
सर्दियों में नवजात शिशु की देखभाल करना एक बड़ा टास्क होता है ऐसे में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। इसी प्रकार सर्दियों में मां की सुरक्षा भी जरूरी होती है। दोनों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि अगर आप सर्दियों में मां बनने वाली हैं तो आने वाले बच्चे और खुद की देखभाल के लिए किन सावधानियों को बरतना जरूरी है? साथ ही आप सर्दियों का लुफ्त कैसे उठा सकते हैं बढ़ते हैं? पढ़ते हैं आगे...
प्रेग्नेंट महिला को ठंड से बचना चाहिए
जब महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसका इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है ऐसे में शिशु के जन्म से पहले ठंड से बचना जरूरी है। इसके लिए बेवजह शाम में खुली हवा के बीच टहलना जरूरी नहीं है। सुबह शाम ऊनी कपड़ों की मदद से आप खुद को गर्माहट दे सकती हैं। डिलीवरी से पहले अगर आप खांसी जुकाम जैसी समस्या से ग्रस्त नहीं होंगी तो डिलीवरी के बाद आपकी सेहत में जल्दी सुधार आएगा। ऐसे में ध्यान रखें कि जब भी हॉस्पिटल जाने से पहले अपना बैग तैयार करें तो ऊनी कपड़ों के साथ है जरूरी सामान रखना न भूलें।
शिशु के आने पर
जन्म के बाद शुरुआती दिनों में कम से कम 3 से 5 दिन तक शिशु की देखभाल अस्पताल में की जाती है इसीलिए परिवार पर शुरुआत में कोई जिम्मेदारी नहीं आती है। बता दें कि जन्म के बाद बच्चे का पूरा शरीर गीला होता है इसलिए उसे साफ गीले कपड़े से पूछते हैं और रेडिएंट वार्मर में रखते हैं। इसके पीछे यह कारण हैं कि मां के गर्भ के बाहर का तापमान ठंडा होता है। इससे बच्चे को एडजस्ट करने में दिक्कत होती है। जब बच्चे को नर्म क्विल्ट में रखते हैं तो बच्चे को आराम मिलता है। जब बच्चा सर्दी में जन्म लेता है तो उसे नहलाया नहीं जाता क्योंकि सर्दी में नहलाने से उसका शरीर नीला पड़ जाता है या उसे कोल्ड हो जाता है। घर लौटने के बाद भी बच्चे की सच में पूरी देखभाल की जाती है। इसके लिए जिस कमरे में बच्चे को रखा जाता है उसका तापमान 28 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। ऐसे में कमरे का तापमान संतुलित करने के लिए आप हीटर का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें ऐसे उपकरण वातावरण की नमी और ऑक्सीजन सोख लेते हैं, जिससे त्वचा रूखी हो जाती है और बच्चे को सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। ऐसे में अगर आप हीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो खिड़की दरवाजों को खुला रखें। साथ ही हीटर के सामने एक बर्तन में पानी रखना ना भूलें। ऐसा करने से कमरे की नमी और ऑक्सीजन बनी रहेगी। अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों की बात करें तो उनके अनुसार-
- नवजात शिशु को 1 सप्ताह तक नहीं नहलाना चाहिए बल्कि उसके बाद उसे गीले कपड़े से पौछना चाहिए। अगर आप 1 सप्ताह नहलाएंगे तो उसकी नाभि में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
- एक हफ्ते बाद बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं। उसे साफ-सुथरे कपड़े से पूछ कर गर्म कपड़े पहनाएं।
- जो कपड़े आप अपने शिशु को पहनाएंगे वो कपड़े अच्छे से धूप से सूखे होने चाहिए और उसके बाद उन्हें प्रेस करें। क्योंकि प्रेस के माध्यम से जमर्स खत्म हो जाते हैं।
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अपनी ऐसे देखभाल करें
मां डिलीवरी के बाद अपने बच्चे का ख्याल रखती हैं लेकिन अपना ध्यान रखना भूल जाती हैं। ऐसे में अपने लिए भी समय निकाल लें। आपका स्वस्थ होना भी बेहद जरूरी है। खुद को ठंड से बचाएं। जो लोग कहते हैं कि डिलीवरी के बाद नहाने से जुकाम हो जाता है ऐसा नहीं है। इसलिए जरूर नहाएं। साथ ही साथ अपने हाथ-पैरों की मालिश जरूर करें। लेकिन अगर आप की नॉर्मल डिलीवरी नहीं है तो डॉक्टर की सलाह पर मालिश करें।
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