गर्भावस्था के दौरान सभी महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहाना चाहिए और साफ-सफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए। अधिकांश महिलाएं इन बातों का खयाल रखती भी हैं। लेकिन अक्सर शरीर की साफ-सफाई में दांतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन सुरक्षित प्रसव में दांतों और मुंह की भी अहम भूमिका होती है। इस लेख में जानें कि सुरक्षित प्रसव के लिए मुंह और दांतों की सफाई का क्या महत्व है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को यह कोशिश करनी चाहिए की वे स्वास्थ्य खाएं, अपने शरीर की पर्याप्त देखभाल करे और तनाव और चिंताओं को दूर रखें। पर ज्यादातर अपने मुंह की साफ सफाई के बारे में भूल जाती हैं क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञात नहीं होता है की उनके मुंह की समस्या उनकी पूरी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।
गर्भावस्था में दांतों और मुंह का महत्व
अध्ययनों से पता चला है की वे गर्भवती महिला जिन्हे की दन्त रोग होता है, उनमें बच्चे के बहुत जल्दी पैदा हो जाने या बहुत छोटा पैदा होने की सात गुना ज्यादा संभावना होती है। इस समय अपने मुंह की सफाई बहुत जरूरी होती है। इसलिए दोनों वक़्त मंजन और जीवाणु विरोधी माउथ वाश और फ्लोस करना बहुत जरूरी होता है।
हालांकि इस विषय पर और शोध की ज़रूरत है की कैसे दांत के रोग प्रसव को प्राभवित करते हैं। अभी तक प्राप्त शोधों से यह पता चला है की दांत के रोगाणु शरीर में जैविक द्रव्यों के स्तर को अवरुद्ध करते हैं, जो की पर्व की शुरुआत कर देते हैं। इसी के साथ यह बात भी सामने आयी है की वो महिलाए जिनमे दंत रोग गर्भधारण के दौरान गंभीर हो जाते हैं उनमे बच्चा अपरिपक्व पैदा होने का जोखिम ज्यादा होता है। गर्भधारण से सम्बन्धित सबसे आम दांत की समस्या है 'प्रेगनेंसी जिंजीवाइटिस'।
गर्भधारण के दौरान जिंजीवाइटिस एक आम दशा होती है। यह इस कारण होता है क्योंकि सी सैक्शन के दौरान हारमोन में बदलाव होने की वजह से मुंह को उत्तेजित करने वाले पदार्थ बढ़ जाते हैं। जो की मसूडो में रोग पैदा कर देते हैं। गर्भवती महिलाओ और सामान्य महिलाओं पर हुए कुछ अध्ययनों से पता चला है की गर्भधारण के पहले और दुसरे तिमाही में गर्भवती महिलाओं के मसूड़े सूजे हुए थे जिनमे से रक्तस्राव आसानी से हो सकता था। इसी के साथ 10 में से 8 माताओं ने कमजोर मसूड़े और मुह में तकलीफ की शिकायत दर्ज कराई। महिलाओं को इस बात का सुझाव दिया जाता है की उन्हें गर्भधारण करने से पहले अपने दांतों का परिक्षण कराना चाहिए और अगर कोई दांत की समस्या है तो उसे समय के साथ सही करा लेना चाहिए।
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कैसे करें दांतों की देखभाल
दन्त रोग विशेषज्ञ से नियमित रूप से मिलने से दांत की उन समस्याओ का पता चल सकता है जो की आम तौर पर पता नहीं लगती हैं। गर्भावस्था के दौरान आपको अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ सकती है क्योंकि इस बात का सीधा प्रभाव आप और आपके बच्चे दोनों पर पड़ता है।
यदि आपको दांतों से संबंधित समस्या है तो दिन में दो बार मंजन करने और जीवाणु विरोधी माउथ वाश और फ्लोसिंग करने से आपको लाभ मिलेगा और संक्रमण भी नहीं फैलेगा। मंजन और फ्लोसिंग करते वक़्त सावधानी बरते क्योंकि इससे आपके मसूडो में चोट लग सकती है और इन घाव से जीवाणु सीधे आपके शरीर में प्लास्मा से मिल सकते हैं। यह कीटाणु खेडी के रास्ते बच्चे तक जा सकते हैं और वहां पर ये संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इसलि आराम से ब्रश करें। निवारण हमेशा इलाज से अच्छा होता है इसलिए आप अपने मुंह की सावधानी से और नियमित रूप से देखभाल करें। जीवाणु विरोधी माउथ वाश से कुल्ला करने और इसी के साथ मंजन करने से कीटाणुओं से 99 प्रतिशत तक बचाव हो जाता है। क्योंकि तरल होने की वजह से यह मुख के उन हिस्सों में भी पहुंच जाता है जहां पर आपका टूथब्रश नहीं पहुंच पाता है।
यहां तक की जीवाणु विरोधी माउथ वाश में जो जरूरी तेल होते हैं वे प्लाक की परत के अंदर घुस जाते हैं और प्लाक , जिंजीवाइटिस , केविटिज , मसूडो में रक्तस्राव और बदबूदार सांस को बनने को रोकते हैं। अध्ययनों ने बताया है की ऐसा करने से प्लाक में 56 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। और सिर्फ मंजन करने से ही जिंजीवाइटिस होने की संभावना 21 प्रतिशत तक कम हो सकती है। अपने मुंह की पूरी तरह से सफाई के साथ पौष्टिक खाने का भी ध्यान रखें और इस समय अपने सेहत की पर्याप्त देखभाल करे ताकि आपके प्रसव में कोई तकलीफ न आये।
योगदान : डा. गोपाल कृष्णन , संतोष यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर और इंटरनेशनल क्लिनिकल डेंटल रिसर्च ओर्गनाईजेशन के सेक्रेटरी जनरल
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