शिशु के ब्रेन, लंग्स और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है बढ़ता प्रदूषण, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

जन्म के पहले कुछ दिनों के दौरान प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों का विकास रुक सकता है। उनका दिमाग, फेफड़े और बाकी अंग कमजोर हो सकते हैं। 
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शिशु के ब्रेन, लंग्स और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है बढ़ता प्रदूषण, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

दुनिया भर के लिए वायु प्रदूषण (air pollution) कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनती जा रही है। इससे बच्चे बूढ़े और जवान सब बीमार पड़ रहे हैं। वायु प्रदूषण ने लोगों के फेफड़ों की क्षमता पहले की तुलना में काफी कम कर दी है और कोई नहीं जानता कि हमारे फेफड़े कब तक इन जानलेवा प्रदूषकों के असर से बचे रहेंगे। पर सबसे ज्यादा चिंता उन नवजात शिशुओं को लेकर हैं, जो इस जहरीली हवा में पैदा हो रहे हैं। ऐसा इसलिए कि इन बच्चों के अंग कुछ दिनों पहले ही बने हैं और इन अंगों ने अभी तक सही से काम करना भी नहीं सीखा है। इन शिशुओं में वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है बल्कि उनके सर्कुलेटरी सिस्टम, न्यूरल फंक्शन, ब्रेन के विकास और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित कर रहा है। शिशुओं में वायु प्रदूषण के इन्हीं प्रभावों को लेकर हमने डॉ. नीतू तलवार (Dr.Neetu Talwar), एडिशनल डायरेक्टर, बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की। 

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शिशु पर वायु प्रदूषण के प्रभाव

डॉ. नीतू तलवार (Dr.Neetu Talwar) बताती हैं कि सीधे शब्दों में कहें तो वायु प्रदूषण का मतलब हवा में हानिकारक गैसों और कणों की उपस्थिति है, जो सांस लेने पर स्वास्थ्य के लिए जबरदस्त खतरा पैदा करते हैं। शिशु और बच्चे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके वायुमार्ग छोटे होते हैं और अभी भी विकसित हो रहे हैं। वे वयस्कों की तुलना में तेजी से सांस लेते हैं इसलिए अधिक हवा में सांस लेते हैं। पर सबसे अधिक जोखिम वाले बच्चे वे होते हैं जो समय से पहले पैदा हो जाते हैं और कम वजन वाले होते हैं। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से हमारे बच्चों को अस्थमा, श्वसन पथ के संक्रमण जैसे निमोनिया और बाद के जीवन में फेफड़ों के खराब स्वास्थ्य के साथ-साथ हृदय और डायबिटीज के जोखिम का भी खतरा बढ़ जाता है। वो कैसे आइए समझते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण शिशु को होने वाली बीमारियां-Air pollution effects on infants

1. फेफड़ों की बीमारियां

बच्चों को वायु प्रदूषण से विशेष जोखिम का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके फेफड़े अभी विकसिक हो रहे होते हैं और क्योंकि वे बहुत अधिक हवा में सांस लेते हैं। इसके अलावा उनके छोटे एल्वियोली (alveoli) का अस्सी प्रतिशत जन्म के बाद विकसित होता है। यहां खून में ऑक्सीजन का स्थानांतरण होता है। जब तक बच्चे वयस्क नहीं हो जाते तब तक फेफड़े और उनकी एल्वियोली पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं। साथ ही उनके फेफड़ा और शरीर इतना कमजोर होता है कि उन्हें कोई भी इंफेक्शन जल्दी हो सकता है। इसलिए बच्चों में श्वसन संक्रमण अधिक होता है। साथ ही उनमें ये परेशानियां जल्दी होती हैं।

  • -अस्थमा 
  • -सीने में घरघराहट महसूस होना
  • -खांसी
  • -ब्रोंकाइटिस
  • -निमोनिया जैसे संक्रमण
  • -सांस लेने में तकलीफ
  • -बड़े होने पर फेफड़ों की गंभीर बीमारियां
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2. ब्रेन का विकास प्रभावित होता है

वायु प्रदूषण के कण सिर्फ फेफड़ों की समस्याएं नहीं पैदा करते बल्कि ये ब्रेन में सूजन पैदा कर सकते हैं। दरअसल, सांस की नलियों का सूजन ब्रेन तक पहुंच सकता है और न्यूरल फंक्शन को प्रभावित करता है। इसके अलावा जन्म के बाद से  शहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से जीवन के शुरुआती दिनों में न्यूरोडेवलपमेंट में गिरावट आ सकती है। इससे न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याओं जैसे कि अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), ऑटिज्म (autism) स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, पढ़ाई लिखाई में कमजोर होना और अल्जाइमर जैसे रोगों का खतरा बचपन से ही रहता है। इसके अलावा ये उनकी सोचने, समझने और ध्यान देने की एबिलिटी को भी प्रभावित करता है।

3. इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है

शिशु का इम्यून सिस्टम जन्म से पहले उसकी मां से जुड़ा होता है और अब जब वो बाहरी दुनिया में सांस ले रहा है तो, उसका शरीर उसका इम्यून सिस्टम धीमे-धीमे तैयार कर रहा है। ऐसे में ये जहरीली हवा उसके इम्यून सिस्टम को शुरुआत से ही कमजोर करने का काम कर सकती है। प्रदूषण के कण उसके इम्यून सिस्टम को अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। जिससे वो किसी भी संक्रमण के आसानी से शिकार हो सकते हैं। 

इसके अलावा वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव शिशु में वर्षों या पूरे जीवनकाल तक रह सकते हैं। जैसे कि हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर और श्वसन संबंधी रोग उन्हें आगे चल कर हो सकते हैं। इसके अलावा ये वायु प्रदूषण शिशु की नसों, मस्तिष्क, गुर्दे, लिवर और अन्य अंगों को भी लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकती है।

इसे भी पढ़ें: बच्चे कौन से महीने में बैठना शुरू करते हैं? जानें बच्चों को जल्दी बैठना सिखाने के कुछ आसान तरीके

बच्चों को एयर पॉल्यूशन से कैसे बचाएं-How to protect babies from air pollution

डॉ. नीतू तलवार (Dr.Neetu Talwar) कहती हैं कि वायु प्रदूषण का मतलब सिर्फ घर के बाहरी प्रदूषण से नहीं है बल्कि घर के अंदरी प्रदूषण से भी है। इसलिए हमें अपने बच्चों को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए, इस प्रदूषण के स्रोत क्या हैं, उनके नुकसान क्या हैं और इस खतरे से निपटने की तात्कालिकता और आपात स्थिति को समझना होगा।

घर के अंदर पॉल्यूशन (Indoor Pollution) 

वायु प्रदूषण को आमतौर पर बड़े कारखानों से निकलने वाले धुएं या वाहनों से निकलने वाले धुएं के रूप में माना जाता है। लेकिन इनडोर वायु प्रदूषण भी कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि मिट्टी के तेल, लकड़ी और कोयले जैसे पदार्थों को जलाकर घर को गर्म करने से घर के अंदर की हवा दूषित हो सकती है। राख और धुएं से सांस लेना मुश्किल हो जाता हैऔर वे दीवारों, भोजन और कपड़ों से चिपक सकते हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली रेडॉन गैस, जो कैंसर पैदा करने वाली सामग्री है, घरों में भी जमा हो सकती है। इसके अलावा, घरों और कमरों में वेंटिलेशन या हवा की आवाजाही से जहरीली हवा फैल सकती है। इसी तरह घर में नम, ठंडी जगहों में जैसे कि दीवारों के बीच, मोल्ड (mold) मौजूद हो सकती है। मोल्ड के बैक्टीरिया हवा में प्रवेश करते हैं और पूरे घर में फैल जाते हैं और सांस लेने पर आपके शिशु का बीमार कर सकते हैं। इसलिए इनडोर प्रदूषण के असर से शिशु को बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें जैसे कि

  • -गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान से सख्ती से बचें।
  • - लकड़ी के कोयला, चूल्हा और गोबर आदि पर खाना पकाने या किसी भी कारण जलाने से परहेज करें।
  • -अपने घर को अच्छी तरह हवादार बनाए रखें। 
  • -रूम फ्रेशनर और सुगंधित मोमबत्तियों जैसे सुगंधित उत्पादों से बचें
  • -कालीन बिछाने से बचें क्योंकि इनमें छिपे हुए प्रदूषण के कण हो सकते हैं। 
  • - खिलौनों से बचें क्योंकि इनमें भी प्रदूषण के कण हो सकते हैं। 
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बाहरी प्रदूषण के लिए (OutDoor Pollution)

अपने शिशु को बाहरी प्रदूषण से बचाने के लिए आपको कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि 

  • -स्मॉग और भारी ट्रैफिक के समय अपने बच्चे के साथ यात्रा करने या सैर करने से बचें।
  • -कारपूल का उपयोग करने का प्रयास करें।
  • -किसी भी प्रकार के धुएं वाली जगहों से बचें। 

आपकी गाड़ियों जैसे कि कार में भी प्रदूषण के हानिकारक कण मौजूद हो सकते हैं। ऐसे में शिशु को कार के अंदर प्रदूषण से बचाने के लिए (Pollution in Car) कार फ्रेशनर जैसे रसायनों का प्रयोग न करें। कार में धूम्रपान न करें और कार को नियमित रूप से साफ करें और अच्छी स्वच्छता बनाए रखें। इस तरह आप अपने शिशु को वायु प्रदूषण से बचाने की कोशिश कर सकते हैं। साथ ही अगर आपको इस दौरान किसी कारण से अपना बच्चा बीमार लगता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। छोटी-छोटी चीजों को भी नजरअंदाज ना करें। 

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