कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर दुनियाभर में वैक्सीन को बनाने की कोशिशें की जा रही है, ऐसे में एक बार फिर रूसी टीका खबरों में छा गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस कोरोना वायरस के टीके को 12 अगस्त तक तैयार करने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉस्को के गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी (Moscow’s Gamaleya Research Institute of Epidemiology and Microbiology) की ओर से विकसित की गई वैक्सीन, "नियामकों द्वारा पंजीकरण के 3 से 7 दिनों के भीतर" सार्वजनिक इस्तेमाल करने के लिए अनुमति होने की संभावना थी।
परीक्षणों को जल्द खत्म करना चाहता है रूस
आपको बता दें कि रूस का यह वही टीका है जो जुलाई महीने में ही अपना मानव परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा करने में सफलता हासिल की थी। इसके साथ ही कोई भी वैक्सीन आमतौर पर सार्वजनिक इस्तेमाल तक के लिए तब तक अनुमोदित नहीं होती जब तक वो पूरी तरह से अपने मानव परीक्षणों के तीनों चरणों को पूरा न कर ले, जो कई महीनों की एक प्रक्रिया होती है। हालांकि, रूस की ओर से हो रही तेजी से नजर आ रहा है कि रूस दूसरे चरण के परीक्षणों को जल्द से जल्द खत्म करके ही इसे इस्तेमाल में लाने की मंजूरी दे रहा है।
टॉप स्टोरीज़
वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि गामालेया वैक्सीन अगस्त में ही सभी पंजीकरण प्राप्त करने की संभावना थी, जिसका मतलब ये है कि इसे सार्वजनिक इस्तेमाल में लाया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक रूस की इस वैक्सीन का उत्पादन सितंबर महीने में ही शुरू होने की उम्मीद थी। साथ ही जब तक इसका क्लीनिकल परीक्षण पूरा नहीं हो जाता, तब तक इसका इस्तेमाल केवल स्वास्थ्य पेशेवरों को ही दिया जाएगा। वहीं, वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हो रही इस जल्दबाजी को लेकर एक चेतावनी दी है, जिसमें कहा गया है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल सभी परीक्षणों के बाद किया जाना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: क्या आपमें भी हैं खांसी, जुखाम और बुखार के लक्षण है? जानें कैसे पहचानें ये सामान्य एलर्जी है या कोरोनावायरस
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के परीक्षण को टाला गया
देश में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की योजना में बाधा पैदा हो गई है। जानकारी के मुताबिक, अगस्त तक भारतीय प्रतिभागियों पर ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रॉयल शुरू करने की योजना थी। फर्म के परीक्षण के लिए अध्ययन करने वाली एक समिति ने इसे संशोधन करने के लिए कहा है। इसका मतलब यह है कि ट्रायल के लिए समिति की मंजूरी टाल दी गई है और साथ ही इस पर यह अभी साफ नहीं है कि सीरम को भारतीय प्रतिभागियों पर वैक्सीन का परीक्षण शुरू करने से पहले कितने समय तक इंतजार करना होगा।
ये टीका क्या है?
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका की ओर से तैयार किया जा रहा है, जो वैश्विक वैक्सीन बनाने की दौड़ में सबसे आगे था। इस वैक्सीन को ChAdOx1 नाम दिया गया, जो कोविड-19( Covid-19) वायरस के खिलाफ मानव शरीर में कोशिकाओं सही काम करने और बाद में शरीर में एंटीबॉडी बनाने की उम्मीद है, जिससे कि इस वायरस के नुकसान पहुंचाने की कोशिश विफल हो जाए।
इसे भी पढ़ें: क्या सचमुच कोरोनावायरस के खिलाफ जंग का हथियार बन सकता है एंटीबॉडी इंजेक्शन? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
समिति ने क्यों वापस ली मंजूरी
सीरम ने अपने परीक्षण के दौरान 1600 प्रतिभागियों पर चरण दूसरा और तीसरे के लिए प्रस्तावित किया था। कमेटी ने दोनों चरणों के बीच की सीमांकन की मांग की है। आपको बता दें कि अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पुणे स्थित फर्म केवल पुणे और मुंबई में ही परीक्षण स्थलों पर विचार कर रही है, कमेटी को पता चला है कि परीक्षण साइटों को पूरे देश में फैलाना चाहिए। इसके साथ ही कमेटी ने सीरम के आवेदन में सिफारिश की है। जिसमें प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को लागू करने के लिए उम्मीदवार वैक्सीन की क्षमता का आकलन करने के लिए अपनाए गए तरीकों से संबंधित सुझाव शामिल हैं और फर्म को प्रतिभागियों के आंकड़े को साफ करना है।
Read More Articles on Health News in Hindi