
कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को फैलाने में परमाणु संयंत्रों का बिलकुल भी योगदान नही है। परमाणु संयंत्र बच्चों में ल्यूकीमिया के खतरे को बढ़ाता है या नहीं, इस मुद्दे पर बहुत पहले से दुविधा की स्थिति बनी हुई थी।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि दोनों के बीच में कोई संबंध नहीं है। विशेषज्ञों ने 1962 से 2007 के बीच पांच वर्ष से कम उम्र के 10,000 कैंसर पीड़ित बच्चों के आंकड़ों और उनके रहने के स्थानों के बारे में अध्ययन किया गया था।
यह अध्ययन चाइल्डहुड कैंसर रिसर्च ग्रुप ने कराया है जिसे कैंसर अध्ययन के एक ब्रिटिश जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसके आंकड़े ब्रिटेन के नेशनल रजिस्ट्री ऑफ चाइल्डहुड ट्यूमर्स से लिए गए हैं, जो 1962 से कैंसर पीड़ित बच्चों की सूचनाएं इकट्ठी करता रहा है।
1980 के दशक में लंदन के सेलाफील्ड परमाणु संयंत्र के पास रहने वाले बच्चों में कैंसर के मामले अधिक मिले, तबसे परमाणु संयंत्र और ल्यूकीमिया के बीच संबंध की चर्चा हो रही है।
परमाणु ऊर्जा विरोधी कुछ समूह पिछले अध्ययनों में इस्तेमाल हुए तरीकों की काफी आलोचना कर चुके हैं, वे लोग उस जर्मन अध्ययन का हवाला देते हैं जिसका नतीजा ये था कि संयंत्र और कैंसर के बीच संबंध हो सकता है।
चाइल्डहुड कैंसर रिसर्च ग्रुप से जुड़े डॉ. जॉन बीथेल का कहना है, "हमने जन्म से जुड़े हर आंकड़े का अध्ययन किया है, हमें संयंत्र एवं कैंसर के बीच कोई कड़ी नहीं मिली।"
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