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बच्चों पर पीयर प्रेशर कैसे डालता है असर? जानें माता-पिता इससे बाहर निकलने में कैसे करें बच्चों की मदद

बच्चों पर पीयर प्रेशर का प्रभाव नकारात्मक भी पड़ सकता है और सकारात्मक भी। ऐसे में माता-पिता को पता होना चाहिए कि परिस्थिति से कैसे डील करें...

Garima Garg
Written by: Garima GargUpdated at: Oct 27, 2021 15:44 IST
बच्चों पर पीयर प्रेशर कैसे डालता है असर? जानें माता-पिता इससे बाहर निकलने में कैसे करें बच्चों की मदद

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आजकल आपने देखा होगा कि बच्चे एक दूसरे की बराबरी करना चाहते हैं। कभी वे अपने दोस्तों की तो कभी परिवार के सदस्यों की बराबरी करना शुरू कर देते हैं। इससे अलग कभी तो वे किसी चर्चित व्यक्ति की बराबरी के कारण हर वह काम करते हैं, जिससे वे उनकी तरह दिखें। ये समस्या पीयर प्रेशर की समस्या कहलाती है। आम भाषा में इस परिस्थिति को दिखावापन भी कह सकते हैं। ऐसे में इस परिस्थिति का बच्चों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरीकों से प्रभाव पड़ सकता है। उदहारण के तौर पर यदि बच्चा किसी ऐसे इंसान की नकल करता है, जिसमें बुरी आदते हों तो ऐसे में बच्चा भी उन बुरी आदतों का शिकार हो सकता है। वहीं अगर बच्चा किसी ऐसे इंसान के संपर्क में है जो अच्छे स्वभाव का हो तो इससे बच्चे के स्वभाव पर भी अच्छा असर पड़ सकता है। ऐसे में पीयर प्रेशर बच्चों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों से प्रभाव डाल सकता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि पीयर प्रेशर का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही माता-पिता पीयर प्रेशर से कैसे डील करें इसके बारे में भी जानेंगे। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

बच्चों में प्रेयर प्रेशर के लक्षण

बता दें कि जब बच्चों में मानसिक, शारीरिक और सामाजिक बदलाव होने लगता हैं और वो भी जल्दी परिवर्तन नजर आए तो इस दौरान निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-

1 - माता पिता के साथ कभी अच्छा तो कभी बुरा व्यवहार करना। 

2 - नए नए दोस्त बनाना। 

3 - स्कूल ना जाना। 

4 - नींद से जुड़ी समस्या होना। 

5 - खाने से जुड़ी समस्या होना।

6 - तनाव महसूस करना। 

7 - शरीर की बनावट, कपड़ों आदि पर ज्यादा चिंता करना।

8 - बच्चों का आक्रामक व्यवहार करना। 

9 - दूसरे लोगों के साथ मिलने में दिलचस्पी होना। 

10 - खुद पर ज्यादा ध्यान देना। 

11 - आत्मविश्वास की कमी होना। 

12 - दूसरों से उम्मीदें रखना। 

13 - मनोदशा का बदलना।

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पीयर प्रेशर का बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव

1 - पीयर प्रेशर के दौरान अक्सर बच्चे नए दोस्त बनाते हैं। वे उनके साथ एक अच्छी बॉन्डिंग भी शेयर कर सकते हैं। नए दोस्त बनाने से न केवल बच्चों का दायरा खुलता है बल्कि बच्चे सामाजिक भी बन सकते हैं।

2 - पीयर प्रेशर के चलते बच्चे दूसरों को देखा-देख  कड़ी मेहनत कर सकते हैं। ऐसे में वे ना केवल भविष्य में कुछ हासिल करते हैं बल्कि उनका आज भी अच्छा हो सकता है।

3 - अगर बच्चा किसी खेल में अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखा रहा है और दूसरे भी अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखा रहे हैं। हालांकि वह अच्छा प्रदर्शन दिखाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं तो बच्चा भी उसी लगन और मेहनत के साथ अच्छा प्रदर्शन दिखाने की कोशिश करेगा अर्थात बच्चे मुश्किलों से लड़ना भी सीख सकते हैं।

4 - बच्चा जिसकी बराबर करना चाहता है यदि वह अच्छी भावना रखता है तो बच्चे में भी भावनात्मक विकास हो सकता है, जिससे बच्चे का आत्मविश्वास भी बढ़ सकता है।

