कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले 30% लोगों में सामने आ रहे हैं फेफड़े डैमेज होने के मामले: रिसर्च

हाल में हुई एक रिसर्च में पाया गया है कि कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी, एक व्यक्ति को पूरे जीवन में फेफड़ों की समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है। 
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कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले 30% लोगों में सामने आ रहे हैं फेफड़े डैमेज होने के मामले: रिसर्च

क्‍या आप कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं? क्‍या आपके जानने वाले या किसी रिश्‍तेदार को कोरोनावायरस हुआ है? तो यहां आपके लिए एक जरूरी खबर है। अगर आपको लगता है कि COVID-19 से उबरने के बाद आप पूरी तरह से सुरक्षित हैं, तो आप गलत हैं। यह ऑटोइम्यून संक्रमण आपको बाद के जीवन में भी फेफड़ों की समस्याओं का रोगी बना सकता है। कोरोनोवायरस एक ऐसा घातक वायरस है, जिससे ठीक होने के बाद आपको जिंदा रहने के लिए जीवन मिल सकता है, लेकिन यह आपको जीवन भर का एक घाव दे सकता है। जी हां, यह घातक वायरस फेफड़ों और उनके कामकाज पर हमला करता है। जिसके कारण इस वायरस से रिकवरी यानि ठीक होने के बाद भी, आपके फेफड़े वैसा नहीं हो सकते, जैसा कि इस वायरस के अटैक से पहले थे। कोरोनावायरस रिकवरी के बाद अपरिवर्तनीय फेफड़ों की समस्याएं हो सकती हैं। 

COVID-19 और उससे होने वाली स्वास्थ्य समस्‍याएं 

यदि आप मानते हैं कि कोरोनोवायरस से ठीक होने के बाद आप पहले जैसे स्‍वस्‍थ हो जाएंगे या सबकुछ ठीक हो जाएगा, तो आप गलत है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यह इतना आसान नहीं है। यह कठिन समय है और हम सभी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके लिए रोकथाम ही इस वायरस से बचने का एकमात्र उपाय है। आपको इस समय अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना सबसे ज्‍यादा जरूरी है क्‍योंकि कमजोर इम्‍युनिटी होने वाले लोगों के सिर पर कोरोनावायरस का खतरा अधिक मंडरा रहा है। कोरोनावायरस के स्वास्थ्य प्रभाव भी खतरनाक हैं, जो आपके लिए जानलेवा हो सकते हैं, यह मुख्य रूप से आपके श्वसन तंत्र पर हमला करता है।

Coronavirus and lung diseases

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डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि धूम्रपान करने और शराब पीने वालों लोगों को इस वायरस का अधिक खतरा है। इसके अलावा, पहले से किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज या श्वास की तकलीफ वाले लोगों को इस वायरस का अधिक खतरा है। श्‍वास की तकलीफ या फिर धूम्रपान करने वाले लोगों के फेफड़े पहले से ही कमजोर और खराब होते हैं। इसलिए यह वायरस उन पर आसानी से हमला कर सकता है। अगर आप इस घातक वायरस से बच जाते हैं, तो यह आपको अपने शेष जीवन के लिए फेफड़ों की बीमारी होने की अत्यधिक संभावना पैदा करता है। 

कोरोनावायरस और फेफड़ों की बीमारियों का संबंध 

हाल में हुई नई रिसर्च, जिसमें यूके नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने बताया है कि लगभग 30% कोरोनोवायरस सर्वाइवर्स में मनोवैज्ञानिक समस्‍याओं के साथ-साथ दीर्घकालिक अपरिवर्तनीय फेफड़ों की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं। यह धूम्रपान करने वालों और धूम्रपान न करने वालों दोनों के लिए है। हालांकि, धूम्रपान करने वाले लोग, जिनके फेफड़े पहले से कमजोर हैं, वे अधिक जोखिम में हैं। SARS और MERS वायरस ने भी फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है, कोरोनावायरस भी इसी रास्‍ते का अनुसरण करता है जहां लगभग 30% लोगों के फेफड़ों की क्षति हुई है।

Coronavirus Cause lung problem after recovery

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यहाँ नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) की लीक हुई रिपोर्ट का एक अंश है: “SARS-CoV और MERS-CoV के कारण वैश्विक SARS प्रकोप से बचे लगभग 30% लोगों को लगातार शारीरिक कमजोरी और फाइब्रोटिक फेफड़े की बीमारी के साथ असामान्यता का अनुभव हुआ। यह माना जाता है कि पल्मोनरी फाइब्रोसिस (फेफड़े को नुकसान और चोट) एक महत्वपूर्ण स्थिति होने की संभावना है, जो कोरोनावायरस का परिणाम है। "

सिर्फ फेफड़ों की समस्या ही नहीं, COVID-19 से क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम और मनोवैज्ञानिक नुकसान भी हो सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस वायरस से जीवित बचे 70% लोग, गंभीर रूप स संज्ञानात्मक हानि का अनुभव भी कर सकते हैं। 

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