
पेसमेकर 25 से 35 ग्राम का एक छोटा सा उपकरण होता है। यह हृदय की मांसपेशियों को संकेत भेजती है जिससे अप्राकृतिक धड़कनों का निर्माण होता है। यह उन लोगों के लिए बहुत मददगार होती है, जिनकी हृदय गति कम होती है। आमतौर पर इनसान की हृदय गति 60 से 100 के बीच होती है। यदि व्यक्ति की हृदय गति कम हो, खासकर 40 प्रति मिनट से भी कम, तो व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा सकता है। और यहां तक कि उसे कुछ हद तक बेहोशी भी हो सकती है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष कुमार कहते हैं कि अगर ऐसे लक्षण ज्यादा हो जाएं, तो ऐसी सूरत में पेसमेकर लगाना जरूरी हो जाता है।
हृदय की मांसपेशियों को उत्तेजना देने के मकसद से लगाये जाने वाले पेसमेकर इसके साथ ही धड़कनों की गति को सामान्य रखने में भी मदद करता है। अगर पेसमेकर को यह अहसास हो कि आपके दिल की धड़कन सामान्य है, तो यह दिल पर बेवजह जोर नहीं डालता। दूसरे शब्दों मे कहा जाए, इसे डिमांड पेसिंग कहा जाता है। यह बैटरी बचाता है और पेसमेकर की क्षमता बढ़ाता है।
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कहां लगता है पेसमेकर
पेसमेकर दाईं या बाईं कॉलर बोन की त्वचा के नीचे और फैट टिशू के बीच लगाया जाता है। इसके संकेत नसों के जरिये हृदय मांसपेशियों तक पहुंचाये जाते हैं, वहीं इसका दूसरा सिरा पेसमेकर से जुड़ा होता है। पेसमेकर एक खास प्रोग्राम द्वारा सेट होता है और इसे प्रोग्रामर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। आमतौर पर पेसमेकर 10 से 12 साल तक काम करता है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टर वोरा का कहना है कि पेसमेकर के काम करने का समय उस पर पड़ने पर दबाव पर भी निर्भर करता है।
पेसमेकर लगाने वाले व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी पर यूं तो कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन पेसमेकर लगाने वाले व्यक्ति को कुछ जरूरी बातों का खयाल रखना चाहिये।
सेलफोन दूसरी तरफ इस्तेमाल करें
यदि आपके दायें कॉलर बोन में पेसमेकर लगा है, तो मोबाइल फोन अपने बायें कान पर लगायें। वहीं अगर यह बायीं कॉलर बोन में पेसमेकर लगा है, तो फोन दायें कान पर लगायें।
हायर टेंशन बिजली की तारों से दूर रहें
हाई टेंशन वायर से दूर रहें। पेसमेकर लगाने वाले मरीज घर में प्रयुक्त होने वाले सामान्य उपकरणों को बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल कर सकते हैं। टीवी, कंप्यूटर, माइक्रोवेव व अन्य उपकरण इस्तेमाल करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन बिजली की बड़ी-बड़ी तारों से उन्हें दूर ही रहना चाहिये।
सुरक्षा अधिकारी को बतायें
पेसमेकर लगाने वाले मरीजों को मेटल डिटेल से निकलते हुए सुरक्षा अधिकारी को इस बारे में सूचित कर देना चाहिये। ताकि अधिकारी व्यक्ति को मेटल डिटेक्टर के स्थान हाथ से आपकी सुरक्षा जांच करेगा।

जरा दूरी रखें
पेसमेकर लगे मरीज को मॉल या अन्य स्थानों पर मेटल या थेफ्ट डिटेक्टर के अधिक करीब नहीं खड़ा होना चाहिये।
एमआरआई न करवायें
पेसमेकर लगाये मरीज आसानी से अल्ट्रा साउण्ड, इकोकारडायोग्राम, एक्स-रे, सीटी स्कैन आदि करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें घबराने की जरूरत नहीं। हां पेसमेकर लगे मरीजों को एमआरआई नहीं करवाना चाहिये। इससे पेसमेकर का सर्किट खराब हो सकता है। इन दिनों ऐसे पेसमेकर भी मौजूद हैं, जिन्हें लगाकर एमआरआई किया जा सकता है।
रेडिएशन थेरेपी
कुछ कैंसर मरीजों को रेडिएशन थेरेपी से गुजरना पड़ता है। यदि पेसमेकर रेडिएशन के दायरे में आता है, तो इससे वह खराब हो सकता है। इसलिए पेसमेकर को रेडिएशन के सीधे संपर्क से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाये जाने चाहिये।
पेसमेकर लग जाना कोई खुशियों और सामान्य दिनचर्या का अंत नहीं। आप इसके बावजूद स्वस्थ और सुखद जीवन जी सकते हैं।
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