मालदीव ने साल 2009 में खसरा और साल 2015 अक्टूबर में रूबेला का मामला दर्ज किया था, वहीं, दूसरी ओर श्रीलंका ने मई 2016 में खसरा और मार्च 2017 में रूबेला के मामले की सूचना दी थी। रूबेला को खत्म करने के लिए मालदीव और श्रीलंका को सत्यापित किया गया था, जो उन्हें साल 2023 के लक्ष्य से आगे खसरा और रूबेला की सभी चीजों को प्राप्त करने के लिए डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पहले दो देश बनाते हैं।
रूबेला और खसरा को मालदीव-श्रीलंका ने किया खत्म
डब्लूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने बताया कि, "इन हत्यारों और घातक करने वाली बीमारियों के खिलाफ सभी बच्चों की सुरक्षा करना, स्वस्थ आबादी और अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के हमारी कोशिशें एक महत्वपूर्ण कदम है।'यह घोषणा दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय सत्यापन आयोग खसरा और रूबेला पर पांचवीं बैठक के बाद की गई थी। एक देश को खसरा और रूबेला को समाप्त करने के रूप में सत्यापित किया गया है। आपको बता दें कि मालदीव ने साल 2009 में खसरा का अंतिम और अक्टूबर 2015 में रूबेला का मामला दर्ज किया था। जबकि श्रीलंका ने मई 2016 में खसरा और मार्च 2017 में रूबेला के अंतिम मामला दर्ज किया था।
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WHO ने सफलता को बताया उत्साहजनक
पूरे विश्व में चल रही कोविड-19 (COVID-19)महामारी के बीच यह सफलता एक उत्साहजनक है। इसके साथ ही ये संयुक्त प्रयासों के महत्व को दर्शाने का काम करती है। इस पर डॉ. खेत्रपाल सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य कर्मचारियों, भागीदारों और सबसे महत्वपूर्ण है। जिन्होंने मिलकर इस सार्वजनिक सफलता पर साथ काम किया है। इसके अलावा क्षेत्रीय निदेशक ने इस महामारी के दौर में जूझते हुए बच्चों के जीवन की सुरक्षा के लिए टीके वितरित करने के लिए कई सदस्य देशों की कोशिशों की सराहना की है।
500 मिलियन बच्चों को लगाया गया टीका
आपको बता दें कि हाल के बीते सालों में सभी देशों ने खसरा और रूबेला की वैक्सीन की एक खुराक की शुरुआत की है। जिसमें खसरा की वैक्सीन की पहली खुराक कवरेज 88 प्रतिशत है और दूसरी खुराक की कवरेज करीब 76 प्रतिशत है। साल 2017 के बाद से ही करीब 500 मिलियन बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है। डॉ. खेत्रपाल ने कहा कि हमे कोई भी बच्चा पीड़ित न हो या इस घातक बीमारी से अपनी जान न गवां बैठे, गर्भवती महिला इस वायरस के कारण अपने बच्चे को जन्म के समय रूबेला से बचा सके और किसी भी बच्चे को दिल की बीमारी या फिर त्रासदी के कारण सुनने में हानि नहीं होनी चाहिए।
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साल 2023 का था लक्ष्य
डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सभी सदस्य देशों ने पिछले साल सितंबर में खसरा और रूबेला से लड़ने के लक्ष्य के रूप में साल 2023 निर्धारित किया था। जबकि साल 2014 से ही खसरा उन्मूलन और रूबेला को नियंत्रण करने को लेकर ध्यान केंद्रित किया गया था और इस पर काम शुरू कर दिया गया था।