
समय से पहले प्रसव यानी प्रीमेच्योर डिलीवरी में लड़कों के पैदा होने की संख्या लड़कियों के पैदा होने की संख्या से लगभग 14 गुना अधिक है। भारत में यह माना जाता है कि समय से पहले पैदा होने वाला बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होता और ऐसे बच्चों को बीमारियां जल्दी घेरती हैं।हाल ही में आयी एक रिपोर्ट इन धारणाओं को गलत ठहराती है। खासकर बेबी गर्ल के समय पूर्व प्रसव के मामले में। इसके लिए विश्व के अलग-अलग देशों में प्रीमेच्योर बेबी गर्ल और बेबी ब्वायज पर अध्ययन किया गया।
इस अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में प्रीमेच्योर डिलेवरी के केस में लड़के, लड़कियों की तुलना में 14 प्रतिशत आगे हैं। कुछ देशों में यह आंकड़ा अधिक है। इसकी खास बात यह है कि यह आंकड़ा पिछले कुछ सालों के आधार पर आया है।
यूके में यदि प्रीमेच्योर पैदा होने वाले लड़के और लड़की की संख्या की तुलना करें तो पाएंगे कि यहां भी आंकड़ा लगभग 14 प्रतिशत से ऊपर बैठता है। इसका मतलब यह है कि प्रीमेच्योरिटी के केस में लड़के आगे हैं।
इस तुलना को पिछले एक साल में पैदा होने वाले बच्चों के नजरिए से देखा जाये तो लगभग 5700 लड़के, लड़कियों की तुलना में प्रीमेच्योर पैदा हो रहे हैं।
इस सर्वे में स्वास्थ्य के मामले में भी एक बात सामने आयी है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि जल्द पैदा होने वाली लड़कियों के ऑगर्न शारीरिक रूप से उतने ही सक्षम होते हैं जितने की पूरी अवधि में पैदा होने वाले बच्चे के।
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