आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप की खुमारी अपने पूरे शबाब पर है और हम भारतीयों के लिए क्रिकेट किसी धर्म से कम नहीं है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि भारत एक ऐसा देश है, जो खाता,सोता और क्रिकेट के सपने देखता है और ऐसा हो भी क्यों न भारत सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, एमएमस धोनी और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों का देश जो है। दो बार विश्व कप का खिताब चुकी भारतीय टीम को इस बार प्रोत्साहित करने के लिए ये सवा सौ करोड़ की आबादी वाला देश इस बार कमर कस चुका है ताकि वह अपनी टीम को एक बार फिर विश्व कप जीतते हुए देख सके।
इन खिलाड़ियों के लिए अपने देश के लिए खेलना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है इनका फिट रहना। इसके अलावा इनके लिए चोट से दूर रहना भी बहुत जरूरी है। लगातार चोट लगने से खिलाड़ी लंबे अरसे तक क्रिकेट से दूर हो सकते हैं और उनका वर्ल्ड कप का सपना एक बुरे सपने में तब्दील हो सकता है।
क्रिकेट में चोटों की संभावना पिछले कई वर्षों के मुकाबले काफी बढ़ गई है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले मैचों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। अगर आप एक गेंदबाज हैं तो आपके कंधों, पीठ के निचले हिस्से और आपके घुटने में चोट लगने की संभावना अधिक होती है। आमतौर पर तेज गेंदबाजों को घुटने की चोट लगने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि वे अपने घुटने के जरिए गेंद में गति लाते हैं। घुटनों पर खिंचाव से लिगामेंट टियर या टिश्यू फट सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की चोटें हैं, जो क्रिकेट फील्ड पर आपके घुटने को प्रभावित कर सकती हैं। इस तरह की चोट के मामले में तत्काल उपचार के विकल्पों में प्रत्येक 3-4 घंटे में लगभग 20-30 मिनट के लिए प्रभावित क्षेत्र पर आइस पैक लगाना, सूजन और लंबे समय तक आराम को रोकने के लिए एक लोचदार पट्टी का उपयोग करना शामिल है। हम आपको ऐसी आम घुटने की चोटों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे हर खिलाड़ी को सचेत रहना चाहिए। हम आपको बताएंगे कि कैसे आप इन खेल बिगाड़ने वाले खतरों को कम कर सकते हैं।
टोर्न मेनिस्कस
हमारे घुटने में दो कार्टिलेज डिस्क होते हैं जिन्हें मेनिस्कस कहा जाता है। ये डिस्क शॉक अवशोषक के रूप में कार्य करते हैं और अगर आप क्रिकेटर हैं तो आप मीडियल मेनिस्कस टियर और लेटरल मेनिस्कस टियर के माध्यम से इन डिस्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेटरल मेनिस्कस टियर गति का प्रदर्शन करते हुए होता है, जबकि मीडियल मेनिस्कस टियर उच्च प्रभाव वाली चोटों से जुड़ा होता है। एक गेंदबाज के इस स्थिति से पीड़ित होने की अधिक संभावना होती है।
हालांकि, तेज रन लेने से भी बल्लेबाज के टिश्यू फट सकते हैं। इंग्लैंड के पूर्व ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को लगातार मेडिसल इंजरी के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा था। पिछले साल ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा को भी एक महीने तक मेनिस्कल टियर के कारण मैदान से बाहर रहना पड़ा था।
अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो आपके घुटने में तेज दर्द, सूजन और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण होंगे। एमआरआई स्कैन, घुटने का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आपको इस चोट का निदान करने में मदद कर सकते हैं।
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पैटेलर फ्रैक्चर
पैटेलर फ्रैक्चर को आपके घुटने की कैप का फ्रैक्चर भी कहा जाता है। इस चोट में आमतौर पर गिरने के बाद आपका घुटना टूट जाता हैं। इस चोट के कारण आप कम से कम 6-8 सप्ताह के लिए मैदान से बाहर हो जाते हैं। चोट की गंभीरता के आधार पर आपको सर्जरी से भी गुजरना पड़ सकता है।
आमतौर पर गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक इस चोट का शिकार होते हैं। एक तेज-गेंदबाज गेंद को रिलीज करते समय अपने घुटने पर बहुत दबाव डालता है जो कि एक पैटेलर फ्रैक्चर का कारण बन सकता है जबकि गेंद को पकड़ने के लिए जब कोई फील्डर अपने घुटने के बल गिरता है उसे यह चोट लग सकती है। एक्स-रे, एमआरआई स्कैन और बोन स्कैन आपको निदान में मदद कर सकते हैं।
कोलेटरल लिगामेंट टियर
कोलेटरल लिगामेंट आपके घुटनों के बाहरी तरफ मौजूद ऊतकों का एक बैंड होता है। यह आपके घुटने के जोड़ों को स्थिर रखता है। यह चोट तब लगती है जब आप अचानक अपने घुटने मोड़ते हैं जिससे आपके घुटने तेजी से मुड़ जाते हैं और उसमें चोट लग जाती है।
गेंदबाजों को यह चोट उस वक्त लग सकती है जह वह क्रीज पर सही तरीके से पैर नहीं रख पाते। क्षेत्ररक्षक अक्सर गेंद का पीछा करते हुए अपने घुटने मोड़ लेते हैं तब उन्हें इस प्रकार की चोट लग सकती है। इसके अलावा बल्लेबाज विकेटों के बीच दौड़ते हुए अपने इस चोट का शिकार हो सकता है।
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एक्सटर्नल नी इंजरी
यह चोट क्रिकेट के मैदान में किसी को भी लग सकती है। जब आप अपने विकेट को बचाने या गेंद को सीमा पार करने से रोकने के लिए गोता लगाते हैं, तब आपके घुटने जमीन से टकरा सकते हैं और आप घायल हो सकते हैं। दुर्लभ मामलों में गेंद आपके घुटने पर लगकर आपको चोट पहुंचा सकती है।
सुरक्षात्मक गियर पहनने से कुछ हद तक बल्लेबाज और कुछ करीबी क्षेत्ररक्षकों इस चोट से बच सकते हैं। लेकिन मैदान पर मौजूद अन्य लोग इस चोट से खुद को बचा नहीं सकते। चोट के बाद उपचार और पुनर्वास के साथ-साथ घुटने को मजबूत करने वाले वर्कआउट ऐसे मामलों में बेहद जरूरी हैं।
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