बच्चेदानी में गांठ (फायब्रॉइड्स) का इलाज समय से कराना क्यों है जरूरी? जानें इलाज में देरी के खतरे

फायब्रॉइड्स महिला के गर्भाशय में होने वाली गांठ (रसौली) हैं, जिसके लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते। जानें इसके इलाज में देरी कितनी परेशानी ला सकती है।
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बच्चेदानी में गांठ (फायब्रॉइड्स) का इलाज समय से कराना क्यों है जरूरी? जानें इलाज में देरी के खतरे


फायब्रॉइड (Fibroids) एक प्रकार का ट्यूमर होता है, जो महिलाओं के गर्भाशय (यूटरस) में पाया जाता है। इसे बच्चेदानी (गर्भाशय) में गांठ या ट्यूमर भी कहते हैं। आमतौर पर शुरुआती अवस्था में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन इन फायब्रॉइड्स के बढ़ जाने के बाद कुछ लक्षण दिख सकते हैं, जैसे- अधिक ब्लीडिंग होना, पेट में दर्द होना, पेल्विक प्रेशर का बढ़ना आदि। आमतौर पर गांव की महिलाओं में ये स्थिति शहरों की महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा देखने को मिलती है। मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा की कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट, डॉ मनीषा रंजन के अनुसार फायब्रॉइड्स भी कोशिकाओं के बढ़ने का ही परिणाम होते हैं, लेकिन ये कैंसरकारी कोशिकाएं नहीं होती हैं। हर महिला को इसके लक्षण अलग अलग देखने को मिल सकते हैं। आइए आपको बताते हैं इस समस्या से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां।

फायब्रॉइड्स का इलाज न करवाया जाए, तो क्या होगा?

बहुत सी महिलाएं फायब्रॉइड्स के उपचार में समय लगा देती हैं और काफी देर से इसको गंभीरता से लेना शुरू करती हैं। इलाज में देरी के कारण गर्भाशय में गांठ या फायब्रॉइड धीरे-धीरे साइज में बढ़ते चले जाते हैं और इनकी संख्या भी बढ़ती जाती है, जिससे महिला की परेशानी बढ़ सकती है। इनकी संख्या और साइज काफी बढ़ जाने पर महिला को बांझपन (इंफर्टिलिटी) का सामना करना पड़ सकता है और कई तरह की अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं। इसलिए जब भी आपको इस स्थिति का पता पहले चल जाता है तो आपको जल्द से जल्द इसका उपचार लेना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि हो सकता है अगर फायब्रॉइड्स (Fibroids) आगे बढ़ जाए तो काफी गंभीर हो जाए।

fibroids treatment

फायब्रॉइड्स के बारे में कुछ जरूरी बातें, जो आपको पता होनी चाहिए

  • फायब्रॉइड्स (Fibroids) में ब्लीडिंग अधिक होती है और इससे आपको पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द होता है।
  • आपको एनीमिया जैसी स्थिति भी देखने को मिल सकती है।
  • अगर फायब्रॉइड्स बड़े होते जाते हैं तो आपके पेट का निचला भाग सूज सकता है।
  • फायब्रॉइड्स के बढ़ने के कारण आपके ब्लैडर पर अधिक प्रेशर पड़ सकता है। जिस कारण आप को बार बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।
  • इस स्थिति में आपको गर्भधारण करने में भी दिक्कत महसूस हो सकती है।
  • यही नहीं आपके रिश्ते पर भी इनका प्रभाव बहुत बुरा पड़ता है क्योंकि कई बार आपका गर्भ धारण करना असम्भव सा हो जाता है। इसलिए आपको इस स्थिति का उपचार तब से ही शुरू करवा लेना चाहिए जब से आपको इस स्थिति का पता चलता है।

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फायब्रॉइड्स के इलाज के तरीके

1. हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy)

यह एक प्रकार की इनवेसिव सर्जरी होती है जिसमे महिला के गर्भाशय को ही निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी से रिकवर होने के लिए किसी महिला को हफ्तों का समय लग जाता है। हिस्टेरेक्टॉमी फायब्रॉइड्स के इलाज की एक पॉपुलर प्रक्रिया है।

2. लेपरास्कोपिक म्योमैक्टोमी (Leproscopic Myomectomy)

इस सर्जरी में महिला का यूटरस तो उसी स्थान पर रहता है लेकिन उसके अंदर का फाइब्रॉयड निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी से महिला जल्द ही रिकवर हो सकती है। यह भी एक तरह की इनवेसिव सर्जरी ही होती है।

3. फायब्रॉइड्स इंबोलाइजेशन (Fibroid Embolization)

यह महिलाओं के लिए उपलब्ध फायब्रॉइड को ट्रीट करने का एक सबसे आधुनिक और नया तरीका है। इस सर्जरी के दौरान आपको बहुत कम असहजता महसूस होती है और एक्स रे का प्रयोग करके फायब्रॉइड तक ब्लड फ्लो को पहुंचने के रोक दिया जाता है। खून, ऑक्सीजन और पोषण की कमी के कारण फायब्रॉइड अपने आप ही साइज में छोटा हो जायेगा। इससे आपका यूटरस भी हेल्दी रहता है और बहुत सी महिलाओं को एक दिन तो अस्पताल में ही रखा जाता है। लेकिन 5 दिन के अंदर अंदर वह अपनी नॉर्मल गतिविधियों में लौट जाती हैं।

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अगर आपको यह स्थिति और आप इससे जुड़े नतीजों खास कर बांझपन आदि से डर रही हैं तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इसका भी इलाज संभव है। आपको केवल अपने डॉक्टर के पास जा कर उनसे अपनी स्थिति बताने की जरूरत है। वह आपको चेक अप करके उपयुक्त उपचार देंगे। जिससे आप पूरी तरह ठीक हो जाएंगी

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