शिशुओं में भी होती है तनाव (स्ट्रेस) की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके

छोटे बच्चों का तनाव में रहना, उनके विकास को रोक सकता है। ऐसे में माता-पिता को समय रहते इसके लक्षण, कारण और बचाव जानना जरूरी है।
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शिशुओं में भी होती है तनाव (स्ट्रेस) की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके


किसी व्यक्ति के लिए तनाव में रहना उसके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन अगर तनाव बच्चे को घेर ले तो कैसा हो? जी हां, बच्चे के जीवन पर भी तनाव काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। खासतौर पर शिशुओं के लिए या ज्यादा छोटे बच्चों के लिए तनाव बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। वहीं अगर यह तनाव बच्चों में काफी लंबे समय तक रहे तो इससे उनकी सोचने समझने की क्षमता और विकास यानी शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि शिशु के लिए तनाव होने के पीछे क्या कारण होते हैं। साथ ही लक्षण और बचाव के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...

 

शिशु और छोटे बच्चों में तनाव के लक्षण

बता दें कि शिशुओं में तनाव होने पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरीकों से लक्षण नजर आ सकते हैं जानते हैं इन लक्षणों के बारे में...

1 - किसी एक चीज को लंबे समय तक देखना।

2 - नींद ना आना यानी अनिद्रा की समस्या होना।

3 - बच्चों का कभी आराम न करना।

4 - हर वक्त डर लगना या अजनबियों के पास आने पर कतराना।

5 - हर वक्त गुस्सा करना।

6 - सिर में दर्द महसूस करना

7 - बच्चे को भूख कम लगना।

8 - पेट में दिक्कत होना या पेट में दर्द रहना।

9 - बच्चों का बिस्तर पर पेशाब कर लेना।

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शिशु और छोटे बच्चों का तनाव में रहने के कारण

अकसर बच्चे छोटे मोटे कारणों से ही परेशान हो जाते हैं या रोने लगते हैं। इसी के कारण बच्चे तनाव भी महसूस कर सकते हैं। ये कारण निम्न प्रकार हैं-

1 - जब बच्चे अपनी मां या पिता से दूर हो जाते हैं तब वह तनाव महसूस कर सकते हैं। ऐसे बच्चे जल्दी घबरा जाते हैं और उनमें तनाव के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

2 - जब बच्चों की परवरिश लड़ाई भरे माहौल में होती हैं तो उनमें भी तनाव की समस्या देखी जा सकती है।

3 - जो बच्चे किसी शारीरिक समस्या का शिकार हो जाते हैं तब भी तनाव में रह सकते हैं।

4 - आमतौर पर तनाव में रहने के पीछे कई और भी कारण हो सकते हैं। जैसे माता-पिता का तलाक, माता-पिता का झगड़ा, परिवार में कलह क्लेश, हर वक्त अकेला रहना, भरपूर प्यार ना मिल पाना, हर वक्त डांट का सामना करना आदि।

 

शिशु और छोटे बच्चों में तनाव से बचाव

1 - बच्चों को भरपूर प्यार देना।

2 - बच्चों को अकेलापन महसूस करना।

3 - माता-पिता का उनके पास ज्यादा से ज्यादा समय बिताना।

4 - बच्चे को प्यार भरा माहौल देना और उन्हें सुरक्षित महसूस करवाना।

5 - बच्चों की मालिश भी उन्हें इस समस्या से दूर कर सकती है।

6 - बच्चों की रोते वक्त उनके साथ रहना।

7 - अगर बच्चा बोलता है तो उसकी बातों को सुनना, समझना और उसकी परेशानी को दूर करना।

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शिशु या छोटे बच्चों में तनाव होने पर इलाज

1 - बच्चों को गोदी में लेकर हल्का-हल्का गाना गाना।

2 - बच्चों को झूला झूलाना।

3 - बच्चों के साथ खेलना।

4 - बच्चों को नए नए लोगों से मिलवाना।

5 - बच्चों को बाहर घुमाना।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि शिशु या छोटे बच्चों में तनाव होना एक चिंता का विषय है। ऐसे में पेरेंट्स को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर ऊपर बताए गए लक्षण बच्चों में नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे अलग बच्चों के सामने लड़ाई, झगड़ा या ऊंची आवाज में बातचीत करना बंद करें।

इस लेख में फोटोज़ Freepik से ली गई हैं। 

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