डायबिटीज की समस्या शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी के कारण होती है। हमारे शरीर को सबसे अधिक ऊर्जा शुगर या स्टार्च से मिलती है लेकिन शुगर या स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले इंसुलिन की शरीर में कमी हो जाने से शुगर या स्टार्च खून में जमा होने लगता है और यह डायबिटीज का कारण बन जाता है। डायबिटीज में रोगी का ब्लड ग्लूकोज सामान्य से अधिक हो जाता है। जिन रोगियों में डायबिटीज की समस्या होती है उनके द्वार लिया गया खाना ऊर्जा में नहीं बदल पाता है। रोगी के खाना खाने के बाद वह शुगर के टुकड़ों में बंट जाता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों के पैनक्रियाज में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता है जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं मिल पाता है। इस प्रक्रिया को इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं। जब शरीर में इंसुलिन का पर्याप्त निर्माण नहीं होता है या इंसुलिन का प्रयोग भी नहीं हो पाता है तो शरीर के विभिन्न कोशिकाओं में ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है। जब ग्लूकोज कोशिकाओं में जाने की बजाय रक्त में ही बनने लगता है तो शरीर की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं जिससे विभिन्न तरह की समस्या हो सकती है जिसमें हर्ट अटैक, हृदयाघात व डिहाइड्रेशन शामिल है।
खाने का रखें खास खयाल
डायबिटीज रोगियों के लिए खाने का विशेष खयाल रखना बहुत जरूरी हो जाता है। थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना नहीं लेते रहने से हाइपोग्लाइसेमिया होने की आशंका काफी बढ़ जाती है जिसमें शुगर 70 से भी कम हो जाती है। इसलिए खाना लगभग हर ढ़ाई घंटे बाद लेते रहें। दिन भर में तीन बार खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा छह-सात बार खाएं। खाने में फाइबर ज्यादा लेना चाहिए। नाश्ते में अंकुरित अनाज, दलिया, ब्राउन ब्रेड सैंडविच, अंकुरित दाल आदि लें। उसके कुछ समय बाद सेब, संतरा, नाशपाती में से कोई भी फल लें। ध्यान रहे, मीठे फल यानी आम, केला, चीकू, अंगूर और लीची से परहेज करना है। दोपहर में खाने के समय चपाती, दाल, सब्जी और सलाद लें। शाम में स्नैक्स के तौर पर बिना चीनी की चाय के साथ एक मुट्ठी भुना चना या ब्राउन ब्रेड का छोटा-सा सैंडविच या घर का बना बेसन का चिल्ला लें। रात को खाने में दो चपाती, सब्जी, दाल और सलाद लें। अगर आप चावल लेते हैं तो छिलके वाली दाल के साथ लें और सलाद की मात्र बढ़ा दें। इंसुलिन ले रहे हैं तो एक छोटा कप टोंड दूध (बिना चीनी के) रात में नियमित रूप से लें।
मोटापा घटाएं
टाइप-2 डायबिटीज का संबंध इंसुलिन रेजिस्टेंस से होता है। इंसुलिन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो सेलों को ग्लूकोज का प्रदाता होता है। जब वजन बढ़ने लगता है तो शरीर की कोशिकाएं को पेनक्रियाज से इंसुलिन की मात्रा कम प्राप्त होती है। यदि किसी व्यक्ति में फैट सेल अधिक होते है तो इंसुलिन कम प्रभावी हो जाता है और बचा हुआ ग्लूकोज सरकुलेशन में रक्त के साथ आ जाता है और उसका शक्ति के रूप में प्रयोग होने लगता है। इस समस्या से निजात पाने के लिये वजन में कमी करना आवश्यक है जिससे खतरे कम हो सकते हैं।
व्यायाम करें
डायबिटीज रोगियों को दिन में कम से कम तीस मिनट व्यायाम करना चाहिए। आप इसे अपनी सुविधानुसार दिन भर में 10-10 मिनट के तीन हिस्सों में भी बांटकर कर सकते हैं। सबसे अच्छा यह रहेगा कि सुबह 10 निमट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की जाए। दोपहर के भोजन के बाद दस मिनट की तेज चाल चली जाए और शाम को एक लंबी वॉक पर जाएं। स्ट्रेंथ और काडिर्यो एक्सरसाइज का मेल आपके शरीर में ब्ल्ड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में काफी मददगार साबित होगा। इसके साथ इससे आपका दिल भी तंदुरुस्त रहेगा।
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