
कोरोना काल में ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड (Oxygen Cylinder in Covid Pandemic) काफी ज्यादा बढ़ी हैं। कोरोना पॉजिटिव लोगों के परिजन उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की खोज में इधर से उधर भटकते भी देखे गए हैं। दरअसल, कोरोना वायरस फेफड़ों को संक्रमित करता है जिससे ऑक्सीजन लेवल कम होता जाता है। लेकिन ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई के कंसल्टेंट और चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर हरीश चाफले (Dr Harish Chafle, Consultant, Intensivist and Chest Physician at Global Hospital, Mumbai) बताते हैं कि कोरोना के 10 फीसदी से भी कम मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। ऐसे में अगर कोई कोरोना पॉजिटिव हो भी जाता है, तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, देश में इस समय लाखों की संख्या में कोरोना मरीज निकल रहे हैं। ऐसे में डर का माहौल बना हुआ है, कई लोगों ने अपने घरों में अपनी सेफ्टी के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर पहले से खरीदकर रखे हुए हैं। ताकि जरूरत पड़ने पर वे इसका इस्तेमाल कर सके। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सभी को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती है। जब ऑक्सीजन लेवल बहुत ज्यादा नीचे गिर जाता है, तो ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल न करने लगे। आपको डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि ज्यादा मात्रा में इसे लेने से भी फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। बेवजह घर पर इसे लेने से आपको बचना चाहिए।
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ऑक्सीजन सिलेंडर से फेफड़ों को नुकसान (Side Effects of Oxygen Cylinder on Lungs)
डॉक्टर हरीश चाफले बताते हैं कि जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन सबसे अहम होता है। हालांकि, सामान्य आंशिक दबाव से अधिक पर ऑक्सीजन लेने से हाइपरॉक्सिया (Hyperoxia) हो जाता है, जो ऑक्सीजन विषाक्तता (Oxygen Toxicity) का कारण बन सकता है। क्लीनिक्ल सेटिंग्स, जिसमें ऑक्सीजन विषाक्तता होती है, यह दो समूहों में विभाजित होती है। इसमें एक समूह वह होता है, जिसमें रोगी को कम समय के लिए ऑक्सीजन की उच्च सांद्रता (High Concentrations of Oxygen) के संपर्क में रखा जाता है। दूसरा समूह वह होता है, जिसमें रोगी को लंबे समय के लिए लेकिन ऑक्सीजन की कम सांद्रता के संपर्क में रखा जाता है। इन दोनों मामलों में तीव्र ऑक्सीजन विषाक्तता और पुरानी ऑक्सीजन विषाक्तता हो सकती है। तीव्र ऑक्सीजन विषाक्तता (Acute Oxygen Poisoning) आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) को प्रभावित कर सकता है। जबकि पुरानी ऑक्सीजन विषाक्तता (Chronic Oxygen Poisoning) में मुख्य रूप से फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं। ऑक्सीजन विषाक्तता के गंभीर मामलों में कोशिका खराब होने की भी संभावना रहती है। इतना ही नहीं इसमें मृत्यु भी हो सकती है।
- - ज्यादा ऑक्सीजन लेने से हाइपरॉक्सिया होता है, जो ऑक्सीजन विषाक्तता का कारण बन सकता है।
- - क्रोनिक ऑक्सीजन पोइसोनिंग (Chronic Oxygen Poisoning) फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है।

ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग (Use of Oxygen Cylinder)
डॉक्टर हरीश चाफले बताते हैं कि कोरोना वायरस रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत उनकी बीमारी की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होती है। औसतन 10 फीसदी से भी कम कोविड-19 रोगियों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। कोविड के कम मरीजों को ही हाई फ्लो नेजल कैनुला (High Flow Nasal Cannula) की जरूरत पड़ती है। एक औसत वयस्क व्यक्ति एक मिनट में आराम करते हुए लगभग सात से आठ लीटर हवा अंदर लेता और छोड़ता है। इसका मतलब है कि वह प्रतिदिन लगभग 11,000 लीटर हवा लेता और छोड़ता है। सांस लेने वाली हवा में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होता है और सांस छोड़ने वाली हवा में लगभग 15 प्रतिशत ऑक्सीजन होता है। इन दोनों के अंतर को फेफड़ों द्वारा अवशोषित किया जाता है। अगर इसके बाद कोई कमी होती है, तो ऑक्सीजन सैचुरेशन के स्तर को 95 प्रतिशत से ऊपर रखने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती है।
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मसीना हॉस्पिटल, मुंबई की संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तृप्ति गिलाड़ा बताती हैं कि कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सभी को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती है। अगर व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है, तो ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। लेकिन हां, अगर कोरोना मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है तो ऐसे में उसे ऑक्सीजन सिलेंडर या ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इस्तेमाल करना ही होता है, इसका कोई विकल्प नहीं है। कोविड-19 निमोनिया वाले लोगों को अधिकतर ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल कुछ दिनों के लिए किया जाता है, लेकिन अगर समस्या बढ़ती है तो इसे कुछ हफ्तों तक दिया जाता है। ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग रोगी के ऑक्सीजन सैचुरेशन द्वारा तय किया जाता है। कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल व्यक्ति के ऑक्सीजन सैचुरेशन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
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