Myths About Liver Disease: लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। स्वस्थ रहने के लिए लिवर को हेल्दी रखना भी बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल के खान-पान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से लिवर को नुकसान पहुंच रहा है। इस समय दुनियाभर में करोड़ों लोग लिवर की बीमारी का सामना कर रहे हैं। फैटी लिवर, लिवर कैंसर, हेपेटाइटिस इसमें सबसे आम है। लिवर की बढ़ती बीमारियों को लेकर समाज में कई मिथ फैले हुए हैं, जिन्हें अकसर लोग सच मानते हैं। हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस (world liver day 2022) मनाया जाता है। आज इसी के अवसर पर हम आपको लिवर से जुड़े कुछ मिथकों और उनकी सच्चाई के बारे में बताने जा रहे हैं। कामिनेनी अस्पताल, हैदराबाद के वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ जी हर्षवर्धन रेड्डी से जानें लिवर से जुड़े मिथकों की सच्चाई।
1. लिवर में फैट होता है।
डॉक्टर जी हर्षवर्धन रेड्डी बताते हैं कि लिवर में फैट बहुत कम होता है। जब लिवर के भीतर करीब 5-10 प्रतिशत तक फैट मौजूद होता है, तो इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है। यह समस्या ज्यादातर एल्कोहल या नशीले चीजों का सेवन करने वाले लोग में देखने को मिलती है। इसके अलावा मोटापे से ग्रसित लोगों को भी फैटी लिवर (Fatty Liver) की समस्या हो सकती है। फैटी लिवर टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के जोखिम को भी बढ़ाता है।
2. रेगुलर ब्लड टेस्ट से लिवर की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
डॉक्टर लिवर की स्थिति का पता लगाने के लिए खून की जांच (Blood Test) करवाने का सुझाव बहुत कम ही देते हैं। सिर्फ ट्रांसएमिनेस स्तरों के माध्यम से एक अंतर्निहित समस्या का पता नहीं लगाया जा सकता है। लिवर की स्थिति का पता लगाने के लिए एएसटी (AST) और एएलटी (ALT) जांच करवाई जा सकती है। इसमें लिवर खराब होने पर लिवर में कोशिका डैमेज और क्षारीय फॉस्फेटेस के लक्षण नजर आते हैं।
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3. लिवर ट्रांसप्लांट से लिवर की बीमारी ठीक हो जाती है।
लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों का सामना करने वाले लोगों के लिए लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) ही अंतिम उपाय माना जाता है। लेकिन यह कोई इलाज नहीं है। कुछ लोगों के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जीवन रक्षक हो सकता है। वही कुछ लोगों को शरीर नए लिवर को स्वीकार नहीं कर पाता है। ऐसे में नया लिवर भी बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसलिए यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि लिवर बदलने पर बीमारी नहीं होगी।
4. सिर्फ वयस्कों और बुजुर्गों को लिवर रोग होता है।
वैसे तो लिवर रोग अधिकतर उन लोगों में देखने को मिलता है, जो एल्कोहल जैसे नशीले पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं। लेकिन बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। हर साल हजारों बच्चे भी लिवर की बीमारी (Liver Diseases in Childhood) की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं। बच्चों में लिवर की बीमारी होने का मुख्य कारण जेनेटिक होता है। इसके अलावा मोटापे से ग्रसित बच्चों में फैटी लिवर (Fatty Liver) विकसित होने का जोखिम भी बना रहता है।
5. त्वचा और आंखों में पीलापन लिवर की खराबी का एकमात्र लक्षण होता है।
शुरुआत में लिवर की बीमारी का कोई लक्षण नजर नहीं आता है। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है, इसके लक्षण (Liver Disease Symptoms in Hindi) नजर आने लगते हैं। इसमें त्वचा और आंखों पर पीलापन आना आम है। लेकिन इसके अलावा थकान, कमजोरी, लगातार वजन कम होता, सूजन, खुजलीदार और रूखी त्वचा भी लिवर की खराबी का लक्षण होते हैं।
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6. सिर्फ शराब पीने से ही लिवर खराब होता है।
शराब लिवर की खराबी का एक मुख्य कारण होता है। शराब लिवर को नुकसान पहुंचाती है, लेकिन सिर्फ इससे ही लिवर खराब हो सकता है यह कहना गलत होगा। क्योंकि कई बार अस्वस्थ खानपान, डायबिटीज, मोटापा भी लिवर खराबी का कारण बन सकते हैं। जेनेटिक, कुछ मेडिकल कंडीशन भी लिवर रोग के प्रमुख कारण हो सकते हैं।
अगर आप भी लिवर से जुड़े इन मिथकों को सच मानते थे, तो आज ही इन्हें लेकर अपना धारणा बन लें। वही लिवर की बीमारी से जुड़ा कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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