हार्ट से जुड़ी बीमारियों का सबसे प्रमुख जोखिम धूम्रपान, शराब का सेवन, मोटापा और डायबिटीज की समस्या और लाइफस्टाइल को माना जाता है। लेकिन कई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि महिलाओं में PCOS के कारण हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की समस्या तेजी से बढ़ रही है। दुनियाभर में 8 मार्च को महिलाओं को प्रेरित करने और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है। इसके तहत Onlymyhealth ने महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 'हेल्दी नारी, हैप्पी नारी' अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत आज हम आपको बताने जा रहे हैं महिलाओं में पीसीओएस के कारण दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे और PCOS और दिल की बीमारियों के बीच संबंध के बारे में।
क्या होती है PCOS की समस्या? (PCOS in Hindi)
PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक कॉमन समस्या है। स्टार हॉस्पिटल की डॉ विजय लक्ष्मी के मुताबिक इस समस्या का शिकार महिलाओं में अक्सर कुछ हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन आदि का लेवल बढ़ जाता है। इसके बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाने से PCOS से जूझ रही महिलाओं को वजन बढ़ने, अनियमित पीरियडस्, चेहरे पर बाल उगने, सिर के बाल ज्यादा झड़ने और मुंहासों, डिप्रेशन, तनाव आदि समस्याएं होती हैं। महिलाओं के शरीर में फीमेल सेक्स हॉर्मोन और मेल सेक्स हॉर्मोन में असंतुलन हो जाने पर यह समस्या बढ़ती है। पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में मेटाबॉलिक और हॉर्मोनल असंतुलन अधिक होता है।
इसे भी पढ़ें : PCOS से जूझ रही महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन लेवल कम करते हैं ये 4 फूड्स, अपनी डाइट में जरूर करें शामिल
टॉप स्टोरीज़
PCOS की समस्या और दिल की बीमारी के बीच संबंध (PCOS Effects on Heart Health in Hindi)
पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम महिलाओं में हॉर्मोन के असंतुलित होने की बीमारी है। इसके कारण महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, चेहरे पर बाल उगना, डिप्रेशन, तनाव जैसी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं के शरीर में मौजूद हॉर्मोन के स्तर में असंतुलन के कारण यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। कई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि महिलाओं में पीसीओएस के कारण दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है। इस समस्या में शरीर में हॉर्मोन का असंतुलन होता है और इसकी वजह से स्ट्रेस बढ़ता है, मरीज को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो हार्ट को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम पीसीओएस से जुड़ा है और इसकी वजह से महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। हार्ट की रक्त वाहिकाओं में यह समस्या बढ़ती है और जिसके कारण हार्ट फेलियर, स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। दरअसल पीसीओएस की समस्या में शरीर की बॉडी मॉस इंडेक्स असंतुलित होता है इसके अलावा हार्मोनल बदलाव के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने के कारण भी यह समस्या हार्ट को प्रभावित करती है।
PCOS से बचाव के टिप्स (PCOS Prevention Tips in Hindi)
पीसीओएस के कारण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। इसे जीवनशैली से जुड़ा रोग माना जाता है क्योंकि वजन बढ़ने के कारण, अनहेल्दी खाने के कारण आदि आदतों से ये बीमारी होती है। पीसीओएस का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है पर खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके आप इस बीमारी से काफी हद तक बच सकते हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से कई महिलाएं गर्भावस्था के चरण तक नहीं पहुंच पाती इसलिए आपको इसका इलाज और डायगनोसिस जल्द से जल्द करवाना चाहिए। हार्मोनल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड के जरिए पीसीओएस का पता लगाया जाता है। पीसीओएस का इलाज करने के लिए आपको कम कार्ब वाली चीजें खानी चाहिए और अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स हो। आपको डाइट में फल, हरी सब्जियां, होल ग्रेन वीट आदि को शामिल करना चाहिए। पीसीओएस को ठीक करने के लिए सिर्फ व्यायाम काफी नहीं है बल्कि आपको पौष्टिक आहार लेना भी जरूरी है।
(All Image Source - Freepik.com)