5 - दूसरों को देखा-देख बच्चा खेल, कूद, भाग, दोड़ आदि गतिविधियों में हिस्सा ले सकता है, जिससे उनके प्रदर्शन में भी बदलाव आ सकता है। इससे अलग यदि कोई पढ़ने में अच्छा है तो बच्चे उसको देखा देख पढ़ाई व शैक्षिक स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।

पीयर प्रेशर का बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव

1 - पीयर प्रेशर के कारण बच्चों में एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है। वह हर वक्त उदास रह सकते हैं या उनके अंदर अपराधबोध की भावना भी जन्म ले सकती है।

2 - अगर बच्चा किसी ऐसे इंसान की बराबरी कर रहा है, जिसकी आदतें गलत हैं या जो गलत संगति में है तो इसके कारण बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उसकी आदत और व्यवहार दोनों गलत तरीकों से विकसित हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर धूम्रपान, शराब, नशीले पदार्थ आदि का शिकार हो सकता है।

3 - पीयर प्रेशर के नकारात्मक प्रभाव में जलन की भावना भी शामिल हो सकती है। इससे संबंधित रिसर्च भी सामने आई है, जो यह बताती है कि जलन के कारण बच्चे अपने करीबी मित्र तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यह समस्या भविष्य तक को प्रभावित कर सकती है। रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्ल्कि करें...

4 - पीयर प्रेशर के कारण बच्चे की नींद प्रभावित हो सकती है। इसके कारण उनके जागने और सोने के समय में परिवर्तन आ सकता है। वह हर चिड़चिड़ापन महसूस कर सकता है।

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माता-पिता कैसे डील करें पीयर प्रेशर से

बच्चे माता-पिता को अपना सच्चा दोस्त मानते हैं। वहीं अगर माता-पिता को पता चले कि उनका बच्चा पीयर प्रेशर का शिकार हो गया है तो ऐसे में माता-पिता कुछ तरीकों को अपनाकर इस समस्या को दूर करने में बच्चों के काम आ सकते हैं। ये तरीके निम्न प्रकार हैं-

1 - माता-पिता को बच्चों को भरोसा दिलाना चाहिए कि वह हर परिस्थिति में बच्चे का साथ देंगे। ऐसे में बच्चे बिना डरे अपने माता पिता को अपनी हर बात बता सकते हैं। साथ ही माता पिता की इस विश्वास से बच्चे का आत्मविश्वास भी बढ़ सकता है।

2 - बच्चों को ना कहना भी आना चाहिए। माता पिता अपने बच्चे को बताएं कि हर परिस्थिति में हां बोलना जरूरी नहीं ।है अगर उन्हें लगता है कि उनके दोस्त किसी गलत काम के लिए जिद्द कर रहे हैं तो उस दौरान बच्चे ना का सहारा भी ले सकते हैं।

3 - बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाना भी माता-पिता की जिम्मेदारी है। पीयर प्रेशर के कारण अक्सर बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। ऐसे में माता-पिता ना केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं बल्कि उनका मनोबल बढ़ाने का भी प्रत्यन करें।

4 - बच्चों को उनके गलत आदतों के बारे में बताना भी माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को बताना चाहिए कि वह किस बात पर गलत हैं और किस बात पर सही। ऐसे में बच्चों को भी समझ आएगा कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है।

5 - कुछ बच्चों की आदत होती है कि वे अपने निर्णय स्वयं लेना पसंद करते हैं। ऐसे में माता-पिता उनके फैसलों को समझें साथ ही अगर वो कोी गलत फैसला ले रहे हैं तो उन्हें उसके बारे में बताएं। इससे आगे अगर माता-पिता परिवार से संबंधित कोई फैसला ले रहे हैं तो ऐसे में वे अपने बच्चों की राय भी ले सकते हैं।

6 - माता पिता को पता होता है कि उनके बच्चों का व्यवहार कैसा होता है। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को बताएं कि उनके व्यवहार में किस तरीके के बदलाव लाने जरूरी हैं। इससे वे खुद को हर परिस्थिति में आगे पाएंगे।  

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों में पीयर प्रेशर की समस्या को दूर करने में माता-पिता में अहम भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि पीयर प्रेशर बच्चों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरीकों से प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को दोनों के बारे में समझाएं और यदि बच्चे में  ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो ऐसे में माता-पिता समझाएं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है। इसके लिए वे किसी काउंजसलर की भी मदद ले सकते हैं जो पीयर प्रेशर से बच्चों का बचा सकते हैं। 

 
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