मोतियाबिंद के लिए नहीं कराने होंगे कई टेस्ट, इस जांच से शुरुआत में ही पता चल जाएगा

अगर आप भी अपनी आंखों की रोशनी को लेकर परेशान हैं तो अब आपको एक जांच के जरिए ही मोतियाबिंद जैसी बीमारी का पता चल जाएगा।  
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मोतियाबिंद के लिए नहीं कराने होंगे कई टेस्ट, इस जांच से शुरुआत में ही पता चल जाएगा


आंखों से जुड़ी एक समस्या मोतियाबिंद भी है जो काफी गंभीर मानी जाती है। मोतियाबिंद होने पर आंख के लैंस में एक धब्बा आ जाता है जिसकी वजह से नजर धुंधली होने लगती है। मोतियाबिंद का इलाज सही समय पर ना कराने से ये लोगों को हमेशा के लिए अंधा बना सकता है। लोग जब तक इसे समझ पाते हैं ये एक गंभीर चरण में पहुंच जाता है। लेकिन अब मोतियाबिंद का पता शुरुआत में ही लग जाएगा। 

इंटरनेशनल नेचर जेनेटिक्स नाम की एक पत्रिका में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के मुताबिक अब मोतियाबिंद के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक ही जांच के जरिए मोतियाबिंद का पता चल सकेगा। ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने मोतियाबिंद को शुरुआती चरण में ही पहचाननें के लिए एक जेनेटिक टेस्ट तैयार किया है जो मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कामयाब होगा। 

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शोधकर्ताओं ने फिलिनडर्स यूनिवर्सिटी ने 107 जीन की पहचान की है जो मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारी को पैदा करने का काम करते हैं और मोतियाबिंद के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होते हैं। इस गंभीर रोग को आगे ना बढ़ने से रोकने के लिए शोधकर्ताओं ने साथ ही एक जांच तैयार की है जो मोतियाबिंद का शुरुआती चरण में ही पता लगा सकेगी। ये जांच पीड़ित के खून या लार के सैंपल के जरिए होगी। ये जांच बीमारी की सटीकता के साथ पता लगा सकेगा। 

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जल्द हो सकेगा इलाज

शोधकर्ताओं का कहना है कि जब इस परीक्षण को मान्यता मिल जाएगी तो इससे डॉक्टर और मरीज दोनों को ही इलाज के लिए काफी आसानी हो जाएगी। इससे डॉक्टर भी मरीज को सही तरीके से इलाज के लिए बता सकेंगे और पीड़ित भी इस बीमारी से जल्दी निपटने के लिए सही इलाज करवा सकेंगे। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस जांच से डॉक्टर आसानी से मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारी से आंखों को होने वाले नुकसान को भी रोक सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, अभी शोधकर्ता मोतियाबिंद को पैदा होने को लेकर मरीज के परिवारिक इतिहास के बारे में जानने के लिए अध्ययन करेंगे। 

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कैसे होता है मोतियाबिंद? 

जैसा की आप सभी जानते हैं मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खत्म कर सकता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले हमे ये जानने की जरूरत है कि मोतियाबिंद होता कैसे हैं। आपको बता दें कि आंखों के अंदर एक फ्लूइड होता है जिसे एक्यूस ह्यूमर कहा जाता है। जब ये ह्यूमर आंखों में मौजूद एक संरचना से होकर बाहर आता है। लेकिन जब ये ह्यूमर बाहर आने की जगह बीच में ही रुक जाए। एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि मोतियाबिंद जैसी बीमारी जेनेटिक भी होती है। जिसकी वजह से ये कई बार माता-पिता को होने के बाद उनके बच्चों में तक भी पहुंच जाते हैं। 

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लक्षण 

मोतियाबिंद ना आपको कोई दर्द देता है ना ही आपको इससे कोई रुकावट होगी लेकिन ये धीरे-धीरे आपकी आंखों को खराब करने का काम करता है। आपको धीरे-धीरे ये महसूस होने लगेगा कि आपकी आंखों की रोशनी धुंधली होती जा रही है और यही कुछ समय बाद एक गंभीर चरण में पहुंच जाता है। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपकी आंखों की रोशनी धुंधली होती जा रही है तो आप इसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

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