
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण पहले-पहल 'बेबी-ब्लूज' जैसी ही दिखाई पड़ते हैं। लेकिन, इसके लक्षण और संकेत अधिक गम्भीर और लम्बे समय तक रहने वाले होते हैं। ये लक्षण आपके सामान्य जीवन को भी प्रभावित करते हैं!
पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिला के लिए दुखदायी होता है। इन हालात में महिला निराशा के बादलों से घिर जाती है। उसे स्वयं और अपने बच्चे के प्रति बिल्कुल भी मोह नहीं रह जाता। महिला अपने बच्चे की ओर ध्यान देना बंद कर देती है और साथ ही वह उससे किसी प्रकार का भावनात्मक जुड़ाव भी महसूस नहीं करती।
'बेबी ब्लूज' नहीं है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
पोस्टपार्टम अवसाद और "बेबी ब्लू", दोनो ही स्थितियां एक दूसरे से अलग हैं, इन दोनों प्राकर के अवसाद के लक्षण भिन्न है। "बेबी ब्लू" प्रसव पूर्व होने वाली ऐसी अवस्था है जो सबसे सामान्य है और हर तीन में से एक महिला में यह स्थिति पायी जाती है। प्रसव के बाद कुछ हफ्तों में शरीर में हुए हार्मोनल परिवर्तन की वजह से ये विकार होता है। प्रसव के बाद नई माँ अक्सर भावनात्मक रुप से संवेदनशील हो जाती है, कुछ ही क्षण में वह खुश हो जाती है और अगले कुछ क्षणों में दुखी।"बेबी ब्लू" विकार से और भी समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन इससे आमतौर पर एक मां की जिम्मेदारी और कार्य में हस्तक्षेप नही होता और कुछ सप्ताह बाद यह बीमारी खत्म हो जाती है।
बेबी ब्लूज के लक्षण
बेबी ब्लूज के लक्षण ओर संकेत आमतौर पर कुछ दिनों अथवा एक-दो सप्ताह के लिए रहते हैं। इन लक्षणों में
- मूड में बदलाव
- तनाव
- दुख
- उदासी
- चिढ़चिढ़ापन
- रोना
- एकाग्रता में कमी
- नींद में परेशानी
आदि हो सकते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण पहले-पहल 'बेबी-ब्लूज' जैसी ही दिखाई पड़ते हैं। लेकिन, इसके लक्षण और संकेत अधिक गम्भीर और लम्बे समय तक रहने वाले होते हैं। ये लक्षण आपके सामान्य जीवन को भी प्रभावित करते हैं और आपकी अपने बच्चे की देखभाल की क्षमता भी इससे प्रभावित होती है। इसके साथ ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ग्रस्त महिला अपने बच्चे के रोजमर्रा के कामों को भी सही प्रकार नहीं कर पाती। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
- भूख न लगना
- अनिद्रा (या तो ज़्यादा खाना या आहार मे कमी होना)
- अत्यंत चिढ़चिढ़ापन और गुस्सा
- भारी थकान
- सेक्स में दिलचस्पी समाप्त होतना
- जीवन का आनंद समाप्त होना
- शर्म, ग्लानि और अपर्याप्त की भावना होना
- मूड में तेजी से बदलाव
- अपने बच्चे के साथ भावनात्मक रूप से लगाव होने में परेशानी
- दोस्तों और परिवार के साथ अलगाव की भावना
- स्वयं को और अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने की भावना आना
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों का इलाज जल्द करवाया जाना चाहिए। अगर इस बीमारी को गंभीरता से न लिया जाए, तो ये काफी लंबे समय तक बने रह सकते हैं। ये लक्षण काफी खतरनाक परिस्थितियों को जन्म दे सकते हैं क्योंकि ऐसी महिला न केवल अपने लिए बल्कि अपने बच्चे के लिए भी खतरा पैदा कर सकती है।
पोस्टपार्टम साइकोसिस
पोस्टपार्टम साइकोसिस एक दुर्लभ परिस्थिति है, जो आमतौर पर प्रसव के शुरुआती दो सप्ताहों में होती है। इस बीमारी के लक्षण और संकेत बहुत गंभीर होते हैं। इसके लक्षणों में ये बातें शामिल हो सकती हैं-
- भ्रम और भटकाव
- मतिभ्रम और भ्रम
- पागलपन
- अपने आप या आपके बच्चे को नुकसान करने के लिए प्रयास
- रोजमर्रा के कामों को करने में परेशानी हो।
डॉक्टर से कब संपर्क करें
अगर आपको अपने बच्चे के जन्म के बाद अवसाद अथवा चिंता हो रही है, तो हो सकता है कि इस बात को स्वीकार करने में आपको शर्मिंदगी का अहसास हो रहा हो। लेकिन, घबराने या शरमाने की जरूरत नहीं है। यही वक्त है जब आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि अगर आपको पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकायत है, तो समय रहते उसका पकड़ में आना और इलाज किया जाना बहुत जरूरी है। ऐसे में जैसे ही आपको उपरोक्त लक्षणों में से किसी का भी आभास हो, तो बिना देर किये अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको इस बात का संशय हो कि आप पोस्टपार्टम साइकोसिस से पीडि़त हैं, तो आपको तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। ऐसा न सोचें कि समय के साथ यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाएगी। पोस्टपार्टम साइकोसिस आगे चलकर जीवन को क्षति पहुंचाने वाले विचारों और व्यवहार का रूप ले सकता है।
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