मां बनना एक महिला के लिए सबसे सुखद एहसास होता है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं। इस दौरान गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। प्रेगनेंसी के आखिरी महीने सबसे नाजुक और खास होते हैं। प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में बच्चे का पूर्ण विकास हो जाता है, इसलिए इस समय सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर डिलीवरी के समय तक, एक गर्भवती महिला को तरह-तरह के टेस्ट्स और स्क्रीनिंग की जरूरत होती है। इससे बच्चे की सेहत और ग्रोथ को ट्रैक किया जा सकता है। यह गर्भवती महिला और शिशु के लिए बहुत जरूरी होता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे की प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में कौन से टेस्ट करवाने होते हैं -
प्रेगनेंसी के आखिरी तीन महीनों में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए? - Tests during last trimester pregnancy
प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीने मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी हैं। इस दौरान गर्भ में बच्चे का साइज बढ़ रहा होता है। इसलिए, गर्भवती महिला को अधिक देखभाल और पोषण की जरूरत होती है। प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में कई तरह के मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं। इससे शिशु के विकास के बारे में जानकारी हो पाती है। आइए जानते हैं कि प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में आपको कौन से टेस्ट करवाने होंगे -
डॉपलर टेस्ट - Doppler Test
प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में डॉपलर टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट नॉर्मल अल्ट्रासाउंड की तरह ही किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि गर्भ में शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिल पा रहा है। अगर गर्भ में जुड़वा बच्चे हों, पहली प्रेगनेंसी में शिशु का आकार छोटा रहा हो या गर्भवती महिला को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो, तो इन स्थितियों में भी डॉक्टर डॉप्लर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इससे डिलीवरी के समय होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है।
ग्लूकोज स्क्रीनिंग - Glucose Screening
प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में गर्भवती महिला के शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ जाता है। अगर लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहे, तो इससे शिशु के अंदरूनी अंग खराब हो सकते हैं। इस दौरान बच्चे के सही विकास की जांच करने के लिए ग्लूकोज स्क्रीनिंग की जाती है।
इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में पेट टाइट महसूस होता है, तो बदल दें ये 5 आदतें
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट - Group B Streptococcus test
प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट (जीबीएस) भी किया जाता है। इससे शरीर में संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। जीबीएस बैक्टीरिया महिलाओं के मुंह, गले व योनि में पाया जाता है। अगर गर्भवती महिला संक्रमित होती है, तो डिलीवरी के समय यह संक्रमण मां से बच्चे तक पास हो सकता है।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट - Contraction Stress Test
प्रेगनेंसी के आखिरी हफ्ते में कॉन्ट्रक्शन स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता चल पाता है कि बच्चा जन्म के समय होने वाले कॉन्ट्रैक्शन का सामना कितनी अच्छी तरह से कर पाएगा। कांट्रेक्शन स्ट्रेस टेस्ट के जरिए शिशु का हार्ट रेट की जांच की जाती है।\
इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए? जानें डॉक्टर की राय
प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीनों में ये टेस्ट और स्कैन करवाना जरूरी है। ये सभी टेस्ट गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version