
एकल परिवारों में रहने वाले इकलौते बच्चों में अक्सर गुमसुम, शर्मिले, चुप रहने और सीधे साधे होने की समस्या रहती है। यदि माता-पिता अधिक सोशल न हों तो भी ऐसा होता है। जिन पेरेंट्स को लगता है कि उनके बच्चे भी ऐसे हैं और वो अपने बच्चों की इन आदतों को सुधारना चाहते हैं तोू सबसे पहले उन्हें इस बात पर ध्यान देना होगा कि दूसरों से बातें करते समय क्या उनका बच्चा आई कॉन्टैक्ट करता है या नहीं? अगर ऐसा नहीं है तो किसी चाइल्ड काउंसलर से सलाह लें। अगर वह लोगों से नजरें मिलाकर सामान्य ढंग से बातचीत करते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। आप बस उनका शर्मीलापन दूर करने की कोशिश करें।
क्या और कैसे करें
इसके लिए आप अपने बच्चे को रोजाना पार्क या आसपास की मार्केट में ले जाएं। अपना सामाजिक दायरा बढ़ाएं। उसे नए लोगों से मिलने का भरपूर अवसर दें। इससे आपका बच्चे में आत्मविश्वास पैदा होगा और उसकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
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क्या है बच्चों के शर्मीले होने के कारण
- कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं उनका भार कम होता है, जिसकी वजह से वे बड़े होकर शर्मीले स्वभाव के बनते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे बच्चों का मानसिक और सामजिक विकास अपेक्षाकृत देर से होता है।
 - बच्चे के स्वभाव पर पहला असर मां का पड़ता है। यदि माता गर्भावस्था के समय अच्छा भोजन ले तो बच्चे के स्वास्थ्य के साथ उसका स्वभाव भी अच्छा ही होगा। यानि कि मां का खानपान भी बच्चे के स्वभाव में बदलाव लाता है।
 
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- यह बात तो हम सभी जानते हैं कि बच्चों पर अपने माता-पिता का बहुत असर होता है। यदि माता या पिता में से कोई भी शर्मीले स्वभाव का हो, और बच्चा अपने माता-पिता के गुणों पर गया हो तो यह संभव है कि बच्चा बड़ा होकर शर्मीला ही बनेगा।
 - घर का नकारात्मक माहौल भी बच्चे के स्वभाव पर असर डालता है। यदि माता-पिता आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं या माता—पिता हमेशा बच्चों को डांटते हैं तो इससे भी बच्चा मुर्झाता है।
 - यदि माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे आगे जा कर शर्मीले स्वभाव के न बनें, तो उन्हें अपने घर के माहौल को सकारात्मक और मिलनसार बनाना होगा।
 
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