वर्तमान समय में पैसा बन रहा है रिश्तों की नींव, जानें कैसे?

आर्थिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में रिश्ते भी लोगों की हैसियत के आधार पर बनते-बिगड़ते हैं। 
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वर्तमान समय में पैसा बन रहा है रिश्तों की नींव, जानें कैसे?


आर्थिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में रिश्ते भी लोगों की हैसियत के आधार पर बनते-बिगड़ते हैं। बहुत से परिवारों में शादी-विवाह जैसे खास अवसरों पर लोग केवल अपनी बराबरी के लोगों को ही बुलाते हैं। पैसा ऐसी चीज है कि इसके आधार पर माता-पिता अपनी संतान के बीच भी भेदभाव करने लगते हैं। इसी तरह जहां परिवार में कई भाई-बहन होते हैं, वहां भी आर्थिक स्थिति के आधार पर रिश्तों में ऐसी गैर बराबरी नजर आती है। संपन्नता सभी को आकर्षित करती है, लेकिन निर्धन रिश्तेदारों से कोई भी संबंध रखने को तैयार नहीं होता।

लोगों को ऐसा लगता है कि मामूली लोगों के साथ उठने-बैठने से हमारी इज्ज़त कम हो जाएगी। गरीब रिश्तेदार तो लोगों को खोटे-सिक्के की तरह लगते हैं। न चाहते हुए भी रिश्तों पर हैसियत हावी हो ही जाती है। यह कोई नया सामाजिक बदलाव नहीं है, बल्कि हमारे समाज में यही रीति चली आ रही है। हमेशा से ही लोग अपने रिश्तों को आर्थिक हैसियत के तराजू पर तोलते आए हैं।

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पहले जैसा अपनापन नहीं रहा

समय के साथ लोगों के रिश्तों में तेजी से बदलाव आ रहा है। अब समाज में लोगों के बीच पहले की तरह अपनापन दिखाई नहीं देता। पहले आंतरिक गुणों और अच्छे व्यवहार के आधार पर लोगों को मान-सम्मान दिया जाता था, न कि उनकी हैसियत देखकर। चाहे अमीर हो या गरीब, सभी रिश्तेदारों के साथ समान व्यवहार किया जाता था, पर अब लोगों के रिश्ते पैसे के आधार पर बनते-बिगड़ते हैं। रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती जा रही है। इसलिए जीवन के बुरे दौर में ही हमें अपने संबंधों की सच्चाई और मजबूती को परखना चाहिए।

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बुरे वक्त में दें साथ

आर्थिक स्थिति में फर्क होने पर न चाहते हुए भी रिश्तों में फासले बढऩे लगते हैं, क्योंकि जहां जीवन स्तर में बहुत ज्य़ादा असमानता होती है, वहां दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ सहज महसूस नहीं करते। हालांकि, अगर समझदारी से काम लेते हुए लोग एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें तो रिश्तों की गर्मजोशी पर हैसियत हावी नहीं हो पाती। ऐसे में संपन्न रिश्तेदार या दोस्त की यह जिम्मेदारी बनती है कि अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार से वह कमजोर पक्ष को सहज महसूस करवाए, ताकि अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर उसके मन में कोई हीन भावना न आए।

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