क्या आपने कभी सोचा है कि हर व्यक्ति का स्वभाव एक दूसरे से अलग क्यों होता है? इसके पीछे क्या वजह है? कोई शांत स्वभाव का होता है तो कोई चंचल। बता दें कि इसके पीछे ब्रेन में मौजूद न्यूरोट्रांस्मीटर्स और हॉर्मोंस का बड़ा महत्व है। मनोवैज्ञानिक समस्याएं तब पैदा होती है जब इन दोनों के काम में रुकावट आती है। इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि हमारा ब्रेन कैसे काम करता है और हमारे स्वभाव और परिवार को बदलने में न्यूरोट्रांस्मीटर्स और हॉर्मोंस का क्या योगदान है। पढ़ते हैं आगे...
ब्रेन काम कैसे करता है
किसी व्यक्ति का दिमाग एक कंप्यूटर की तरह काम करता है। ब्रेन में न्यूरोट्रांस्मीटर्स पाए जाते हैं। इनकी मदद से शरीर के हिस्से में संदेश पहुंचाया जाता है। वही व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए न्यूरोट्रांस्मीटर्स (डोपामिन और सेरोटोनिन) नामक अहम काम करते हैं।
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सेरोटोनिन से बड़े आत्मविश्वास
सेरोटोनिन एक पॉजिटिव हॉर्मोन न्यूरोट्रांस्मीटर है। जिससे सेक्स, भूख और नींद को निर्धारित किया जाता है। अगर व्यक्ति के शरीर में इसका स्तर अच्छा है तो वह खुश और एक्टिव रहता है। वहीं अगर शरीर में इसकी कमी हो जाती है तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर एंटी डिप्रेजेंट्स की मदद से इस हॉर्मोंस को बढ़ाते हैं। बता दें कि अगर शरीर में सेरोटोनिन असंतुलित हो जाए तो गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या बाइपोलर अफेक्टिव डिसऑर्डर होने की संभावना बढ़ जाती है।
नॉराड्रेनलिन से आए जोश
इस हॉर्मोन की वजह से व्यक्ति के शरीर में जोश उत्पन्न होता है। ऐसे में जब भी युद्ध या खेल की बात होती है तो सैनिकों और खिलाड़ियों में यह हॉर्मोंस एक्टिव हो जाते हैं। इस हॉर्मोन की मदद से दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसके अलावा व्यक्ति को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए इस हार्मोन का महत्व योगदान है। वहीं इसका स्तर कम हो जाए तो हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
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ऑक्सिटोन का काम
जब भी प्यार, केयरिंग और विश्वास की बात आती है तो यह हॉर्मोन एक्टिव हो जाता है। इस हॉर्मोन को मैमल ग्रुप के सभी प्राणियों में पाया जा सकता है। बता दें कि जब भी लेबर पेन स्त्रियों में उठता है तब यह हॉर्मोन एक्टिव हो जाता है। ऐसे में यूट्रस का साइज बढ़ता है। इसके अलावा मां के शरीर में दूध इसी के माध्यम से बनता है। इस प्रक्रिया में इसका बेहद महत्वपूर्ण रोल है। इसी हॉर्मोंस के कारण मां और बच्चे के बीच में भावनात्मक संबंध जुड़ता है। वहीं अगर स्त्रियों में इस हॉर्मोन की कमी हो जाए तो सुस्ती, उदासी या निराशा छाने लगती है। लेकिन अगर स्त्री सकारात्मक सोच रखें तो ब्रेन में इसका स्तर बढ़ता है।
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डोपामिन का काम
व्यक्ति में एकाग्रता, सीखने की क्षमता और इसमें शक्ति को बढ़ाने का काम डोपामिन का होता है। जब यह हॉर्मोन सक्रिय होता है तो लोगों में कुछ नया करने की इच्छा उत्पन्न होती है। ऐसे में शरीर में इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए। वहीं अगर शरीर में इसका स्तर बढ़ जाता है तो व्यक्ति अक्रामक हो जाता है। इसके अलावा वह गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार भी हो जाता है और इसकी कमी से व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है।
एंडोर्फिंस सिर दर्द हो दूर
बता दें कि हमारे ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड में एंड और एंडोर्फिंस फेमस पाए जाते हैं। इनकी संख्या 20 होती है। इन के माध्यम से शरीर के कई प्रकार के काम किए जा सकते हैं। व्यक्ति के जन्म के समय में ये हॉर्मोंस अलग तरीके से काम करते हैं। इनका स्तर रहा तो व्यक्ति खुशमिजाज रहता है। वहीं इस हॉर्मोंस का काम पेन किलर के रूप में भी किया जाता है। जब भी शरीर थकान महसूस करता है या उसे दर्द होता है तो दिमाग ज्यादा मात्रा में एंडोर्फिंस रिलीज करने लगता है जिसकी वजह से शरीर दर्द को सह पाता है।
कॉर्टिसोल का काम
कई बार ऐसी परिस्थिति पैदा हो जाती है जब शरीर में सेराटोनिन और डोपामिन आदि का स्तर कम हो जाता है उस वक्त कॉर्टिसोल काम आता है। जब ये सक्रिय होता है तो व्यक्ति थोड़ी देर के लिए चिंता में आ जाता है लेकिन इसके माध्यम से व्यक्ति हल ढूंढने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
दिमागी सेहत को सही रखने के लिए
- अगर आपको स्मोकिंग की आदत है और तो कोशिश करें अपनी इस आदत को कम करना। क्योंकि इसके अंदर कुछ ऐसे विषैले तत्व मौजूद होते हैं जो ब्रेन की कार्य क्षमता को कम करने का काम करते हैं।
- वहीं अगर आप दिमाग के तनाव को दूर करना चाहते हैं तो चॉकलेट या चटपटी चीजों का सेवन किया जा सकता है क्योंकि इन चीजों के सेवन से दिमाग में एंडोर्फिंन हॉर्मोन का सक्रिय लेवल बढ़ता है।
- अगर आप नियमित रूप से योग और एक्साइज करते हैं तो एंडोर्फिंन हार्मोन बढ़ जाता है और व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
- पजल, शतरंज आदि ऐसे गेम्स खेलने से दिमाग की एक्सरसाइज अच्छी होती है।
- अगर आप स्मरण शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें।
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