ओबेसिटी या मोटापा ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन इतना ज्यादा हो जाता है कि इसका बुरा असर उसकी सेहत पर पड़ने लगता है। जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा कैलरी का सेवन करता है तो यह अतिरिक्त कैलरी फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगती है। नोएडा स्थित जेपी हॉस्पिटल में बैरिएट्रिक काउंसलर एवं न्यूट्रीशनिस्ट श्रुति शर्मा का कहना है कि ओबेसिटी का निदान मरीज की शारीरिक जांच एवं उसके इतिहास के आधार पर किया जाता है। मोटापे के कारण बीमारियों के संभावना की जांच के लिए व्यक्ति के बीएमआई (बॉडी मास इंडेस्क) का मापन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जीन इस बात के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि आपके शरीर में कहां और कितना वसा जमा होगा। शारीरिक रूप से निष्क्रिय व्यक्ति में वजन बढ़ने से आर्थराइटिस, दिल, लिवर व ब्लड प्रेशर की बीमारियां हो सकतीं हैं। अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता में से एक या दोनों मोटापे का शिकार हैं तो बच्चों में मोटापे की संभावना बढ़ जाती है। श्रुति के अनुसार, कैलरी युक्त आहार, जंक फूड, पेय पदार्थों का अधिक सेवन करने तथा फलों और सब्जियों का सेवन कम करने से व्यक्ति मोटापे का शिकार हो सकता है। मोटापा किसी भी उम्र में, यहां तक कि छोटे बच्चों में भी हो सकता है।
शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों में मोटापा कई बीमारियों के कारण भी हो सकता है। कुछ दवाओं के कारण भी कई बार व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है। ऐसे में आपको आहार और व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं का वजन बढ़ना अनिवार्य है। लेकिन, कई बार यह बाद में मोटापे का कारण बन जाता है। पूरी नींद न लेने से शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे भूख बढ़ती है। उन्होंने कहा कि मोटापे के कारण स्ट्रोक, कैंसर, प्रजनन क्षमता में कमी, दिल, ऑस्ट्रियोआर्थराइटिस, टाइप 2 डाइबिटीज, पित्ताशय की बीमारी, सांस, उच्च रक्तचाप, लिवर में मोटापा, नर्व डिसऑर्डर जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
श्रुति शर्मा ने कहा कि नियमित व्यायाम से आप अपना वजन नियन्त्रण में रख सकते हैं। तेज चलना, तैरना और साइकल चलाना अच्छे व्यायाम हैं। दिन में तीन बार नियमित आहार लें। कुछ लोग भूख लगने पर किसी भी समय खाते हैं। वे बिना समय मीठे व्यंजनों और जंकफूड का सेवन करते हैं। कम कैलरी से युक्त आहार, फल, सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करें। मिठाई, अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें। सैचुरेटेड फैट के सेवन से बचें। दैनिक जीवन में पानी का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। खीरे, नींबू, अदरक, पुदीने का रस वजन घटाने, विशेष रूप से पेट से फैट कम करने में मददगार है। फैट कम करने में ग्रीन टी, बैरीज, मेवे, दही, दालें, ओट, अंडा, फैटी फिश का सेवन भी मददगार साबित हो सकता है।
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ओबेसिटी से बचने के तरीके
- बच्चों में मोटापे से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेना है। इसमें मैदानी खेल या शारीरिक गतिविधियां भी आपके बच्चे के लिए बहुत उपयोगी हो सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि अपने बच्चे के दिनचर्या में इस तरह की सरल शारीरिक गतिविधियों को शामिल करें।
- आपके बच्चे के मोटापे को कम करने और बेहतर स्वास्थ्य के लिए भरपूर नींद बहुत अच्छा तरीका है। इसलिये यह सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा भरपूर नींद ले। लंबे समय तक या बहुत कम समय तक सोना आपके बच्चे को मोटा बना सकता है।
- शुगर ड्रिंक और फ्रूट ड्रिंक पीने से बच्चों को चीनी और कैलोरी के अलावा कुछ नहीं मिलता। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इन पेय का उपयोग सीमित मात्रा में ही करें। इस तरह के ड्रिंक्स आपके बच्चे को बहुत कम पोषण प्रदान करते हैं, जबकि अवांछित कैलोरी को बहुत ज्यादा जोड़ देते हैं।
- अपने बच्चे को भूख से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर कई छोटे और स्वस्थ भोजन या नाश्ता देते रहें। भूख आपके बच्चे को जंक फूड या हाई कैलोरी पेय की ओर उकसाती है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चे का आहार तय करते समय उसकी पसंद का तो ध्यान रखें ही, लेकिन इसके लिए उसके स्वास्थ्य से समझौता न करें। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे नियमित रूप से लेने वाला अपना भोजन छोड़े नहीं।

- टीवी के सामने सारा दिन बैठे रहने वाला बच्चा कम सक्रिय हो जाता है। यह मोटापे की एक बड़ी वजह है। इसके लिए जरूरी हैं कि उसका टीवी देखने का समय निश्चित कर दें और ऐसा करें कि वह कुछ शारीरिक गतिविधियों में रुचि लेना शुरू कर दें। साथ ही बच्चे के पसंद के सबसे अच्छे विकल्प की पहचान करें और कोशिश करें कि वह उसके साथ कुछ समय बिताएं।
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