
वो दिन दूर नहीं, जब ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देने वाली महिलायें चीर-फाड़ और टांके के निशान को अलविदा कह पायेंगी। यह मुमकिन होगा एक इजराइली कंपनी की ओर से त्यार 'वेलडिंग टॉर्च' के चिकित्सीय संस्करण 'बॉयो वेज' की बदौलत।
निर्माताओं का दावा है कि नयी तकनीक सर्जरी के दौरान चीरे गये हिस्सो को इतनी बारीकी से जोड़गी कि देखने वाले चीर-फाड़ का अंदाजा ही नहीं लगा पायेंगे। ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देने वाली महिलायें और कॉस्मेटिक सर्जरी के मरीज इस तकनीक से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।
'डेली मेल' के मुताबिक 'बायो वेज' के आविष्कार का श्रेय तेल अवीव स्थित आयन मेड्स डिवाइस लिमिटेड के वैज्ञानिकों को जाता है। इस तकनीक के तहत चीरे गये अंग को सिलने के लिए प्लाजमा का सहारा लिया जाता है। प्लाजमा गैस का अवशोषित रूप होता है, जो आमतौर पर 'वेलडिंग टॉर्च' से निकलने वाली चिंगारी के रूप में दिखता है।
हालांकि इसके इस्तेमाल को लेकर मरीजों को चिंतित होने की जरूरत नहीं। निर्माण दल से जुड़े प्रोफेसर जियान कारलो डिरेंजो के अनुसार, 'बायो वेज' से निकलने वाले प्लाजमा का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास होगा। इससे त्वचा पर हल्की आंच महसूस होगी, लेकिन ऊत्तकों और मांसपेशियों को कोई नुकसान नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि प्लाजमा चीरे गये हिस्सों के बीच में शक्कर से बने तत्व की परत चढ़ाता है, जिससे दोनों हिस्से एक दूसरे से चिपक जाते हैं। धीरे-धीरे जब उस हिस्से पर त्वचा की परत बनने लगती है, तो यह तत्त्व मल के रास्ते बाहर निकल जाता है। डिरेंजो की मानें तो बॉयो वेज से चीरे हुए हिस्से को जोड़ने में महज तीन से चार मिनट का समय लगेगा। इजराइली अस्पतालों में इसका इस्तेमाल साल के अंत तक शुरू किये जाने की योजना है।
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