
स्पीच थेरेपी यानी भाषण चिकित्सा की जरूरत तब पड़ती है जब बच्चों का भाषायी ज्ञान सही से विकसित नहीं हो पाता है। बता दें कि स्पीच थेरेपी में सही तरीके से संवाद करना, बच्चों के उच्चारण में सुधार, बोलने से जुड़ी मांसपेशियों को मजबूत करना आदि सिखाते हैं। आज का हमारा लेख स्पीच थेरेपी पर ही है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों को स्पीच थेरेपी की जरूरत कब पड़ती है। साथ ही जानेंगे कि घर पर स्पीच थेरेपी किन तरीकों से की जा सकती है और इसके फायदे क्या हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
किन बच्चों के लिए होती है स्पीच थेरेपी
1 - जब बच्चा शब्दों का उच्चारण सही से नहीं कर पाता और वह केवल मां या पापा जैसे शब्द का उच्चारण करता है।
2 - जब किसी बच्चे की भाषा को समझने में दिक्कत महसूस होती है तब उस बच्चे को स्पीच थेरेपी दी जा सकती है।
3 - जब बच्चे का ठीक प्रकार से सामाजिक विकास नहीं हो रहा होता है तो उस दौरान बच्चे को स्पीच थेरेपी दी जा सकती है।
4 - अगर कोई बच्चा स्पीच डिसऑर्डर से ग्रस्त है या उसे स्पष्ट रूप से शब्दों को बोलने में कठिनाई महसूस होती है तो उस दौरान बच्चों को स्पीच थेरेपी दी जा सकती है।
5 - लैंग्वेज डिसऑर्डर से ग्रस्त बच्चे भी बोलने की क्षमता नहीं रख पाते या किसी वस्तु का नाम लेने में दिक्कत महसूस करते हैं तो ऐसे बच्चों को भी स्पीच थेरेपी दी जाती है।
6 - जब कोई बच्चा वॉइस डिसऑर्डर जिसे डिस्फोनिया भी कहा जाता है, से ग्रस्त हो जाता है तो उस दौरान उसकी आवाज में बदलाव आ सकता है या फिर उसकी आवाज बैठने लगती है, जिसके कारण उसे ज्यादा बोलने में दिक्कत महसूस होती है उस दौरान भी स्पीच थेरेपी दी जा सकती है।
इसे भी पढ़ें - बच्चे को बनाना है स्मार्ट और इंटेलिजेंट, तो पेरेंट्स अपनाएं एक्सपर्ट के बताए ये 5 तरीके
कैसे होती है स्पीच थेरेपी
बता दें कि स्पीच थेरेपी स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट के माध्यम से की जाती है। बच्चों को परसेप्शन एक्सरसाइज के माध्यम से शब्दों और उसके उच्चारण की प्रैक्टिस करवाई जाती है। इसके अलावा उच्चारण में सुधार के लिए व्यायाम. सांस लेने से जुड़े व्यायाम, निगलने और आवाज में सुधार लाने के लिए व्यायाम आदि करवाया जाता है।
स्पीच थेरेपी के फायदे
1 - स्पीच थेरेपी के माध्यम से बच्चों की भाषा में सुधार आता है।
2 - स्पीच थेरेपी बच्चों को साफ बोलने में मदद कर सकती है।
3 - स्पीच थेरेपी के माध्यम से बच्चे के निगलने की समस्या को भी काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
4 - स्पीच थेरेपी बच्चे के अंदर समझने की क्षमता का विकास कर सकती है।
5 - बता दें कि स्पीच थेरेपी से बच्चों की लिखावट में भी बदलाव आ सकता है।
6 - स्पीच थेरेपी से बच्चों का सामाजिक विकास हो सकता है।
इसे भी पढ़ें - बच्चों पर पीयर प्रेशर कैसे डालता है असर? जानें माता-पिता इससे बाहर निकलने में कैसे करें बच्चों की मदद
घर पर स्पीच थेरेपी करवाने के तरीके
1 - घर पर बच्चों से बोलने का अभ्यास करवाएं।
2 - घर पर ना केवल बच्चों की बाते सुनें बल्कि ये भी नोटिस करें कि वह बोलने में कितना समय लगा रहे हैं।
3 - किसी खेल के जरिए आप बच्चे की भाषा में सुधार ला जा सकते हैं उदाहरण के तौर पर अपने बच्चे को दोस्तों के साथ बैठाएं और उसके बाद उसके कान में किसी वाक्य को बोलें और बच्चों से कहें कि वह अपने दोस्तों को इस वाक्य को बोल कर समझाए। इस प्रकार खेल के जरिए बच्चों की भाषा में बदलाव किया जा सकता है।
4 - बच्चे को अखबार या कोई कहानी जोर-जोर से पढ़ने के लिए कहें। ऐसा करने से भी उनकी भाषा में सुधार आ सकता है।
5 - यदि बच्चे को किसी शब्द को बोलने में तकलीफ महसूस हो रही है तो उससे उस शब्द को तोड़कर बुलवाएं। उदाहरण के तौर पर एप्पल शब्द का प्रयोग ऐप और अल बोलकर करवा सकते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों में स्पीच थेरेपी के माध्यम से उनकी भाषा में सुधार लाया जा सकता है। हालांकि यदि बच्चे को गले से संबंधित कोई समस्या है या वॉइस से संबंधित कोई समस्या है तो ऐसे में उनकी दिनचर्या में बदलाव करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह लेनी जरूरी है।