एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है? जानें किन रोगों या समस्याओं में की जाती है ये जांच

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड डॉक्टर किन-किन बीमारियों का पता लगाने के लिए कराने की सलाह देते हैं। इस बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
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एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है? जानें किन रोगों या समस्याओं में की जाती है ये जांच


आज के समय में बीमारी का हर इंसान से एक नाता सा हो गया है। खराब लाइफस्टाइल और खानपान पर ध्यान नहीं देने के कारण लोगों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं बीमारियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह देते हैं। जिनमें से एक है एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड। आज के इस आर्टिकल में हम साकची के आमबागान में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रंजीत प्रसाद से बात कर इसके बारे में जानेंगे। वहीं जानने की कोशिश करेंगे कि एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड क्या है, इसे किन-किन बीमारियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर ये जांच करवाने की सलाह देते हैं। इस बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल। 

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड क्या है

एक्सपर्ट बताते हैं कि एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड में मशीनों की मदद से मरीज की कुछ सामान्य जांच की जाती है। इसमें दो अहम यंत्र एंडोस्कोपिक और अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। इन मशीनों के जरिए मरीज के डायजेस्टिव ट्रैक और उसके आसपास के टिशू और अंगों की तस्वीर ली जाती है, वहीं पता लगाया जाता है कि अंगों में किसी प्रकार की समस्या या फिर कोई बीमारी तो नहीं। इसकी रिपोर्ट रेडियोलॉजिस्ट तैयार करते हैं। वहीं डॉक्टर इस रिपोर्ट के आधार पर मरीज की जांच कर इलाज शुरू करता है। 

Endoscopic ultrasound

जानें कैसे किया जाता है टेस्ट

डॉक्टर बताते हैं कि एक सामान्य एंडोस्कोप होता है, जिसकी नोक पर अल्ट्रासाउंड लगा होता है। इसे एंडोस्कोप वीडियोकैमरा के जरिए मरीज के पेट में डाला जाता है। शरीर के जिस अंग में एमआरआई, सीटी स्कैन सहित अन्य जांच कराने के बाद रोग के बारे में पता लगा है उसके बारे में और विस्तार से जानने के लिए इस यंत्र को डाला जाता है।

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जानें क्यों किया जाता है एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड

  • पेट की नली में स्टोन का पता करने के लिए किया जाता है ये जांच
  • पेट या इंटेस्टाइन, गेस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक (जीआई ट्रैक) में किसी प्रकार का सिस्ट या फिर ट्यूमर का पता लगाने के लिए डॉक्टर इस जांच की सलाह देते हैं
  • पेट में मौजूद किसी प्रकार के गांठ में से थोड़ा का टुकड़ा निकालकर जांच करने के लिए इस प्रक्रिया की मदद ली जाती है ताकि पता किया जा सके कि मरीज को आगे चलकर  कैंसर सहित कोई बीमारी तो न हो, इस जांच की प्रक्रिया में एंडोस्कोपिक के साथ में सूई भी होती है, पेट के उस भाग में जाने के बाद सुई को बाहर से ही ऑपरेट किया जाता है, जिससे ट्यूमर के कुछ अंश को निकाल लिया जाता है। 

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Endoscopic

एंडोस्कोपिक अल्ट्रा्साउंड की मदद से किया जाता है कई बीमारियों का उपचार

डॉक्टर बताते हैं कि ये न केवल गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए इस प्रक्रिया की मदद ली जाती है बल्कि कुछ बीमारियों का इलाज करने के लिए भी विशेषज्ञों की टीम इस प्रक्रिया की मदद लेते हैं। जैसे

  • कई बार पेट में जाकर या फिर जहां से मल त्यागते हैं उस रास्ते से जाकर किसी प्रकार का सिस्ट कलेक्शन हो रखा है या फिर फ्लूइड कलेक्शन हुआ है तो उसका उपचार किया जाता है। इसके लिए फ्लूडर को बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाकर यंत्र के जरिए ड्रेन किया जाता है
  • पैनक्रियाज की नली में किसी प्रकार की रुकावट आ जाए तो उसे दूर करने के लिए इस प्रक्रिया की मदद से मरीज का उपचार किया जाता है, इसके लिए एंडोस्कोपिक से पंक्चर कर और स्ट्रेन डालकर समस्या को हल किया जाता है
  • कई बार पैनक्रियाज (अग्नाश्य) में किसी को काफी तकलीफ हो, दर्द कम न हो रहा हो तो उसे ब्लॉक करने के लिए सीधा उसी जगह पर इंजेक्शन लगाने के लिए इस तकनीक की मदद ली जाती है

बगैर सर्जरी के इलाज

डॉक्टर बताते हैं कि ये प्रक्रिया बीमारियों का न केवल पता लगाने के लिए बल्कि उसका उपचार करने के लिए भी काफी लाभकारी है। इस प्रक्रिया के तहत बिना किसी बड़ी सर्जरी को अंजाम दिए ही मरीज का इलाज किया जाता है। इसमें जोखिम कम होने के साथ मरीज जल्द स्वस्थ होता है। खून का रिसाव की समस्या नहीं होती है, इससे ब्लड लॉस कम होता है। 

डॉक्टर को सहयोग करें ज्यादा जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें

मौजूदा समय में इलाज का तरीका और बीमारियों का पता लगाने के लिए तकनीक दिन पर दिन और भी ज्यादा विकसित होती जा रही हैं। यदि डॉक्टर आपको इंस प्रक्रिया से इलाज करवाने की सलाह दें तो आपको करवाना चाहिए। वहीं इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। 

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