टॉक थेरेपी यानी बातचीत के जरिये आप मुश्किल से मुश्किल समस्याओं को हल ढूंढ सकते हैं। अगर आप किसी बात को लेकर असंजस की स्थिति में हैं तो किसी से सलाह और मशविरा लेना आपकी मुसीबत का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
टॉक थेरेपी सबसे ज्यादा उन लोगों के लिए मददगार होती है जो पर्सनालिटी डिसऑर्डर (मानसिक बीमारी) से ग्रस्त होते हैं। कई शोधों में भी यह बात साबित हो चुकी है कि मनौवैज्ञानिक दुविधा में उलझे लोगों की समस्याओं का हल आसानी से कर देते हैं और उनको उहापोह की स्थिति से निकालने में मदद करते हैं। तो अगर आपको भी लगता है कि आपको टॉक थेरेपी की जरूरत है तो उसका फायदा जरूर उठाइये।
कब काम करती है यह थेरेपी
अगर आप किसी प्रकार के मानसिक विकार से ग्रस्त हैं और आपको निर्णय लेने में दुविधा होती है तब यह थेरेपी आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। मानसिक असंतुलन की स्थिति में, चिंता होने पर, तनाव में रहने पर, अवसाद की स्थिति में, आपको भय लगता हो, ऐसी स्थिति में आप टॉक थेरेपी का सहारा लीजिए।
थेरेपी और दवायें
अगर आपको सामान्य मानसिक विकार है तो टॉक थेरेपी आपके उपचार में मददगार हो सकती है, लेकिन अगर आप किसी खतरनाक मानसिक बीमारी की चपेट में हैं तो आपके लिए बेहतर होगा कि दवा का प्रयोग करें। लेकिन मानसिक विकार से उपचार के दौरान आप दोनों का फायदा उठा सकते हैं, इससे उपचार में आसानी होगी और आपका रोग जल्दी ठीक हो जायेगा।
पूरी बात बतायें
डिप्रेशन और अवसाद के इलाज में टॉक थेरेपी बहुत कारगर है। इसमें बातचीत के जरिए आप अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार कर सकते हैं। थेरेपिस्ट को प्रतिक्रिया देने, सवाल पूछने का अधिकार दें, ताकि दर्द और डिप्रेशन से राहत दिलाने में वह आपकी मदद कर पाए। उसे अपनी समस्याओं के बारे में बतायें, उसे सारी बातें खुलकर बतायें, कि आप क्या फील करती हैं, उससे कुछ भी न छुपायें।
टॉक थेरेपी के फायदे
मनोविकार होने पर आपका दिमाग हर वक्त उहापोह की स्थिति में रहता है। ऐसे में सामान्य अवस्था होने पर आप किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं ले पाते हैं। ऐसे में टॉक थेरेपिस्ट यानी मनोवैज्ञानिक आपकी मदद करता है।
टॉक थेरेपी एक गिफ्ट की तरह है जो मनोविकार की स्थिति से निकालने में मदद करता है। तो अगर आपको भी ऐसी कोई समस्या है तो टॉक थेरेपी का सहारा लीजिए।
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