भारत समेत पूरी दुनिया में करोना का कहर जारी है। भारत में जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 84 लाख के पार हो चुकी है, वहीं मृतकों की संख्या अब 1.25 लाख के पार हो गई है। ऐसे में वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार बढ़ते मामलों को लेकर परेशान हैं। सबसे ज्यादा चिंता उन्हें कोरोना के बिना किसी लक्षण वाले मरीजों (asymptomatic covid patients) की है, जो कि हाइली कॉन्टेजियस माने जा रहे हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया। दरअसल, अमेरिका में एक ब्लड कैंसर की रोगी में 105 दिनों तक कोरोनोवायरस रहा, पर उसमें इसके एक भी लक्षण नहीं दिखे। चौकाने वाली बात ये है कि वो अनजाने में ही 70 दिनों तक इस वायरस को फैलाती रही। इस घटना ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सदमे में डाल दिया है कि कैसे किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस बिना किसी लक्षण के इतने दिनों तक रह सकता है। वो भी तब जबकि उसे पहले से ही ब्लड कैंसर हो और उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो।
ब्लड कैंसर की इस रोगी से जुड़ा ये शोध जर्नल सेल (journal Cell) में प्रकाशित हुआ है। शोध में बताया गया है कि इस घटना ने शोधकर्ताओं के लिए एक नई चुनौती खड़ी की है और खोज का एक नया विषय दिया है। अब शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को इस बात पर फिर से अध्ययन करना होगा कि आखिरकार कोरोना का वायरस कब तक किसी व्यक्ति में सक्रिय रह सकता है। शोधकर्ता अब भी इस पहली को सुलझा नहीं पा रहे कि कोरोना वायरस क्यों किसी में अतिसक्रिय और क्यों किसी में बिलकुल शांत और एसिम्प्टोमैटिक (asymptomatic)।
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इस घटना से ध्यान देने वाली बात ये भी है कि कोरोना वायरस की शुरुआत के दौरान शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने कोरोना के लक्षणों को दिखने में 8 से 14 दिन तक समय लेने की बात कही थी। पर अगर इस वाकये को देखें, तो इस महिला के अंदर 70 दिन तक बिना किसी लक्षण के कोरोना वायरस रहा, यानी कि दुनिया में ऐसे कई और व्यक्ति भी हो सकते हैं, जिन्होंने दूसरों को कोरना फैलाया हो और खुद एसिम्प्टोमैटिक रहे हों।
अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज में एक वायरोलॉजिस्ट और इस शोध के प्रमुथ शोधकर्ता विंसेंट मुंस्टर ने इस घटना को लेकर कहा कि "जिस समय हमने यह अध्ययन शुरू किया था, हम वास्तव में वायरस की अवधि के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। उन्होंने आगे ये भी कहा कि "चूंकि यह वायरस फैलता जा रहा है, इसलिए ऐसे इम्युनोसप्रेसिंग विकारों से अधिक लोग संक्रमित हो जाएंगे और अब यह समझना महत्वपूर्ण हो गया है कि SARS-CoV-2 इक बड़ी एसिम्प्टोमैटिक आबादी में कैसे व्यवहार करता है।"
अध्ययन में कहा गया है कि वाशिंगटन का मरीज महामारी से बहुत पहले कोरोनवायरस से संक्रमित हो गया था और 105 दिनों में कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि 71 वर्षीय महिला की इम्यूनिटी क्रोनिक ब्लड कैंसर के कारण कमजोर थी, लेकिन उसने कभी भी COVID-19 के लक्षण नहीं दिखाए। शोधकर्ताओं ने कहा कि रोगी के ऊपरी श्वसन पथ से नियमित रूप से एकत्र किए गए नमूनों ने पाया कि कोरोनोवायरस पहले पॉजिटिव परीक्षण के बाद कम से कम 70 दिनों तक महिला के शरीर के अंदर बने रहे।
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शोधकर्ताओं के अनुसार, महिला इतने लंबे समय तक कोरोनोवायरस पॉजिटिव रही और कोई लक्षण नहीं दिखे इसके पीछे उसका एक कॉम्प्रमाइजड इम्यून सिस्टम हो सकता है। पर महिला के ब्लड टेस्ट से पता चला कि उसका शरीर कभी भी एंटीबॉडीज बनाने में सक्षम नहीं था। ऐसे में ये शोधकर्ताओं के सामने एक विचित्र स्थिति पैदा करता है। इसलिए इस विषय पर अभी आगे और भी शोध होगा। तब जरूरी ये कि हम कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर जोर दें और इन्हें लेकर कोई भी लापरवाही न करें।
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