प्रेगनेंसी में महिलाओं को बहुत सी आदतों को बदलना पड़ता है। महिलाओं को इस समय कैसे सोना है- इस पर भी कई तरह की बातें चलती रहती हैं। ऐसे में महिलाओं के मन में ये प्रश्न बार-बार उठता है कि प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें किस पोजीशन में या किस करवट सोना चाहिए, जो उनके और आने वाले शिशु, दोनों के लिए अच्छा हो। प्रेगनेंसी में महिला जिस करवट सोती है, उसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के बाद महिला को सोने में कुछ-कुछ परेशानियों का सामना करना शुरू हो जाता है। आइए जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के लिए बेस्ट स्लीपिंग पोजीशन कौन सी होती है।
प्रेगनेंसी में किस करवट सोना चाहिए?
प्रेगनेंसी में किस करवट सोना चाहिए ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी प्रेगनेंसी का कौन सा महीना चल रहा है। प्रेगनेंसी के शुरुआती 3 महीनो में आप सीधा या किसी करवट लेकर आसानी से सो सकती हैं क्योंकि इस दौरान पेट का भार बहुत ज्यादा नहीं होता है। लेकिन दूसरी और तीसरी तिमाही में आपके लिए सीधा सोना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि पीठ के बल सोने पर यूटरस परदबाव पड़ता है, जो बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।
प्रेगनेंसी में पीठ के बल क्यों नहीं होना चाहिए?
प्रेगनेंसी में सीधा सोने से ब्लड सर्कुलेशन, अपच और पीठ दर्द आदि की समस्याएं हो सकती हैं। महिला को आखिरी ट्राइमेस्टर में सीधे सोने से हरगिज बचना चाहिए क्योंकि इस समय भ्रूण पर जरा सा दबाव भी परेशानी का सबब बन सकता है।
क्या है प्रेगनेंसी में सोने की सही पोजीशन?
प्रेगनेंसी में बाएं करवट सोना शिशु और मां दोनों की सेहत के लिए अच्छा होता है। बाएं करवट सोने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है। इस पोजिशन में सोने से बच्चे को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, जिससे बच्चा हेल्दी रहता है। बाएं करवट सोते समय महिला को अपने पैरों और घुटनों को मोड़कर रखना चाहिए। अच्छी नींद लेने के लिए महिला पैरों के बीच में तकिया भी रख सकती हैं। सही करवट सोने से कमर दर्द की समस्या भी दूर होती है। प्रेगनेंसी के समय हर महिला का अलग अनुभव हो सकता है। महिला को इस समय करीब 8 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। सही नींद बच्चे के विकास में मदद करती है। कोई समस्या होने पर डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें।
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खानपान का रखें विशेष ख्याल
प्रेगनेंसी में महिलाओं को हेल्दी खाने की सलाह दी जाती है, जो शिशु और मां दोनों के लिए फायदेमंद होती है। महिला को इस समय अपने खाने में साबुत अनाज, दालें, दूध, दही, फल और ड्राई फ्रूट्स आदि को अच्छी मात्रा में लेना चाहिए। ये खाना शिशु का गर्भ में सही से विकास करने में मदद करेगा। महिला को इस समय अपने हीमोग्लोबीन पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि कम हीमोग्लोबिन शिशु और मां दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस समय कोई बीमारी होने पर खास डाइट डाइट लेने के बारे में डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें।
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