एम्स निदेशक ने चेताया, कोरोना मरीज बार-बार न कराएं CT Scan, हो सकता है कैंसर का खतरा

एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने लोगों को चेताया कि बार-बार सीटी स्कैन न कराएं। इससे भविष्य में आपको कैंसर का खतरा बढ़ता है।  
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एम्स निदेशक ने चेताया, कोरोना मरीज बार-बार न कराएं CT Scan, हो सकता है कैंसर का खतरा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जो लोग कोविड पॉजिटिव होने के बाद बार-बार सीटी स्कैन करा रहे हैं वे ऐसा न करें। बार-बार सीटी स्कैन कराने भविष्य में कैंसर का खतरा बढ़ सकता (CT Scan May Cause Cancer) है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कहर दिख रहा है। मेडिकल सुविधाओं की कमी के चलते लोग पैनिक में हैं, जिससे वे कुछ भी उपाय अपना रहे हैं। इन्हीं उपायों से डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Aiims Director Dr. Guleria) ने चेताया है। उन्होंने प्रेसवार्ता कर कहा कि बार-बार ब्लड टेस्ट कराना और हल्के लक्षण दिखने पर दवाएं खाना भी नुकसानदायक है। इसलिए एम्स निदेशक ने लोगों से अपील की है कि कोरोना में ज्यादा पैनिक न हों। देश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, इसका भी आश्वासन उन्होंने दिया। 

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सीटी स्कैन से कैंसर का खतरा

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यंग एज में जो लोग कोरोना के डर से बार-बार सीटी स्कैन करा रहे हैं उन्हें कैंसर का खतरा हो सकता है। इसलिए इसे न कराएं। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि जब भी लोगों को कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तब वे सीटी स्कैन कराने चल देते हैं। यह फायदेमंद नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आपको हल्के कोरोना के लक्षण हैं तो सीटी स्कैन से फायदा नहीं है। सीटी स्कैन में कुछ पैचिस आएंगे। जिससे मरीज परेशान होगा और उसकी परेशानी और बढ़ेगी। 

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एक सीटी स्कैन 300 एक्स-रे के बराबर : एम्स निदेशक 

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कुछ शोधों में पाया गया है कि एसिम्टोमैटिक जिनको कोरोना का कोई लक्षण नहीं है पर कोविड पॉजिटिव हैं, उनकी सीटी में भी कुछ पैचिस आते हैं और वो बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं। इसलिए सीटी कराने का काई फायदा नहीं है। विशेषकर अगर आपको हल्के लक्षण है, आप होम आइसोलेशन में हैं और आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन ठीक है। इसका नुकसान ज्यादा है। अगर आप एक सीटी कराते हैं तो यह 300 एक्सरे के बराबर है। International Atomic Energy Agency (IAEA) ने शोधों ने यह आंकड़ा दिया है। डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि बार-बार यंग एज में सीटी कराने से भविष्य में कैंसर के खतरे बढ़ सकते हैं। इससे आप खुद में रेडिएशन बढा रहे हैं। इससे भविष्य में कैंसर होने के खतरे बढ़ सकते हैं। अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो सीटी न कराएं। 

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सीटी स्कैन कराने की जरूरत कब?

डॉक्टर गुलेरिया ने प्रेसवार्ता कर बताया कि सीटी कराने की जरूरत तभी पड़ती है जब आपको मॉडरेट लक्षण दिखाई दे रहे हैं और आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। अगर आपको आशंका है तो पहले छाती का एक्स-रे कराएं उसके बाद ही सीटी स्कैन कराएं। आजकल लोग कोविड पॉजिटिव होते ही ब्लड टेस्ट कराते हैं, तो अगर आपको माइल्ड इलनेस है, आपको कोई और लक्षण नहीं है तो ये बिना वजह न करें। इसकी जरूरत नहीं है। अगर आपको मॉडरेट इलनेस हो तब ही डॉक्टर की सलाह से ही कराएं। ज्यादा ब्लड टेस्ट से बचें। इससे आपको नुकसान ही होगा।

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हल्के लक्षण दिखने पर कोई दवा की जरूरत नहीं : डॉ. गुलेरिया

एम्स निदेशक डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि माइल्ड इलनेस के लोगों को कोई दवाई की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कई पेशेंट हैं जो शुरूआती चरण में ही स्टेरॉयड ले ले रहे हैं। इससे वायरस की पुरावृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। कई बार माइल्ड केसिस को भी गंभीर निमोनिया हो जाता है। क्योंकि उन्होंने बहुत ज्यादा स्टेरॉयड ले लिए होते हैं। 

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होम आइसोलेशन के लिए जरूरी बातें

  • -अपने डॉक्टर से संपर्क करते रहें। 
  • -ऑक्सीजन सैचुरेशन कम हो रहा है तब डॉक्टर से संपर्क करें। 
  • -जिन लोगों की उम्र ज्यादा है, दूसरी गंभीर बीमारियां हैं उन्हें ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। हेल्थकेयर वर्कर के संपर्क में रहना चाहिए। 

मॉडरेट लक्षण दिखाई देने पर तीन तरह के इलाज प्रभावी हैं : डॉक्टर गुलेरिया

1. अगर आपका सैचुरेशन कम है तो आपको ऑक्सीजन की जरूरत है। 

2. जब सैचुरेशन कम हो रही है और आपको मॉडरेट इलनेस है तब स्टेरॉयड की जरूरत है। 

3. कोविड-19 इन्फैक्शन में वायरल निमोनिया से चीजें अलग हैं। ये ब्लड में क्लोटिंग को प्रमोट करती है। और उसके कारण फेफड़ों में खून नलियों में क्लॉट बन जाते हैं जिसके कारण सैचुरेशन कम हो जाते हैं। कई दफा क्लॉट्स हार्ट में चले जाते हैं जिससे हार्ट अटैक होता है तो वहीं कई बार क्लॉट्स दिमाग में चले जाते हैं जिससे ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। इसलिए मॉडरेट केस में Anticoagulant drugs  देते हैं। जिससे खून पतला रहे और क्लोटिंग न हो। लेकिन माइल्ड इलनेस में ये दे दिया तब भी इससे नुकसान होते हैं। इसलिए ड्रग का टाइमिंग बहुत ध्यान रखना पड़ता है।  इसके अलावा प्लाज्मा, रेमडिसवीर आदि इमरजेंसी इलाज हैं। लेकिन इनका कोई डेटा नहीं है कि ये कोरोना का इलाज हैं। कोरोना का प्रमुख इलाज ऊपर की तीन बिंदु ही हैं। 

एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर यह बताया कि लोगों को कोरोना की वजह से ज्यादा पैनिक में आने की जरूरत नहीं है। कोरोना का इलाज आराम से किया जा सकता है। बेवजह सीटी स्कैन न कराएं। इससे भविष्य में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। 

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