कब्ज और बदहजमी की समस्या आज कल लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में बहुत से लोग आयुर्वेदिक दवाओं और चूरन का इस्तेमाल करते हैं। जैसे कि कुछ दवाएं और आयुर्वेदिक चूरन या कुछ नुस्खे। पर आपने कभी ध्यान दिया है कि जब भी हम इन चूरन का इस्तेमाल करते हैं तो, ये एक दिन तो पेट साफ करता है पर इससे हमेशा के लिए ये परेशानी नहीं जाती। साथ ही कुछ दिनों में धीमे-धीमे हमें इसकी आदत लगने लगती है। जैसे कि आज आपको लगेगा कि इसने आपका पेट अच्छी तरह से साफ कर दिया है पर दूसरे दिन आपको लगेगा कि इसके बिना आपका पेट अच्छी तरह से साफ नहीं हो रहा। तो, आपको इसे और ज्यादा मात्रा में लेने की जरूरत है। इस तरह लगातार आपको इसकी आदत पड़ जाएगी। मेडिकल टर्म में इस लैक्सेटिव (laxatives) कहा जाता है। यानी कि वे चीजें जो पेट साफ करती हैं। पर ज्यादा मात्रा में इन्हें लेने से सेहत को कई नुकसान भी हो सकते हैं। जी हां, इसी बारे में जानने के लिए हमने दीप्ति खाटूजा (Deepti Khatuja), क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव और डेलनाज़ चंदूवाडिया (Delnaaz Chanduwadia), मुख्य आहार विशेषज्ञ और एचओडी डायटेटिक्स विभाग, जसलोक अस्पताल से बात की।
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पेट साफ करने वाली दवाओं के नुकसान-Side effects of laxative overuse
न्यूट्रिशनिस्ट दीप्ति खाटूजा की मानें तो, लैक्सेटिव (laxatives)कई प्रकार के होते हैं। पहले तो कुछ थोक बनाने वाली दवाएं होती हैं जो कि आपके स्टूल को भारी कर देते हैं और उनका वजन बढ़ा देते हैं जिससे तेजी से आंत इन्हें बाहर निकाल देते हैं। उन्हें काम करने में 2 या 3 दिन लगते हैं। जैसे कि इसबगोल भूसी (Isabgol husk powder)। दूसरी तरफ कुछ गोलियां जैसे कि लैक्टुलोज घोल और पॉलीथीन ग्लाइकॉल जो कि कब्ज दूर करती हैं और आपकी आंत को लाइन करने वाली मांसपेशियों को उत्तेजित करते हैं, जिससे उन्हें मल को आपके पीछे के मार्ग तक ले जाने में मदद मिलती है। इन्हें काम करने में 6 से 12 घंटे लगते हैं। तीसरे प्रकार के लैक्टेसिव कुछ चूरन होते हैं जो कि पेट को साफ करते हैं। ये शरीर के बाकी हिस्सों से मल को नरम करने के लिए आपकी आंत में पानी खींचते हैं और इसे पास करना आसान बनाते हैं। इन सभी के कुछ अलग-अलग नुकसान हैं। जैसे कि
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1. इलेक्ट्रोलाइट्स का नुकसान
ज्यादा लैक्सेटिव लेने से इलेक्ट्रोलाइट्स का नुकसान होता है। यानी कि ये शरीर से सोडियम और पोटेशियम फास्फेट का नुकसान करते हैं। इससे शरीर में कई प्रकार के लक्षण नजर आते हैं जैसे कि इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी और डिहाइड्रेशन। ज्यादा लंबे समय तक इसे लेते रहने आपके शरीर में गंभीर रूप से पानी की कमी हो सकती है और इसके कारण बीमार पड़ सकते हैं। जैसे कि इसकी वजह से किडनी फेलियर हो सकता है।
2. मलाशय से जुड़ी समस्याएं
मलाशय यानी कि कोलन शरीर के पाचन तंत्र का एक जरूरी भाग है। दरअसल, जब आप अधिक मात्रा में पेट साफ करने वाली दवाओं का सेवन करते हैं तो मलाशय में सूजन और दर्द का कारण बनता है। इसकी वजह से मलाशय ओवरएक्टिव हो जाता है और इससे दस्त और पेट दर्द और ऐंठन की समस्या हो सकती है।
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3. एसिडिटी और ब्लॉटिंग
ज्यादा लैक्सेटिव लेने से एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। दरअसल, जब आप लागातर पेट साफ करने वाली दवाओं और चूरन का इस्तेमाल करते हैं तो ये पेट फूलने का कारण बनते हैं। पर असल में ये पेट में होने वाला सूजन है। इसकी वजह से आपके आंतों में लंबे समय तक सूजन रह सकती है और हमेशा बीमार महसूस कर सकते हैं। साथ ही इसकी वदह से आप जो भी खाएंगे वो सही से पचेगा नहीं और आप आप बार-बार अपच और एसिडिटी महसूस करेंगे।
4. कब्ज बढ़ाता है
कब्ज बढ़ाने में लैक्सेटिव की एक बड़ी भूमिका रही है। दरअसल, लैक्सेटिव आपके पेट को बार-बार साफ करने के साथ नेचुरल मोशन में रूकावट पैदा करता है। इसलिए कुछ समय बाद से ही हमारी मानसिकता ऐसी हो जाती है कि हमें लगता है कि हमें हमेशा कब्ज की समस्या है और हमें लैक्सेटिव की जरूरत है। इस तरह इसकी आदत लगातार कब्ज की समस्या को बढ़ाता जाता है।
