
इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता की आज व्यक्ति रेडिएशन से चारों ओर से घिरा हुआ है। इस बात को सिद्ध करने के लिए अनेकों शोध भी किये गए हैं कि मोबाइल फोन और मोबाइल फोन के टॉवरों से निकलने वाले विकिरण का असर डीएनए पर कितना पड़ता है। शोधों से यह भी प्रमाणित हो चुका है कि बढ़ते हुए रेडिएशन के कारण शहरों से तितलियों जैसे जीव जंतु गायब हो गए हैं। हालांकि रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग में आने वाले उपकरणों से होने वाले रेडिएशन के खतरे के बारे में शायद ही कोई बहुत ज्यादा सोचता होगा। आइए जानें रेडिएशन के खतरे के बारे में।
रेडिएशन के खतरे
- यह बात भी पहले ही प्रमाणित हो चुकी है कि मोबाइल फोन के रेडिएशन से कैंसर हो सकता है। लोगों में इसी रेडिएशन के माध्यम से कैंसर फैलता है। हाल ही में वाशिंगटन विश्वविद्या़लय के हेनरी लाई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि रेडियों तरंगों के रेडिएशन से उन चूहों के दिमाग डैमेज हो गए जिन पर ये शोध किया गया था।
- यह सही है कि हर समय बाहर रहने और लोगों से संपर्क साधने के महत्व के कारण मोबाइल फोन का महत्व बहुत बढ़ गया है। जिन उपकरणों का हम रोजमर्रा में प्रयोग करते हैं वे सभी इलेक्ट्रिक फील्ड और रेडियोधर्मी होते है।
- इलेक्ट्रिक फील्ड दीवारों या किसी अन्य फील्ड से ढके होते हैं लेकिन रेडियोधर्मी अधिकांश दीवारों को पार कर सकते हैं। इनसे होने वाले रेडिएशन में परिवर्तन ला सकते हैं। वॉशिंग मशीन, डिश वॉशर, वैक्यूम क्लीनर, लैपटॉप से लेकर साधारण से दिखने वाले हेयर ड्रायर से इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक तरंगे निकलती हैं। ये बात अलग है कि किसी एक उपकरण के प्रयोग से बहुत ज्यादा डीएनए परिवर्तन नहीं होता। लेकिन इन तरंगों से गंभीर खतरों का सामना करना पड़ सकता है। रेडिएशन के कारण सेल्स और टिश्यूज़ का विकास प्रभावित होता है और इसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं, नवजात और बढ़ते बच्चों पर पड़ता है।
इसलिए उन लोगों को बचाना समय की मांग है जिनका सामना रेडिएशन से बार-बार होता है। इसके अलावा इस विषय पर लगातार शोध होने चाहिए की इससे डीएनए ट्रिगर में कितना परिवर्तन होता है।
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