
समय बदल गया है और बदलते समय के साथ लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है। लोग अब ऐसी चीज़ें ज्यादा खाते हैं जिनमें हाई एसिड होता है इससे इनेमल को नुकसान हो सकता है जो बाद में दांतों की सेंसिटिविटी में बदल जाता है। कुछ लोग कठोर रेशों वाले टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं, इससे भी मसूड़े कमजोर हो जाते हैं। हर तीन में से एक भारतीय दांतों में सेंसिटिविटी महसूस करता है, जब वह कुछ ठंडा खाता है। लेकिन सेंसिटिविटी से पीडि़त सिर्फ 20 फीसदी लोग ही इसका इलाज करते हैं।

आमतौर पर जब लोगों के दांतों में सेंसिटिविटी होती है, तो उनके दिमाग में यह नहीं चलता कि इसे दूर कैसे किया जाए। इसके बजाए वे ऐसी चीजों को खाना छोड़ देते हैं, जिनसे उन्हें सेंसिटिविटी होती है। ऐसे में वह अपनी जिंदगी के अनमोल पलों को खुलकर जी नहीं पाते हैं। सेंसिटिविटी के कारण वे अपने लाइफस्टाेइल को ही चेंज करने लगते हैं। वे अपना पसंदीदा खाना नहीं खाते हैं, अपनी फेवरेट ड्रिंक से दूरी बना लेते हैं। इससे उनकी पर्सनल और सोशल दोनों लाइफ प्रभावित होती है। वे हिचकिचाने लगते हैं और उनके आत्मविश्वास में कमी आने लगती है।
सेंसोडाइन टूथपेस्ट सेंसिटिविटी से परेशान ऐसे ही लोगों के आत्मविश्वास को फिर से लौटाने के लिए पिछले छह महीने से एक कैंपेन चला रहा है। एयरपोर्ट, मॉल और कई दूसरी जगह पर लोगों के दांतों की जांच की जा रही है। इस कैंपेन के जरिए हजारों लोगों को अपने दांतों की समस्या ओं के बारे में पता चला है। साथ ही इस कैंपेन के जरिए लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि सेंसिटिविटी एक सामान्य समस्या है, जिसे सेंसोडाइन के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है। साल 2016 में कुछ लोगों पर की गई टीएनएस की रिसर्च से यह साबित हो गया है कि सेंसिटिविटी दूर करने में सेंसोडाइन काफी कारगर साबित होता है। सेंसाडाइन सेंसिटिव दांतों को ठीक कर आपको खुलकर जीने का मौका देता है।
दरअसल, दांतों में सेंसिटिविटी के कई कारण हो सकते हैं। इनमें इनेमल का कमजोर होना प्रमुख कारण है। डेंटाइन किसी दांत का आंतरिक हिस्सा होता है, जो इनेमल से ढंका हुआ होता है। जब इसमें खाना-पीना लगता है, तो दर्द और सनसनाहट महसूस होती है जो जड़ तक जाती है। दांत की लगातार टूट-फूट से इनेमल पतली हो जाती है। इनेमल निकल जाने से जड़ों को कवर करने वाला तत्व सेमेंचम भी निकल जाता है। इससे डेंटाइन खुल जाती है जिसकी दांत के अंदर छोटी नसें होती हैं। अब अलग-अलग खाने के तापमान होने की वजह से इनमें दर्द होता है।
कैविटी और दांतों की सड़न नसों की जड़ों तक पहुंच जाती है। इससे मसूड़े कमजोर पड़ने लगते हैं। अगर समस्या बढ़ जाए, तो दांत टूट भी सकता है। मसूड़ों के ढीले पड़ने से डेंटाइन खुल जाती है और फिर दांत सेंसिटिव होने लगते हैं। वहीं कठोर रेशों वाले टूथब्रश भी मसूड़ों को कमजोर बनाते हैं। अगर आप लंबे समय तक ऐसी चीज़ें खाते हैं जिनमें हाई एसिड होता है जैसे प्रोसेस्ड फूड, तो इससे आपका इनेमल को नुकसान हो सकता है जो बाद में दांतों की संवेदनशीलता में बदल जाता है।
अगर आपके दांत भी सेंसिटिव हैं और कुछ ठंडा या गर्म खाने से दांतों में तेज झनझनाहट होती है, तो इस वर्ल्ड ओरल हेल्थ-डे के मौके पर अपनी परेशानी को हमारे साथ शेयर कीजिए। सेंसोडाइन वर्ल्ड ओरल हेल्थ डे कॉन्टेस्ट लेकर आया है। इस कॉन्टेस्टे में भाग लेने के लिए आपको अपनी एक फोटो ट्विटर पर शेयर करते हुए हैशटैग (#SayNo2ToothSensitivity) के साथ यह बताना है कि आपकी सेंसिटिविटी का कारण क्या है। हम लोगों के दांतों की सेंसिटिविटी का कारण जानना चाहते हैं। क्या सेंसिटिविटी का कारण पड़ोस की दुकान से ली गई आइसक्रीम है या फिर मां के हाथों से बनी रस्म के कारण। सेंसिटिविटी का करण कोई भी हो, हर कोई सेंसिटिव दांतों से छुटकारा पा सकता है, बस इसके खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है।
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