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5. शरीर के नेचुरल प्रोसेस को बिगाड़ देता है
ज्यादा लैक्सेटिव लेने से शरीर का अपना नेचुरल प्रोसेस बिगड़ जाता है। ये जहां आपके खान-पीने के तरीकों और पाचनतंत्र को प्रभावित करता है वहीं ये हमारे मानसिक रूप से भी परेशान करता है। इसके कारण हम लगातार ये महसूस करते रहते हैं कि हमारा पेट साफ नहीं है, कब्ज है और इस तरह ये मूड स्विंग्स और क्रेविंग का भी कारण बनता है। लैक्सेटिव का दुरुपयोग विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह न केवल पाचन तंत्र, बल्कि अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, लैक्सेटिव के दुरुपयोग से निर्जलीकरण के परिणामस्वरूप इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से हृदय प्रभावित हो सकता है। इससे कमजोरी, दिल की धड़कन, बेहोशी, भटकाव या यहां तक कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
लैक्सेटिव के दुरुपयोग के लक्षण-Symptoms of Laxative Abuse
- -पुरानी कब्ज होना
- -बार-बार दस्त आना
- -गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गड़बड़ी, जैसे कि पुरानी सूजन, गैस और बदहजमी
- - ऐंठन
- - मांसपेशियों में दर्द
- -मल में रक्त
- -मतली या उल्टी
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पेट साफ करने की दवाओं से कैसे बचें?
पेट साफ करने की दवा के इस्तेमाल को जितना हो सके उतना सीमित करें। कभी भी कब्ज होने पर जुलाब आदि ना लें और इसे नेचुरल तरीके से ठीक करने की कोशिश करें। साथ ही जितना हो सकते उतना कब्ज से बचने की कोशिश करें। इसके लिए अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें। जैसे कि
1. डाइट में फाइबर शामिल करें
अपनी डाइट में फाइबर खास कर कि रफेज से भरपूर फूड्स को शामिल करें। यामी कि उन चीजों को खाएं जिनमें थोक ज्यादा हो। जैसे चोकर वाला आटा, चावल की भूसी, मोटा अनाज जैसे बाजरा और रागी। साथ ही आप कुछ रेशेदार फल और सब्जियों को भी अपने खाने में शामिल कर सकते हैं। साथ ही कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, जैसे कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और डेयरी उत्पाद आदि।
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2. तरल पदार्थ का खूब सेवन करें
चाहे आप पानी पिएं, फलों का जूस लें, सूप पिएं या फिर ढेर सारे पानी वाला फल और सब्जियों का सेवन करें। कुल मिला कर अपने ल्किविड इंटेक को बढ़ाएं। जैसे कि फाइबर और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार के साथ-साथ 2-3 लीटर पानी का सेवन बेहद जरूरी है।दरअसल, तरह पदार्थ पेट के काम काज को तेज करने का काम करता है और आंतों की सफाई में मददगार है। इसका रेगुलर सेवन करने से आपको कब्ज की समस्या नहीं होगी और आपको इन दवाओं के इस्तेमाल की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
3. एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज करने से आपका पेट हमेशा साफ रहता है। इससे आपके शरीर का मोशन ठीक रहता है और बेहतर महसूस करते हैं। नियमित व्यायाम या शारीरिक गतिविधि में वृद्धि मल त्याग को नियंत्रित कर सकती है। व्यायाम आपकी पाचन प्रक्रियाओं में सुधार करता है और आपके बड़ी आंत में मांसपेशियों के संकुचन को बढ़ाता है जो आपके मल को अधिक नियमित रूप से स्थानांतरित करने में मदद करता है। अगर आपको कब्ज है, तो व्यायाम करने से लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है और आपको नियमित रूप से मल त्याग करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा ध्यान रखें कि तनाव आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके कारण ज्यादातर लोगों को कब्ज की समस्या होती है। लेकिन जब तनाव अत्यधिक हो जाता है, तो यह दस्त और कब्ज के साथ-साथ मतली और उल्टी की समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए कब्ज से बचना है तो तनाव से बचें।
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