
COVID-19 महामारी और सुपर साइक्लोन अम्फान (Amphan) के बाद प्रकृति मे हमारे सामने हीटवेव के रूप में एक और चुनौती पेश कर दी है। दरअसल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, भारत के कुछ हिस्सों में अगले आने वाले दिनों में हीटवेव का कहर रहेगा। वहीं हीट वेव के चलते राज्यों में रेड अलर्ट जारी है। यह स्थिति भारत के उत्तरी भाग, चुरू (राजस्थान) में सबसे गर्म (45.6 डिग्री सेल्सियस) तक बढ़ गई है। साथ ही, दिल्ली के कुछ हिस्सों और यूपी में पारा 46 डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसे में हीट वेव यानी इन गर्म हवाओं का शरीर और स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ सकता है। तो इसलिए जरूरी है कि आप इससे जुड़े स्वास्थ्य के जोखिमों को जानें और बचे रहने की कोशिश करें।
गर्मी से संबंधित बीमारियां
गर्मी से होने वाली थकावट (Heat Exhaustion), हीट क्रैम्प्स और हीट स्ट्रोक (जिसे सन स्ट्रोक भी कहा जाता है) गर्मी से संबंधित बीमारियां हैं, जो लंबे समय तक गर्म तापमान के संपर्क में रहने से होती है। जब आप अत्यधिक तापमान के संपर्क में होते हैं, तो ब्लड आपकी त्वचा की सतह पर पहुंच जाता है क्योंकि आपका शरीर खुद को ठंडा करने का काम करता है। यह आपके मस्तिष्क, मांसपेशियों और अन्य अंगों में ब्लड सर्कुलेशन को कम करता है। यह आपकी शारीरिक शक्ति और मानसिक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे गंभीर स्थिति पैदा होती है।
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हीटवेव आपके शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है
हीट से थकावट (Heat Exhaustion) एक ऐसी स्थिति है, जब आपके शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है। हीटस्ट्रोक (Heatstroke) एक अगला चरण है जब आपका शरीर अपने तापमान को विनियमित करने में असमर्थ होता है। यह घातक हो सकता है। साथ जब आपका शरीर लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहता है, तो पहली चीज जो होती है वह पसीने की क्षमता खो देती है। इसलिए अगर आपका शरीर पसीना निकालने में असमर्थ हैं, तो गर्मी की थकावट से हीटस्ट्रोक होने की संभावना है। ये आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और रक्त संचार प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। वहीं इसके कारण शरीर को कुछ बड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं, जैसे ब्रेन हेमरेज और शरीर के कई अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं।
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हीट स्ट्रोक के संकेत (symptoms of high heat stroke)
हीट स्ट्रोक आमतौर पर तब होता है जब शरीर में पानी और नमक की कमी होने लगती है और पसीना आना बंद हो जाता है। वहीं बेहोशी महसूस होने को इसका पहला संकेत माना जा सकता है। वहीं संकेतो की बात करें, तो
- -बहुत तेज सिरदर्द
- -चक्कर आना
- -गर्मी के बावजूद पसीने की कमी
- -लाल, गर्म और शुष्क त्वचा
- -मांसपेशियों की कमजोरी या ऐंठन का अनुभव
- -मतली और उल्टी
- -तेज धडकन
- -तीव्र, उथली श्वास आदि है।
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हीट स्ट्रोक से बचाव (Heatstroke prevention)
- - गर्मी से बचने के लिए पूरे दिन तरल पदार्थ पिएं। हर दिन कम से कम 8 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है, जिसमें फलों के रस एड-ऑन करें।
- -दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से नहा लें।
- -हल्का, हाइड्रेटिंग और पौष्टिक भोजन खाएं।
- - ककड़ी, तरबूज, नारियल, बेल का शरबत आदि का सेवन करते रहें।
- -हल्के और ढीले कपड़े पहनें, जो सूती कपड़े का हो।
- -लंबे समय तक बाहर जाने पर त्वचा या कपड़ों पर पानी छिड़कें।
- -सुबह 11 बजे से 3 बजे के बीच धूप में निकलने से बचें, छाता या टोपी का उपयोग करें।
- -अधिक शराब, शर्करा युक्त पेय और बहुत अधिक कैफीन के सेवन से बचें, ये अत्यधिक निर्जलीकरण का कारण बन सकते हैं।
- -अत्यधिक व्यायाम से बचें।
- -वेंटिलेशन के बिना बंद खड़ी कार में बच्चों या बड़े वयस्कों को कभी न छोड़ें।
- -बच्चों और बुजुर्ग का खास ख्याल रखें।
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