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बच्चों को भी हो सकता है स्लीप डिसऑर्डर (नींद न आने की समस्या), जानें इसका सेहत पर प्रभाव

Sleep Disorders In Children: छोटे बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर की समस्या उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

Priya Mishra
Written by: Priya MishraUpdated at: Apr 05, 2023 11:45 IST
बच्चों को भी हो सकता है स्लीप डिसऑर्डर (नींद न आने की समस्या), जानें इसका सेहत पर प्रभाव

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Sleep Disorders In Children And Its Impacts In Hindi: सेहतमंद रहने के लिए रात को अच्छी और गहरी नींद लेना बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल की बदलती जीवनशैली और गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से स्लीप डिसऑर्डर की समस्या काफी आम हो गई है। कई बार दिनभर की थकान के बाद भी रात में नींद नहीं आती है। इस समस्या को स्लीप डिसऑर्डर कहते हैं।  आजकल सिर्फ वयस्कों को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी स्लीप डिसऑर्डर की समस्या हो रही है। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 25% बच्चे इस समस्या से पीड़ित हैं। अगर बच्चा रात में बार-बार जागता है या ठीक से सो नहीं पाता है, तो आपको इस समस्या को काफी गंभीरता से लेना चाहिए। नींद ना आने की समस्या के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। पर्याप्त नींद ना लेने की वजह से बच्चे को कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने के लिए हमने डॉ नीरज अरोड़ा, सीनियर कंसल्टेंट (बाल रोग चिकित्सक), मणिपाल हॉस्पिटल, पटियाला, से बात की। आइए, विस्तार से जानते हैं बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर के क्या प्रभाव हो सकते हैं -

बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर के प्रकार - Types Of Sleep Disorders In Children In Hindi

डॉकटर नीरज बताते हैं कि कई बच्चे अक्सर नींद में गड़बड़ी, नींद में डर या बुरे सपने का अनुभव करते हैं, जो स्लीप डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। इसकी वजह से बच्चों में अनिद्रा, हाइपरसोमनिया, पैरासोमनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम और नार्कोलेप्सी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा,  बच्चों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया भी एक स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है। इस स्थिति में बच्चा नींद के दौरान आराम से सांस नहीं ले पाता है।

बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण - Sleep Disorders In Children Symptoms In Hindi

  • अगर बच्चा रात को देर से सोता है और सुबह जल्दी उठ जाता है
  • बच्चा रात में बार-बार नींद से जाग जाए और फिर दोबारा सोने में परेशानी महसूस करे
  • अगर बच्चा दिन में 10 से 15 मिनट की कई झपकियां ले रहा है
  • अगर बच्चा खेलने-कूदने की बजाय शांत बैठा रहे 
  • अगर बच्चे की नियमित तौर पर खाने की खुराक का कम हो गई हो
  • बच्चा हर समय सुस्त रहता हो
  • छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन महसूस होना
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बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर के कारण - Sleep Disorders In Children Causes In Hindi

डॉक्टर नीरज बताते हैं कि बच्चों में स्लीप डिऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं। इसमें गतिहीन जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें, स्ट्रेस, ट्रॉमा, प्रदूषण, एलर्जी, पढ़ाई का अत्यधिक दबाव और गैजेट्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आदि शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ न्यूरोलॉजिकल विकार जैसे एडीएचडी (ADHD) और ऑटिज्म के कारण भी स्लीप डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है।

बच्चों में स्लीप डिसऑर्डर का प्रभाव - Impact Of Sleep Disorders In Children In Hindi

पर्याप्त नींद की कमी के कारण बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यह बच्चे की ऊर्जा और दिनभर की गतिविधियों में बाधा डालता है। स्लीप डिसऑर्डर के कारण बच्चे के स्वास्थ्य पर निम्न प्रभाव हो सकते हैं - 

  • स्लीप डिऑर्डर के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा आना और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 
  • आरामदायक और पर्याप्त नींद न ले पाने के कारण बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इसके कारण बच्चा कई तरह की बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आ सकता है। 
  • स्लीप डिसऑर्डर की समस्या बच्चे की एकाग्रता और मेमोरी को प्रभावित कर सकती है। 
  • नींद की कमी और अनिद्रा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण बन सकते हैं, जो लंबे समय में कार्डियोवैस्कुलर रोग और डायबिटीज समेत कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • लंबे समय तक नींद की कमी बच्चे में अवसाद की भावना पैदा कर सकती है।

किसी भी उम्र में अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। खासतौर पर बच्चों के सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत महत्वूपर्ण है। इसलिए अगर आपको बच्चे में स्लीप डिऑर्डर के लक्षण दिखाई दें, तो आपको किसी बाल रोग चिकित्सक या एक्सपर्ट या से सलाह लेनी चाहिए।

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