्कत, प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण लो बर्थ वेट आदि। इन समस्याओं को दूर करने के लिए आप डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल चुनते समय इस बात पर गौर करें कि हॉस्पिटल में एनआईसीयू की सुविधा है या नहीं। एनआईसीयू को आप शिशुओं का आईसीयू भी कह सकते हें। अगर आप बिना एनआईसीयू वाले अस्पताल को चुनते हैं तो इमरजेंसी की स्थिति में जान का जोखिम हो सकता है।
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5. हॉस्पिटल की लोकेशन (Location of hospital)
डिलीवरी की स्थिति में हॉस्पिटल की लोकेशन बहुत मायने रखती है क्योंकि डिलीवरी के समय किसी भी समय अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है ऐसे में अगर अस्पताल दूर है तो आपको इमरजेंसी की स्थिति में परेशानी हो सकती है। आपको अपने आसपास के नर्सिंग होम और हॉस्पिटल से भी संपर्क में रहना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर आपको दूर-दराज के इलाके से हॉस्पिटल न जाना पड़े।
6. हाई रिस्क प्रेगनेंसी वार्ड (High risk pregnancy ward)
हॉस्पिटल में हाई रिस्क प्रेगनेंसी की सुविधा भी होनी चाहिए। हाई रिस्क प्रेगनेंसी की स्थिति में इमरजेंसी ब्लड की जरूरत पड़ सकती है इसके अलावा हाई रिस्क प्रेगनेंसी के वार्ड नॉर्मल वॉर्ड से अलग होते हैं, वहां ऑक्सीजन की सुविधा, वेंटीलेटर आदि होते हैं। अस्पताल में इस वार्ड की जरूरत ज्यादातर उन महिलाओं को पड़ती है जिन्हें डिलीवरी से ठीक पहले कॉम्प्लिकेशन जैसे बीपी बढ़ना, शुगर लेवल बढ़ना या अन्य किसी समस्या का सामना करना पड़ता है।
इन सभी बातों का ध्यान रखकर आप हॉस्पिटल का चुनाव करें और सुविधा व मेडिकल टीम को पहले प्राथमिकता दें।
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