टाइप 1 में मददगार है स्टेम सेल चिकित्सा

स्टेम सेल चिकित्सा एक ऐसी पद्धति है जिसके माध्यम से व्यक्ति के शरीर की चोट या किसी विकार को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। मधुमेह 1 में स्टेम सेल चिकित्सा बहुत कारगार सिद्ध हुई है। हालांकि अभी भी इस चिकित्सा पर शोध चल रहे हैं। आइए जानें मधुमेह में स्टेम सेल चिकित्सा कितनी लाभकारी है।
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टाइप 1 में मददगार है स्टेम सेल चिकित्सा


स्टेम सेल चिकित्सा एक ऐसी पद्धति है जिसके माध्यम से व्यक्ति के शरीर की चोट या किसी विकार को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। स्टेम सेल आधारित चिकित्सा को स्टेम कोशिका उपचार के नाम से जाना जाता है। दरअसल सेल चिकित्सा के तहत शरीर पर चोट और विकार के इलाज के लिए क्षतिग्रस्त अंगों में नई कोशिकाओं को प्रवेश करवाया जाता है। वास्तव में यह चिकित्सा चोट और विकार को दूर करने वाली है। हालांकि अभी भी इस चिकित्सा पर शोध चल रहे हैं। आइए जानें मधुमेह में स्टेम सेल चिकित्सा कितनी लाभकारी है।

diabetes injection

  • यदि मधुमेह 1 से पीडि़त किसी रोगी के घाव या शरीर का कोई अंग क्षतिग्रस्त  हो गया है और किसी भी चिकित्सा1 पद्धति में उस घाव को सही करने का इलाज नहीं है तो स्टेम सेल आधारित चिकित्सा की मदद से घाव की पीड़ा और क्षतिग्रस्त अंग को ठीक किया जा सकता है।
  • दरअसल, सेल चिकित्सा  के द्वारा रोगी के अपने ही कुल्हे की हड्डियों से अस्थि मज्जा लेकर उसे विशेष मशीन से संसाधित करके क्षतिग्रस्त अंग की मांसपेशियों में इंजेक्ट कर दिया जाता है। यह सेल चिकित्सा तभी की जाती है जब सभी परंपरागत सर्जरी या चिकित्सा थेरेपी असफल हो जाती है।
  • स्टेम कोशिकाएं स्वयं पुनर्निर्मित होकर अलग-अलग स्तरों पर क्षतिग्रस्त अंगों में आंशिक बदलाव और उनका नवनिर्माण करने की क्षमता रखती हैं। 
  • सेल चिकित्सा में स्टेम कोशिकाएं ऊतकों को बनाने और शरीर के विकार को दूर करने का महत्वपूर्ण काम करती हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ है कि इस उपचार का कोई दुष्परिणाम या अतिरिक्त प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि ये चिकित्सा थोड़ी महंगी जरूर होती है, लेकिन काफी हद तक कारगार होती है। 
  • मधुमेह 1 से पीड़ित रोगियों में इन्सुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं कार्य करना बंद कर देती है।

 

मधुमेह 1 में स्टेम सेल चिकित्सा कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है

stem cell

  • प्रतिरोपित की जाने वाली कोशिकाओं को पुनर्जीवित होना चाहिए।
  • प्रतिरोपित कोशिकाओं को उत्तक कोशिकाओं के भीतर ही द्विगुणित होना चाहिए।
  • प्रतिरोपित कोशिकाओं का  प्राप्तकर्ता में जीवित होना अनिवार्य है यानी उनका रोगी के शरीर में कार्य करना अनिवार्य है।
  • प्रतिरोपित कोशिकाओं को जहां ट्रांसमीट किया जा रहा है उनका वहां यानी उत्तक कोशिकाओं के भीतर एकीकृत होना अनिवार्य है।
  • प्रतिरोपित कोशिकाओं का रोगी के शरीर में स्थानांतरित होकर कार्य आरम्भ करना अनिवार्य है।

    हालांकि स्टेम सेल चिकित्सा से प्रकार 1 मधुमेह को नियं‍त्रि‍त किया जा सकता है लेकिन इस तरह की चिकित्सा किसी कुशल डॉक्टर की सलाह पर ही करवानी चाहिए।


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