टेक्नोलॉजी के दौर में सबकुछ फास्ट हो गया है। हमारे पास अपने बच्चों की एक्टिविटी जानने का भी समय नहीं होता है। उनकी परेशानियां और बातें सुनने का समय भी नहीं होता है। कई बार माता-पिता को ये भी पता नहीं होता है कि उनके बच्चे के कौन-कौन से दोस्त है। ऐसे में कई बड़े होते बच्चों को स्मोकिंग की लत लग जाती है, जो बाद में बहुत सी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। दरअसल माता-पिता को लगता है कि उनका बच्चा अब बड़ा हो रहा है। ऐसे में वे उनपर ध्यान देना थोड़ा कम कर देते हैं जबकि आपको अपने बच्चे पर उस समय सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। आपको पता होना चाहिए कि कहीं आपके बच्चे को बुरी लत तो नहीं लग गई है क्योंकि कई बार किशोर की स्मोकिंग की लत के बारे में माता-पिता को पता ही नहीं चलता है और स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है। इससे हार्ट स्ट्रोक से लेकर लंग्स डिजीज का खतरा भी होता है। ये बीमारियां बच्चों को छओटी उम्र से ही परेशान करने लगती है इसलिए एक माता-पिता के रूप में अपने किशोर पर ध्यान देने की जिम्मेदारी सबसे पहले आपकी है। किशोरावस्था में स्मोकिंग करने के लक्षण और नुकसान के बारे में विस्तार से बता रहे हैं गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल के पीडियाट्रीशियन डॉ राजीव छाबड़ा।
किशोरावस्था में स्मोकिंग करने के कारण
1. कहते हैं कि बड़े जैसा करते हैं, वैसा ही बच्चे भी सीखते हैं। ऐसे में अगर आप घर में बहुत ज्यादा स्मोक करते हैं, तो इस वजह से भी आपका बच्चा भी ज्यादा स्मोक कर सकता है।
2. दोस्त-यार के साथ भी गलत संगत में फंसकर भी आपका बच्चा स्मोक करना शुरू कर सकता है। आपको बताते दें कि सिगरेट पीने की लत हफ्ते या दस दिन में भी लग सकती है।
3. जीवन में चल रही परेशानियों से तंग आकर भी कई बार किशोर स्मोक करना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनकी परेशानियां कम हो जाएगी।
4. इसके अलावा दोस्तों को दिखाने या किसी को देखकर उत्साह में भी किशोर स्मोक करना शुरू कर देते हैं। बाद में उन्हें इसकी लत लग जाती है।
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किशोरावस्था में स्मोकिंग करने के लक्षण
1. किशोरावस्था में स्मोक करने पर उनके दांत खराब हो सकते हैं या दांत गिरना भी शुरू हो जाते हैं।
2. कई मामलों में उनके होंठ काले पड़ जाते हैं लेकिन ऐसा सभी मामलों में हो ये जरूरी नहीं है।
3. ज्यादा स्मोक करने से खांसी और ब्रोंकाइटिस की समस्या होने लगती है।
4. कफ, सिरदर्द और सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है।
5. कई मामलों में बच्चों की हृदय गति भी तेज हो जाती है और उनके चेहरे पर मुहांसे आने लगते हैं।
6. उनकी मुंह और कपड़ों से सिगरेट की दुर्गंध आती है।
7. बहुत अधिक स्मोक करने पर उनके उंगलियों में भी निशान आ सकता है।
8. अगर आपका बच्चा बाथरूम में बहुत ज्यादा समय बिता रहा है।
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किशोरों पर स्मोकिंग के नुकसान
1. हृदय रोग का खतरा
किशोरावस्था में स्मोकिंग करने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इससे कोरोनरी हार्ट डिजीज हो सकता है। इसके अलावा सिगरेट दिल और ब्लड वेसेल को खराब कर सकती है। इससे रुमेटिक हार्ट डिजीज होने का खतरा रहता है। इस बीमारी में आपके हार्ट वाल्व में दिक्कत शुरू हो जाती है।
2. फेफड़ों में परेशानी
सिगरेट का धुआं रेस्पिरेटरी सिस्टम में जमा होने लगता है, जिसकी वजह से ब्रोकांइटिस, अस्थमा और सांस संबंधी समस्याएं हो सकती है। धुएं में मौजूद टार आपके फेफड़ों में जाकर जमा हो जाता है, जिससे ब्लॉकेज की परेशानी होने लगती है। इससे थकान, सांस की तकलीफ और गले से घरघराहट की आवाज आने लगती है। स्मोकिंग से शरीर में ऑक्सीजन के लेवल को कम हो जाता है, जिससे सभी अंगों को नुकसान पहुंचता है।
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3. गले में समस्या होने लगती है
सिगरेट के अधिक सेवन से गले की पतली झिल्ली को नुकसान पहुंचता है। इससे ड्रायनेस और इरिटेशन होने लगती है। इसमें मौजूद फार्मेल्डीहाइड और एक्रोलीन नामक केमिकल की वजह से गले में इंफेक्शन और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है। साथ ही इससे बच्चों का वोकल कोड भी खराब हो सकता है।
4. फूड पाइप और विंड पाइप पर असर
स्मोक करने से विंड पाइप खराब हो सकती है। इससे खांसी और लेरिंजाइटिस की समस्या हो सकती है। सिगरेट में मौजूद केमिकल्स की वजह से फूड पाइप भी डैमेज हो सकती है और पेट में जलन हो सकती है।
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बच्चों को स्मोकिंग से कैसे दूर रखें
1. बच्चों को स्मोकिंग से दूर रखने के लिए आप उनके सामने अच्छा उदाहरण पेश करें। घर पर स्मोक न करें या फिर बहुत कम स्मोक करें।
2. उनके सिगरेट पीने के कारण को समझे और उनपर चिल्लाने-मारने की बजाय उनकी बात समझने की कोशिश करें।
3. बच्चों को स्मोक से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं। उनके साथ ज्यादा समय बिताने की कोशिश करें।
4. एक समय पूरे परिवार के साथ खाना खाने की कोशिश करें और बच्चों से पूरे दिन के बारे में पूछे। उनके दोस्तों के बारे में भी पता करने की कोशिश करें।
5. बच्चों में अच्छी आदत डेवलेप करने की कोशिश करें और उन्हें हेल्दी चीजें खाने के लिए उत्साहित करें।
6. बच्चे को योगा, एक्सरसाइज और जिम जाने के लिए उत्साहित करें ताकि वह फिटनेस को लेकर जागरूक हो।