एंटीबायोटिक दवाओं का नियमित रूप से सेवन या फिर अधिक मात्रा में सेवन करना आपके स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। हालांकि, कई बार आपके पास एंटीबायोटिक दवाओं को लेने के अलावा, दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है। लेकिन हां, अगर आप एंटीबायोटिक दवाएं नियमित रूप से ले रहे हैं, तो इसकी संख्या पर ध्यान दें। ऐसा कहने के पीछे यह कारण है कि हाल में ही हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि बहुत अधिक या ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं लेने से यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या का कारण बन सकती हैं। आइए ये नया अध्ययन क्या कहता है विस्तार से जानने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें।
स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट और संयुक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं द्वारा 'द लैंसेट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में एंटीमाइक्रोबियल ट्रीटमेंट और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के बीच सहयोग के बारे में बात की है।
बहुत अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन दे सकता है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम
इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि एंटीबायोटिक्स दवाओं का इस्तेमाल के साथ माइक्रोबियल कवरेज स्पैक्ट्रम इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और इसके उपप्रकार अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन डिजीज के जोखिम से जुड़ा है।
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अध्ययन में पाया गया है कि तेजी से आर्थिक विकास और एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक उपयोग से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम विशेष रूप से यूरोप, अमेरिका और दुनिया के कई हिस्सों में आम होता जा रहा है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें कि पेट में तेज दर्द, बेचैनी और मल त्याग में परेशानी आदि समस्याएं होती है। यह एक तरह से आंतों के खराब होने का संकेत देता है। इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाओं के साथ गलत खानपान कब्ज की समस्या को पैदा कर सकता है। इसलिए, मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पेट माइक्रोबायोम की भूमिका के लिए बढ़ती प्रशंसा के साथ चिंता भी बढ़ गई है।
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इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लगभग 24,000 नए इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मामलों (16,000 अल्सरेटिव कोलाइटिस और 8,000 क्रोहन रोग) की पहचान की। इसमें कई जोखिम वाले कारकों के समायोजन के बाद पाया गया कि एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लगभग दो गुना बढ़े जोखिम के साथ जुड़ा हुआ था। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इस बाउल सिंड्रोम से कैंसर भी हो सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। लेकिन एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि ग्रीन टी एंटीबायोटिक्स के नुकसान को कम कर सकती है।
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अध्ययन के वरिष्ठ लेखक, प्रोफेसर जोनास एफ लुडविग्सन ने कहा, "इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए जोखिम कारकों की पहचान करना महत्वपूर्ण है और हमारा उद्देश्य बीमारी को रोकना है।'' वह आगे कहते हैं, "हमारा अध्ययन अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक रूप से उपयोग करने से बचने के लिए कहता है।"
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