ज्यादातर हम सभी गर्भावस्था के दौरान डाइट के बारे में बात करते हैं लेकिन गर्भधारण से पहले डाइट के बारे में कभी आपने सोचा है? एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए, आपको गर्भावस्था के दौरान क्या खाना चाहिए, यह देखना चाहिए, लेकिन स्वस्थ और सहज गर्भावस्था के अनुभव के लिए, गर्भावस्था की योजना बनाते समय एक महिला को अपनी डाइट और खानपान का भी ध्यान रखना चाहिए। हाल के वर्षों में बच्चे के जन्म के पैटर्न को देखते हुए, शोध कहते हैं कि समय से पहले प्रसव यानि प्रीमेच्योर बर्थ का प्रतिशत बढ़ गया है। जिसका एक जिम्मेदार कारक खराब खानपान और जीवन शैली की आदतें हैं। जबकि मांएं अपनी गर्भावस्था की डाइट पर नज़र रखती हैं, लेकिन वे गर्भावस्था से पहले की डाइट के महत्व को अनदेखा करती हैं। यहां जानिए कि प्री-प्रेगनेंसी डाइट और समय से पहले प्रसव के संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का क्या कहना है।
वेजीटेबल डाइट की स्वास्थ्य की कुंजी है
रेडी-टू-ईट प्रोसेस्ड फूड की वजह से हम अपनी जड़ों को भूल गए हैं। सभी जंक फूड्स के प्रचलन से पहले, हम सब्जियों और फलों से भरा एक स्वच्छ आहार लेते थे। लोग ज्यादातर शाकाहारी थे, जो सब्जियों को ही अपने भोजन का एक अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। जैसे-जैसे हम पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की ओर बढ़े, हमने पोषण से भरे खाद्य पदार्थों को पीछे छोड़ दिया। यह अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का मूल कारण है।
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एक शोध दल द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जिसमें अध्ययन का शीर्षक है: 'प्री-प्रेग्नेंसी डाइटरी पैटर्न और प्रीटर्म बर्थ एंड लो बर्थ वेट का खतरा: द् ऑस्ट्रेलियन लॉन्गिट्यूडिनल स्टडी ऑन वुमेन हेल्थ' के निष्कर्ष और अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन, 2020 में प्रकाशित हैं।
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इस अध्ययन में टीम ने लगभग 3,500 महिलाओं के आहार का विश्लेषण किया और पाया कि जिन महिलाओं ने अपने गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था तक कद्दू, गोभी, गाजर, गोभी, आलू, हरी बीन्स, ब्रोकोली आदि सब्जियों का सेवन किया। उनमें बिना किसी परेशानियों के पूर्ण गर्भावस्था के 9 महीने की अवधि थी।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डेरेजे गेटे ने कहा, “पारंपरिक सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट या एंटी इफ्लामेटरी गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिनकी प्रभाव बच्चे के जन्म परिणामों के पड़ने वाले जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्भधारण से पहले महिलाएं कैल्शियम और आयरन जैसे कुछ संग्रहीत पोषक तत्वों पर निर्भर करती हैं, जो नाल और भ्रूण के ऊतक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
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उन्होंने कहा, "बच्चे के गर्भ में आने के बाद एक स्वस्थ आहार शुरू करना बहुत देर हो सकती है क्योंकि पहली तिमाही के अंत तक बच्चे पूरी तरह से बन जाते हैं।"
प्रोफेसर और साथी शोधकर्ता गीता मिश्रा के अनुसार, आहार परिवर्तन और कुछ आहार रणनीतियों से एक महिला को गर्भधारण के लिए अपने शरीर को तैयार करने में मदद मिल सकती है।
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा, "समय से पहले पैदा हुए बच्चे वयस्कता में मेटाबॉलिज्म और क्रोनिक डिजीज के अधिक जोखिम का सामना करते हैं, साथ ही साथ उनमें खराब संज्ञानात्मक विकास और शैक्षणिक प्रदर्शन भी होता है।"
नोट: समय से पहले प्रसव से मां व बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा होता है और यह ऑस्ट्रेलिया में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
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