इंसुलिन और टाइप 2 डायबिटीज संबंधित मिथ

टाइप2 डायबिटीज में ब्‍लड शुगर का स्‍तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, उसे सामान्‍य बनाये रखने के लिए इंसुलिन बहुत जरूरी है, फिर भी इंसुलिन से जुड़े कुछ मिथक है जिन्‍हें जानना बहुत जरूरी है।
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इंसुलिन और टाइप 2 डायबिटीज संबंधित मिथ

मधुमेह दो प्रकार का होता है - टाइप1 और टाइप1। टाइप 2 मधुमेह में ब्लड शुगर स्‍तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना मुश्किल होता है। इस स्थिति में रोगी को अधिक प्यास लगती है, बार-बार मूत्र त्‍यागना, लगातार भूख लगना और हमेशा थकान की शिकायत आदि समस्‍यायें होती हैं।

इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इंसुलिन के जरिए ही रक्त में, हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को ऊर्जा मिलती है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की अतिरिक्‍त खुराक दी जाती है।
Insulin and Type 2 Diabetes in Hindi


मिथ - डायबिटिक्‍स को हमेशा इंसुलिन चाहिए

सच - ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज के रोगियों को हमेशा इंसुलिन की जरूरत होती है। जबकि वास्‍तव में ऐसा नहीं है, टाइप2 डायबिटीज से ग्रस्‍त रोगी भी बिना इंसुलिन के इसका उपचार कर सकता है। दवाओं के साथ-साथ उचित खानपान और नियमित दिनचर्या के साथ टाइप2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।


मिथ - इंसुलिन का मलतब स्थिति गंभीर है

सच - एल्‍बर्ट आइंस्‍टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन द्वारा कराये गये शोध के अनुसार, टाइप2 डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों को इंसुलिन लेना बहुत जरूरी होता है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुलन भी नहीं है कि स्थिति बहुत गंभीर हो गई और वे बिना इंसुलिन के नहीं रह सकते हैं। उचित खानपान और नियमित व्‍यायाम से भी इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

मिथ - इंसुलिन के इंजेक्‍शन से दर्द होता है

सच - इंजेक्‍शन का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर सताने लगता है, और उनको लगता है कि इंसुलिन का इंजेक्‍शन भी आम इंजेक्‍शन की तरह दर्द देने वाला होता है। जबकि सच यह है कि इंसुलिन का इंजेक्‍श बहुत पतला और छोटा होता है, जिससे बिलकुल भी दर्द नहीं होता।


मिथ - इंसुलिन हमेशा के लिए होता है

सच - यह वास्‍तविक नहीं है, अगर आपको पता चला है कि आप टाइप2 डायबिटीज से ग्रस्‍त हैं तो इसके शुरूआत में या फिर गर्भावस्‍था के दौरान में आप इंसुलिन का प्रयोग करें। उसके बाद आप बिना इंसुलिन के भी मधुमेह के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
Type 2 Diabetes in Hindi

मिथ - इंसुलिन लेने में कठिनाई होती है

सच - लोगों को लगता है कि इंसुलिन का इंजेक्‍श लगाना बहुत कठिन काम है। वर्तमान में इंसुनिल के इंजेक्‍शन पेन के आकार के हो गये हैं, इन्‍हें आसानी से आप अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं और कभी भी खुद से आसानी से प्रयोग भी कर सकते हैं।

डायबिटीज का निदान होने के बाद आपको सबसे अधिक जरूरत खानपान और व्‍यायाम की होती है। अपनी दिनचर्या से आप इसके असर को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

image source - getty images

 

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