दिन जब लंबे हों और आपके पास कोई काम न हो तो भुना हुआ साबुत अनाज का सेवन करना सही चुनाव है। अक्सर ग्रामीण इलाकों जब औरतें अपने दिन भर के काम से निपट जाती हैं और दोपहरी के वक्त खाली बैठी होती हैं, तब अक्सर भुने हुए साबुत अनाज का सेवन करती हैं। इसे कई इलाकों में चबैना कहा जाता है। गांवों में गेहूं, चना, मक्का, बाजरा आदि भुनकर भी खाया जाता है। नमामी लाइफ में न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर ने बताया कि इस तरह अनाज भूनकर खाने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। साथ ही फाइबर, कैलोरी, विटामिन, मिनरल आदि सही मात्रा में मिलते रहते हैं।
भुना अनाज खाने के फायदे
- फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
- भुने अनाज में कैलोरी कम होती हैं।
- भुना हुआ अनाज पचने में आसान होता है।
- शाम का हेल्दी स्नैक का विकल्प है, भुना हुआ अनाज।
- वजन कम करने में मददगार है भुना हुआ अनाज।
- भुने हुए अनाज में विटामिन और मिनरल्स होते हैं।
- साबुत अनाज सभी अफोर्ड कर सकते हैं।
- इस साबुत अनाज को खाने से कब्ज की परेशानी नहीं होती।
- भुना हुआ साबुत अनाज खाने से इम्युनिटी बढ़ती है।
भुने चावल खाने के फायदे
हर अनाज में अपने फायदे होते हैं। ऐसे में साबुत अनाज को भुनकर खाने से अलग स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। आप चाहें तो इस चावल को हल्की आंच पर सेंक सकते हैं। जब चावल का रंग ब्राउन होने लग जाए तो उसे उतार लें। ठंडा होने पर खाएं। भुना हुआ साबुत चावल में सोडियम नहीं होता है। साथ ही ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार हैं। भुने हुए चावल में आयरन और कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
भुने हुए चावल को खीरा और टमाटर के साथ एड करके शाम के स्नैक की तरह खा सकते हैं। इस तरह चावल को खाने से सेहत को अनेक फायदे मिलते हैं।
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भुना हुआ किनुआ खाने के फायदे
ग्रामीण इलाकों की यह भुने अनाज की संस्कृति अब शहरों में भी बढ़ने लगती है। दरअसल साबुत अनाज की महत्ता शहरी आबादी भी अच्छी से समझने लगी है। भुना हुआ किनुआ ग्लूटन फ्री होता है। इसका मतलब है कि जो लो ग्लूटन एलर्जिक होते हैं उन्हें यह परेशान नहीं करती। साथ ही जिन लोगों को इरिटेबल बाउल सिड्रोम होता है उनके लिए भी भुना हुआ किनुआ फायदेमंद होता है। किनुआ प्रोटीन से रिच होता है। इसमें 9 जरूरी एमिनो एसिड्स होते हैं। यह एमिनो एसिड्स शरीर के लिए की तरह से फायदेमंद होते हैं। किनुआ मेटाबॉलिज्म को भी मजबूत करता है।
भुना हुआ बाजरा खाने के फायदे
गांवों में बच्चे कच्चे बाजरे की बालियां सीधे खेतों में भूनकर खाते हैं। कई बार जब खेतों से कटाई होने के बाद बाजरा घर में आ जाता है तब भी उसे भूना जाता है। इसे भूनकर और पीसकर दोनों तरह से डाइट में शामिल किया जाता है। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि बजारा में मैंग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। इससे हृदय का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही बाजरा इम्यनिटी बढ़ाने में भी मदद करता है। इसमें पोटैशियम भी पाया जाता है तो ब्लड प्रेशर को कम करता है।
न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि गांवों में लोग साबुत अनाज खाते थे, इसिलए उन्हें स्वास्थ्य जुड़ी गंभीर बीमारियां कम होती हैं। लेकिन शहरों में मैदा का चलन है, यही वजह है कि बीमारियां ज्यादा होती हैं।
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भुना हुआ गेहूं खाने के फायदे
गेहूं को लोग भूनकर, उबालकर और पीसकर तीनों तरह से उपयोग में लाया जाता है। गेहूं में फाइबर अधिक होता है जो कब्ज की परेशानी को दूर करता है। गेहूं में सेलेनियम होता है जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। गेहूं दिल के लिए भी लाभकारी होता है। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि गेहूं में कॉपर अधिक मात्रा में पाय जाता है जिससे हृदय को लाभ मिलता है।
भुना हुआ मक्का खाने के फायदे
आपने अभी तक पॉपकॉर्न खाए होंगे, लेकिन क्या मक्का को आग में भूनकर खाया है। अगर नहीं तो इस बार ट्राय करिएगा। इसे भूनकर खाने से शरीर को शरीर को कई फायदे मिलते हैं। बारिश के मौसम में भुना हुआ भुट्टा तो आपने खाया होगा, लेकिन यही मक्का के बीज अलग से भुनकर रख लिए जाते हैं, ताकि खाली दिनों में इसे बतौर चबैना की तरह इस्तेमाल किया जा सके।
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि पॉपकॉर्न में कैलोरी कम होती हैं। इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है। साथ ही इसमें आयरन, मैग्नेशियम, फोसफोरस और जिंक पाया जाता है। यह वजन को नियंत्रित करते हैं और इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं।
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भुनी हुई चौलाई खाने के फायदे
चौलाई बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को कम करने का काम करती है। इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी पाई जाती है, इसलिए यह पेट के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही चौलाई ग्लूटन फ्री होती है।
भुना हुआ ज्वार खाने के फायदे
भुने हुए ज्वार में पोलीफेनॉल्स पाए जाते हैं जो डायजेशन को ठीक करते हैं। साथ ही ज्वार में एंटी-कैंसर कंपाउंड पाए जाते हैं, कैंसर को रोकते हैं।
भुनी हुई जौं खाने के फायदे
जौं और गेहूं देखने में लगभग एक जैसे लगते हैं। भुनी हुई जौं खाने से कब्ज कम होती है। इशमें सोल्युबल फाइबर पाया जाता है जिसे बेटा ग्लूकैन कहते हैं। साथ ही जौं विटामिन का ई का अच्छा स्रोत है विटामिन हेल्दी त्वचा के लिए जरूरी है। यह इम्युनिटी को बढ़ाने में भी मदद करता है। भुना हुआ बाजरा ब्लड प्रेशर को कम करता है।
भुना हुआ कुट्टू खाने के फायदे
कुट्टू का आटा अक्सर शहरों में व्रत के समय में प्रयोग में लाया जाता है। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसमें सभी जरूरी एमिनो एसिड्स पाए जते हैं। कुट्टू में मैंगनेज होता है जो मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है। साथ ही वजन कम करने में भी मदद करता है। कुट्टू में सोलेनियम होता है जो इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं। साथ ही आयरन की मात्रा में एनिमिया को दूर रखती है।
गांवों में भुना हुआ अनाज लोग हेल्थ बेनेफिट्स को ध्यान में रखकर नहीं खाते, बल्कि उनकी आदमनी इतनी कम है कि अनाज पिसवाने के लिए रुपए नहीं होते। लेकिन उनकी यह कम आमदनी की डाइट स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक है। गेहूं, आटा, चना, बाजरा आदि आज भी गांवों में भूनकर खाया जाता है। अब शहरों में भी साबुत अनाज भुनकर खाने की व्यवस्था शुरू हो गई है। यह ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए लाभकारी है।
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